कन्फ्यूशियस कौन थे ?

जन्म

कन्फ्यूशियस का जन्म 2500 वर्ष से भी पहले " लू " राज्य में हुआ जो की अब चीन के शानतुंग की प्रान्त का हिस्सा है।



वह त्साओ जिले के प्रधान शुह- लिआंग हीह के इकलौते पुत्र थे। जब कन्फ्यूशियस का जन्म हुआ तब शुह- लिआंग हीह की आयु 70 वर्ष से अधिक थी।

इस दार्शनिक का वास्तविक नाम कुंग था।लैटिन और अंग्रेजी भाषाओं में बदल कर यह कन्फ्यूशियस हो गया। जिसका मूल
है कुंग -फू- त्जू यानि दार्शनिक कुंग।

शिक्षा

कन्फ्यूशियस कि शिक्षा का निचोड़ "शू" यानि सर्व विदित स्वर्णिम नियम।

"दूसरो के साथ ऐसा व्यवहार मत करो जो तुम स्वयं के लिए नहीं चाहते "

अपने अनेक वर्षो के अध्ययन और शिक्षण के दौरान कन्फ्यूशियस ने पूरे चीन का भ्रमण किया। जब वह 52 वर्ष के थे उन्हें अपने राज्य " लू " में बुलाया गया और चुंग - तू का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

समाज सुधार के कार्य

उनके समाज सुधार के कार्य आज के मापदंड के अनुसार भी बहुत उच्च कोटि के थे। न केवल गरीबों के लिए उन्होंने भोजन कि व्यवस्था कि उन्होंने नौजवानों और वृद्धों को उनकी आयु के अनुरूप भोजन दिलवाया।

उन्होंने श्रमिकों को व्यवस्थित किया और कमजोर श्रमिकों को आसान काम दिलाए और शक्तिशाली को मुश्किल ।



उनकी देख रेख में संचार व्यवस्था में सुधार हुआ सड़के और पुलों की मरम्मत की गई ,और पर्वतों में रहने वाले चोर डाकुओं का सफाया हुआ। लोगो को अत्याचार से मुक्ति मिली और
कानून की नजरो में सब बराबर थे।

एक शिक्षक के रूप में कन्फ्यूशियस


जैसे जैसे कन्फ्यूशियस की ख्याति बढ़ी, उनसे शिक्षा प्राप्त करने वालो की संख्या भी बढ़ने लगी। एक समय वो लगभग 3000 छात्रों को कला,इतिहास, संगीत और काव्यशास्त्र की शिक्षा दे रहे थे, लेकिन छात्रों के मूल्यांकन का मापदंड इतना ऊंचा था कि उनके अनुसार केवल 72 छात्र  ही ऐसे थे जिन्होंने इन सभी विषयों में दक्षता  प्राप्त कर ली थी।


कई विद्वान और इतिहासकार कन्फ्यूशियस को एक पवित्र महापुरुष मानते हैं, लेकिन इस बात में संदेह है कि कन्फ्यूशियस पारम्परिक रूप से बहुत धार्मिक थे, बल्कि उनका मानना था कि आन्तरिक उत्कृष्टता प्राप्त करना। उन्होंने  चार  विषयों पर शिक्षा दी - 
1)  साहित्य 
2) लोक व्यवहार
3)आन्तरिक सत्यनिष्ठा
4) और सामाजिक रिश्तों में ईमानदारी

कन्फ्यूशियस की मृत्यु 

478 ईसा पूर्व में 73 वर्ष की अवस्था में कन्फ्यूशियस का देहांत हो गया, उन्हें  " लू " राज्य में " सजे " नदी के तट पर दफनाया गया।

100 से अधिक परिवार उनकी समाधि के आस पास घर बना कर रहते थे। 200 वर्षों से अधिक समय तक कन्फ्यूशियस के छात्रों के परिवार वहां बसे रहे।

आज भी इस क्षेत्र को  कुंगली चीन यानि दार्शनिक कुंग का गांव के नाम से जाना जाता है।

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