रेशम का इतिहास,सिंधु घाटी सभ्यता में रेशम ,चीन का रेशम पर अधिकार


कन्फ्युशियस के अनुसार

2640 BC में चीन के सम्राट हुआंग टी (Huan Ti) की पत्नी लेडी सी लिंग शी (Lady Xi Ling Shi) एक दिन शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर चाय पी रही थी तभी उनकी चाय में एक कीड़ा गिर गया, जो एक चमकीले धागे में लिपटा था वो रेशम का कीड़ा था। लेडी सी लिंग शी ने सोचा कि इसे कीड़े से अलग कर दिया जाय।



लेकिन लेडी सी लिंग शी ने देखा कि वो चमकीला धागा कीड़े के अंदर से निकल रहा है। ये देखकर लेडी सी लिंग शी को एक विचार आया कि क्यों ना इससे कपड़ा बनाया जाए।



उसके बाद सम्राट हुआंग टी (Huan Ti) ने जल्द ही सेरीकल्चर (Sericulture) विकसित किया।


सेरीकल्चर यानि रेशम का कीड़ा (Silk worm) पालना केवल रेशम बनाने के लिए।

उस रेशे को जोड़ - जोड़ कर धागा बनाया गया,फिर धागे से बुनाई का काम शुरू हुआ।

सिंधु घाटी सभ्यता में रेशम 

कुछ पुरातत्ववेता (Archaeologist) का मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता (Indus valley civilization) में 2800 BC से 1800 BC तक रेशम की खेेेती होती थी। लेेेकिन सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के साथ ही रेशम की खेती का तरीका भी खत्म हो गया।


रेशम पर चीन का अधिकार

💜इसके बाद 2000 साल तक रेशम पर सिर्फ चीन का अधिकार था।
💜चीन अपने रेशम बनाने के तरीके को रहस्य रखना चाहता था। कोई भी देेश रेेेशम बनाने के तरीके को नहीं जान पाता था और जो व्यक्ति यह रहस्य किसी को बताता था उसे मौत की सज़ा सुनाई जाती थी।

💜रेशम को चीन से बाहर 440 AD में लेे जय गया।
💜 एक कहानी के अनुसार उस समय की चीन की राजकुमारी की शादी केंद्रीय एशिया खोटान के राजकुमार से हुई थी। तब उन्होंने रेशम के कीड़े की तस्करी की थी।
वो अपने बालों में छिपा कर सिल्क कोकून [Silk Cocoon (वयस्क होने के पहले किटों द्वारा सुरक्षा के लिए बनाया गया महिन धागों का आवरण)] को ले जाती थी।

💜एक और कहानी है कि चीन के सिल्क कोकून की 552 CE में बाइडेन्ट सम्राट " जस्टीनीयन" ने अपने दो भिक्षुओं को चीन
भेजा और उन भिक्षुओं ने रेशम के कीड़े और उनके अंडे को बांस में छिपाकर चीन में इसकी तस्करी की।



💜चीन ने भारत को रेशम दिया तो भारत ने चीन में बौद्ध धर्म के प्रचार में मदद की।

💜 चौथी शताब्दी AD तक भारत और चीन का गहरा रिश्ता बन गया। 5 वीं शताब्दी और 6 वीं शताब्दी AD में बौद्ध धर्म फैलाने में रेेेेशम के सौदागर का बहुत बड़ा हाथ था।

अकबर का योगदान

1572 AD में गुजराती कारीगर को वापस शाही कार्यशाला में लाने का श्रेय मुगल सम्राट अकबर को जाता है।

मुगल शासन में रेशम को खास बढ़ावा मिला और रेशमी वस्त्र पंजाब में बनाया जाने लगा।
अकबर ने ही पूर्वी तुर्किस्तान के कारीगरों को लाकर कश्मीर में लाकर बसाया था।

भारत में पहली रेशम टेक्सटाइल्स

भारत में पहली रेशम टेक्सटाइल्स ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 1832 में शुुुुरु की थी।

बाद में कर्नाटक में दो नई कम्पनी 1845 में 1895 में कश्मीर शुुुुरु किया था लेकिन 1875 से 1915 तक रेशम उद्योग काफी पिछे चली गई थी जिससे इसमें बहुत घाटा होने लगा। फिर अंग्रेजी सरकार ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया।



आज रेशम उद्योग लगभग 52360 गांवों में फैली हुई है और इससे 7.6 Million (1 million = 10 लाख) लोगों को रोजगार मिला है।

आज चीन के बाद भारत रेशम का दुसरा सबसे बड़ा निर्माता और आयातक बन गया है।

रेशम का 78% चीन में और 18% भारत उत्पादन होता है। अब भारत अफ्रीका, यूरोप और मध्य पूर्व में रेशम भेजता है।

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