दक्षिण अफ्रीका 17 वीं सदी की दास व्यापार
डच व्यापारी 17 वीं सदी में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे, जल्द ही दास व्यापार शुरू हो गया। लोगों को बंधक बनाकर जंजीरों से बांधकर दास बाजारों में बेचा जाने लगा। 1834 में दास प्रथा के अंत के समय अफ्रीका के दक्षिणी सिरे पर स्थित केप में निजी स्वामित्व में दासों की संख्या 36,774 से थी। 1824 में " केप " आने वाले एक यात्री ने वहां होने वाली नीलामी का आंखों देखा हाल बताया - " यह मालूम होने पर की पशुओं, कृषि उत्पादों की नीलामी होने वाली है। हमनें अपनी गाड़ी नए बैल खरीदने के लिए रोक ली। नीलामी के माल में एक स्त्री - दास और उसके तीन बच्चे भी थे। किसानों ने पशुओं के समान ही उन्हें परखा और उन्हे अलग - अलग खरीददारों को बेच दिया गया। मां ने चिंता वेदना और आंसू भरी आंखों से बच्चों की तरफ देखा और दुखी बच्चे मां से लिपट गए। लेकिन वहां मौजूद दर्शकों के चेहरे हस्ते हुए और असंवेदनशील थे। "