कमला देवी चटोपाध्याय - 2
फ्रीडम साल्ट
उन्होंने गांधी जी के नमक आन्दोलन 1930 में और असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लेने वाली महिलाओं में से थी।
कमला देवी एक दिन अपने साथियों के साथ "बम्बई स्टॉक एक्सचेंज " में घुस गई और नमक की छोटी - छोटी पुड़िया बनाकर उसे बेचा और 48,000 रूपये इकठ्ठा किए जो अपना विद्रोह जताने और आन्दोलन के लिए खर्च के लिए थे। इस नमक को " फ्रीडम साल्ट " का नाम दिया गया।
ब्रिटिश सरकार ने इन्हें इसके लिए 9 माह के कारावास की सजा सुनाई।
नमक कानून तोड़ने पर बॉम्बे प्रेसीडेंसी में गिरफ्तार होने वाली वह पहली महिला थी।
महिलाओं को आंदोलन में शामिल करना
महिलाओं को आंदोलनों में भागीदारी दिलाने वाली कमला देवी ही थी। गांधी जी महिलाओं के आंदोलनों में भागीदारी के पक्ष में नहीं थे, पर कमला देवी के ही कोशिशों के फल स्वरूप गांधी की जी महिलाओं के आंदोलनों में शामिल किया।
नमक आन्दोलन , असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे चार बार जेल गई और पाँच साल तक सलाखों के पीछे रहीं।
एक अभिनेत्री
कमला देवी ने एक अभिनेत्री के रुप में दो मूक फिल्मों में काम किया, फिल्म मृच्छाकटिका साल 1931 में और तानसेन 1943 , शंकर पार्वती 1943 और धन्ना भगतट 1945 किरदार निभाया था।
हथकरघा मां की उपाधि
कमला देवी पहली भारतीय महिला थी जिन्होंने हथकरघा और हस्तशिल्प को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी।
इन्हें 1952 में हैंडक्राफ्ट का प्रमुख नियुक्त किया गया। कमला देवी ने देश के बुनकरों के लिए बहुत काम किया और इसीलिए वे इनका सम्मान करने के लिए , इनके आने पर अपने सर की पगड़ी उतार कर इनके कदमों में रख देते थे। उन्होंने कमला देवी को " हथकरघा मां " का नाम दिया था।
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