रविंद्रनाथ टैगोर - 2
💠इन्होंने अपनी पहली कविता महज 8 वर्ष की आयु में लिखी ,फिर 1877 में इन्होंने एक लघु कथा लिखी।
💠 टैगोर ने काव्य, उपन्यास, नाटक लघु कथा, संगीत और चित्रकला में भी निपुण थे।
💠रविंद्रनाथ ने लगभग 2230 गीतों को भी रचना की थी।
💠16 वर्ष की आयु में उनका काव्य संग्रह " भानु सिंघो " प्रकाशित हुआ, जिसका शाब्दिक अर्थ सूर्य का सिंह है।
नोबल पुरस्कार
एक बार जब टैगोर अपने बेटे के साथ भारत से इंग्लैंड जा रहे थे। तब समुद्री मार्ग के समय को काटने के लिए उन्होंने गीतांजलि का अंग्रेजी में अनुवाद एक नोटबुक पर किया और उस नोटबुक को सूटकेस में रख दिया, जिसे वो जहाज पर ही भूल गये। वह सूटकेस एक व्यक्ति को मिला जिसने उसे टैगोर तक पहुँचा दिया।
लन्दन के रिथेस्टिन नामक चित्रकार को को जब पता चला कि टैगोर ने गीतांजलि का अंग्रेजी में अनुवाद किया है तब उसने इसे पढ़ने की इच्छा जतायी।
फिर रिथेस्टिन ने डब्लू बी यिट्स को गीतांजलि पढ़ने की सलाह दी। यिट्स ने इसे पढ़ने के बाद इंडियन सोसाइटी के सहयोग में सितंबर 1912 इसे प्रकाशित किया।
1913 में इन्हें गीतांजलि के लिए इन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
नाइटहुड की उपाधि
साल 1915 में ब्रिटिश किंग जॉर्ज पंचम द्वारा उन्हें नाइटहुड की उपाधि प्रदान की गई थी।
साल 1919 में इन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद नाइटहुड की उपाधि को लौटा दिया।
शांति निकेतन
1863 में देवेंद्रनाथ टैगोर ने एक जमीन खरीदी यहां एक अतिथि घर बनवाया गया जिसका नाम शांति निकेतन रखा गया।
22 दिसंबर,1891 में देवेंद्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन में मठ की स्थापना की।
1901 में टैगोर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र के प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना केवल 5 छात्रों को लेकर की। सन 1921 में इसे राष्ट्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा मिला।
इसमें ऑस्कर विजेता सत्यजीत रे, इंदिरा गांधी, अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन, गायत्री देवी और अब्दुल गनी खान इसके छात्र रहे।
टैगोर जी का पुस्तकालय
1901 में उन्होंने अथक प्रयत्न से एक पुस्तकालय की स्थापना की और टैगोर जी के प्रयासों से ही शांति निकेतन को विश्वविद्यालय का दर्जा मिला।
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