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Showing posts from December, 2023

किरणदेवी

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वो रानी जिसने अकबर को घुटनों पर ला दिया रानी किरणदेवी मेवाड़ के महाराणा प्रताप के भाई शक्तिसिंह की कन्या थी। उनका विवाह बीकानेर के नरेश के भाई महाराजा पृथ्वीराज से हुआ था। जिनकी कविता ने राजा प्रताप में पुनः राजपुती का जोश ला दिया था और फ़िर उन्होंने किसी हाल में अकबर से संधि की बातचीत नहीं की। जब किरणदेवी और पृथ्वीराज का विवाह हुआ, उसके बाद वे दिल्ली चले गए। दिल्ली में अकबर स्त्रियों को अपनी वासना का शिकार बनाने के लिए ही एक मेले का आयोजन करवाता था। अपनी वासना की तृप्ति के लिए ही अकबर हर साल दिल्ली में नौसेरा का मेला लगवाता था। राजपूतों की और दिल्ली की अन्य स्त्रियां इस मेले में जाया करती थी। पुरुषों का इस मेले में जाना माना था।  अकबर स्त्री भेष में मेले में घुमा करता था और जिस स्त्री पर अकबर मुग्ध हो जाता था उसे अकबर के राजमहल में ले जाया जाता था। अकबर की नज़रे बहुत दिनों से किरणदेवी पर लगी हुई थी। एक दिन किरणदेवी मेले में मिनाबाजार की सजावट देखने के लिए नौसेरा के मेले में गई थी।  उसी समय उन्हें धोखे से जनाने महल में पहुंचा दिया गया। वहां अकबर ने किरणदेवी को घेर लिया और अपनी...

जानवरों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

* ऊँट के दूध से दही नहीं जमता। * गोल्ड फिश अपनी आँख कभी भी बंद नहीं करती है। * एक झींगे का दिल उसके सिर में होता है  * अगर मकड़ी को जलाया जायेगा तो वह बारूद की तरह फट जायेगी। * एक मुर्गा इंसानों से ज्यादा रंगो का अनुभव कर सकता है। वो ज्यादा रंगो को पहचान सकता है।  * सी लॉयन इंसानों के अलावा दूसरा जीवधारी है, जो मलत्याग की इच्छा को नियंत्रण कर सकता है। * तेंदुआ रात के अंधेरे में भी अच्छी तरह देख सकता है। * एक हिप्पोपोटैमस अपना मुँह 180° तक खोल सकता है। * मकड़ी 17 महीनों तक बिना कुछ खाए पिए रह सकती है। * डॉल्फिन मछली हमेशा अपनी सिर्फ एक आँख ही बंद कर के सोती है।  * ऊँट एक बार में एक बार में 100 लीटर पानी पी सकता है।  * शुतुमुर्ग के अंडे का वजन दो से तीन किलो होता है। * एक बिल्ली के कान में 32 मांसपेशियां होती है। * एक बिल्ली एक दिन में लगभग 18 घंटे सोती है।  * एक मगरमच्छ लगभग 100 सालों से भी ज्यादा समय तक जीवित रह सकता है। * जिराफ की जीभ 21 इंच तक लंबी होती है जिससे वो अपने कान साफ कर सकता है।  * दुनिया में साँप के काटने से ज्यादा मधुमक्खी के काटने से लोग मरत...

अच्छनकुमारी

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  पृथ्वीराज चौहान की वीरांगना पत्नी  अच्छनकुमारी चंद्रावती के राजा जैतसिंह परमार की पुत्री थी। वे पृथ्वीराज चौहान से विवाह करना चाहती थी। अच्छनकुमारी बहुत सुंदर और वीरांगना थी। उनके पिता ने कहा कि यदि पृथ्वीराज चौहान ने विवाह से इंकार कर दिया ,तो मैं (अच्छनकुमारी) कभी विवाह नहीं करूंगी।  गुजरात के राजा भीमदेव बहुत शक्तिशाली था। भीमदेव ने अच्छनकुमारी के साथ विवाह का प्रस्ताव लेकर अपने मंत्री अमरसिंह को चंद्रावती भेजा लेकिन अच्छनकुमारी के पिता ने भीमदेव का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। विवाह प्रस्ताव को इंकार करने से भीमदेव ने क्रोध में चंद्रावती पर आक्रमण कर दिया। चंद्रावती एक छोटी सी रियासत थी,जैतसिंह ने अजमेर के राजा सोमेश्वरदेव चौहान से मदद मांगी।  उसी समय मुहम्मद गोरी ने पांचाल पर आक्रमण किया था। एक ही समय दो तरफ से आक्रमण होने के कारण पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर देव एक बड़ी सेना लेकर जैतसिंह की मदद के लिए गए और प्रधान सेनापति के साथ सेना को गोरी से लड़ने के लिए भेज दिया। अभी सोमेश्वर देव चंद्रावती पहुंचे नहीं थे कि पृथ्वीराज को अच्छनकुमारी का पत्र मिला, जिसमें ...

रानीबाई

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अपने पति की मृत्यु के बाद जौहर करने वाली  महाराजा दाहिर की राजधानी आलोर नगर में थी। उनके पुत्र का नाम जयसिंह था और इन्हीं की पत्नी का नाम रानीबाई था।  सन् 712 ई. में मुहम्मद बिन कासिम ने बगदाद के खलीफा का आदेश पाकर हिन्दुस्तान पर हमला कर  किया। देवल को उजाड़ कर उसने वीरान कर दिया, मंदिरों की पवित्रता नष्ट कर दी। उसके बाद कासिम नैरन पहुंचा और एक बहुत बड़ा बेड़ा तैयार करवा कर, उसने सिंध नदी पार करने की योजना बनायी। राजा दाहिर ने उसका सामना करने के लिए सेना तैयार की। उसकी राजधानी आलोर नगर में थी, लेकिन वह रावार के दुर्ग से हमला करना सही समझते थे। वह अपने पुत्र जयसिंह और उसकी पत्नी रानीबाई को लेकर रावार के किले में चले गये। दाहिर और उसके ठाकुरों ने युद्ध किया। जयसिंह भी हाथी से उतर कर युद्ध करने लगा,  लेकिन शाम होते - होते वह मारा गया। जब रानी को पति की मृत्यु का समाचार मिला, तब 15000 सैनिकों को लेकर रानी ने यवनों पर हमला कर दिया और भयानक युद्ध होने लगा, लेकिन रानी ज्यादा देर तक अरबों के सामने न ठहर सकी। अरबों ने किले पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद रानीबाई ने बाकी महिलाओं क...

ताराबाई

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  जो मेरे राज्य को मुक्त कराएगा मैं उसी से विवाह करूंगी , टोंक एक रियासत थी। पहले वहां राव सुरतान (सुरनाथ) का आधिपत्य था। वे तोड़ातनक (तक्षशिला) राज्य के राजा थे। 16 वीं सदी में यवनों के अत्याचार के कारण उन्हें प्रदेश छोड़ देना पड़ा। लैला नामक एक सरदार ने धोखे से राव सुरतान का राज्य छीन लिया। इसके बाद राव सुरतान मेवाड़ के राजा की शरण में गए।  ये अरावली पर्वत की तलहटी में  बिदनौर नामक  एक छोटा सा प्रदेश बसाकर रहने लगे। राव सुरतान की इकलौती संतान का नाम ताराबाई था।  इनकी मां का देहांत बहुत पहले हो चुका था। ताराबाई ने घुड़सवारी, तलवारबाजी, भाला मारना आदि सिख लिया था।  ताराबाई का विवाह  राव सुरतान ने राजपूतों की बड़ी सेना तैयार की और फ़िर अफगानों से मुठभेड़ हुई। ताराबाई ने बड़ी वीरता से अफगानों का सामना किया। लेकिन अफगानों की जीत हुई।  इस समय चितौड़ के सिंहासन पर राणा रायमल बैठे थे। उनके दो पुत्र थे जयमल और पृथ्वीराज। जयमल ने राव सुरनाथ से कहलवाया कि मैं तारा से विवाह करना चाहता हूं। तारा ने जवाब दिया कि मैं उसी से विवाह करूंगी जो टोंक से अफगानों को न...

वीरमती

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एक ऐसी वीर स्त्री जिसने अपने होने वाले पति को अपने हाथों से मार दिया, क्योंकि उसने मातृभूमि से गद्दारी की थी  देवगिरि के राजा रामदेव थे और इनकी पुत्री का नाम गौरी था। वीरमती के माता पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी थी। जिसके बाद रामदेव ने ही वीरमती का पालन पोषण अपनी सन्तान की तरह किया था। वीरमती और गौरी में आपस में बहुत प्रेम था। रामदेव ने वीरमती की सगाई कृष्णराव से कर दी। अलाउद्दीन ने देवगिरि पर आक्रमण कर दिया ,रामदेव के साथ कृष्णराव भी सेना सहित युद्ध के लिए गए, बहुत भयंकर युद्ध हुआ। अलाउद्दीन अपनी एक चाल के तहद युद्ध क्षेत्र से भाग गया और फ़िर कृष्णराव ने कहा कि अभी जाकर देखता हूं। कृष्णराव धोखेबाज निकला और अलाउद्दीन से जाकर मिल गया। कृष्णराव ने उसे सेना के सभी भेद बता दिये। कृष्णराव की जानकारी के बिना ही वीरमती भी मर्दाने भेष में इस युद्ध में उपस्थित थी। जब कृष्णराव अल्लाउद्दीन के पिछे गया तो वीरमती भी छुपकर उसके पिछे चली गई। जब अलाउद्दीन और कृष्णराव आपस में बातें कर रहे थे ,तब वीरमती ने उनकी सारी बातें सुन ली। कृष्णराव की गद्दारी का पता चलते ही, वीरमती ने कृष्णराव को तलवार भोंक दी...

मयणल्ल देवी

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सातवीं सदी में चालुक्यों की सत्ता सारे दक्षिण भारत पर स्थापित हो गई थी। पुलकेशी द्वितीय और महाराजा हर्षवर्धन में भारत का सम्राट पद पाने की होड़ मची हुई थी। चालुक्य राजा भीम (प्रथम), गुजरात के राजा थे। वह अपनी पत्नी महारानी उदयमती को बहुत प्रेम करते थे। उदयमती और भीम (प्रथम) के पुत्र का नाम कर्ण था। जिसका शासन काल 1065 से 1094 ई. तक था। कर्ण की मातृभक्ति इतनी प्रसिद्ध थी कि लोग महाभारत के कर्ण का स्मरण कर उसे अभिनव कर्ण कहा करते थे।  क र्ण सन् 1065 ई. में गद्दी पर बैठे। मयणल्ल देवी चंद्रपुर के राजा की पुत्री थी। वह चालुक्य नरेश की वीरता पर मुग्ध थी। राजा बहुत सुंदर भी थे। राजकन्या ने प्रतिज्ञा कर ली,कि मैं कर्ण से ही विवाह करूंगी, नहीं तो आजीवन कुंवारी रहूंगी।  मयणल्ल साधारण सी दिखती थी, उनके पिता इनके विवाह के लिए चिंतित रहा करते थे।  एक बार कर्ण की राजसभा में एक चित्रकार ने कदम्बराज जयकेशी की पुत्री का चित्र दिखाया और कहा कि इसका नाम मयणल्ल है। उस चित्रकार ने कहा "यह आप के साथ विवाह करना चाहती है,इन्होंने आपके लिए एक हाथी भेजा है।" राजा मंत्रियों के साथ हाथी देखने के लिए...

भगवती

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औरंगजेब के सूबेदार मिर्जा से अपनी इज्जत बचाने के लिए, प्राण त्यागने वाली भगवती औरंगजेब का शासन काल अपने अत्याचारों के लिए जाना जाता है। बिहार के एक जिले का शासक मिर्जा नाव पर बैठकर गंगा जी में घूम रहा था। उस समय मुस्लिम शासकों के घूमने का मतलब था, प्रजा को लूटना, सुन्दर औरतों का अपहरण करना और धार्मिक स्थानों को नष्ट करना। मिर्जा एक वृद्ध आदमी था, उसकी कई बेगमें थी, वह बहुत कामी था। उस समय गंगा नदी में एक स्त्री स्नान करते देखा। जब मिर्जा के सेवकों ने वहां स्नान करने वालों से पूछकर कि तो पता चला कि "वह गांव के ठाकुर होरिलसिंह की बहन भगवती हैं।" होरिलसिंह को बुलाया गया,मिर्जा ने कहा कि मैं आपको 5000 अशर्फियां दूंगा और आपकी जागीर भी बढ़ा दी जाएगी। इसके बदले आप अपनी बहन का विवाह मुझसे कर दे।  होरिलसिंह ने इस विवाह से साफ इंकार कर दिया, जिसके कारण क्रोध में उसे बंदी बना लिया गया। जब यह समाचार होरिलसिंह के घर पर गया, तब भगवती मिर्जा के पास गई और कहा कि मैं आपसे शादी करने के लिए तैयार हूं और उसके भाई को रिहा कर दिया गया। भागवती ने कहा मैं नाव से सफर करने से डरती हूं, आप एक खूबसूरत प...

रानी प्रभावती

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एक ऐसी रानी जिन्होंने एक यवन राजा से युद्ध किया और अपनी सूझ बूझ से उसे मौत के घाट भी उतार दिया सती प्रभावती गुन्नौर के राजा की पत्नी थी। वह बहुत ही सुंदर और गुणवान थी। रानी की सुंदरता के चर्चे सुनकर यवन के राजा ने गुन्नौर पर हमला कर दिया। रानी बड़ी वीरता से लड़ी। बहुत से राजपूत और यवन सैनिक मारे गए। जब थोड़ी सी सेना बच गई, तब रानी गुन्नौर किले से नर्मदा किले में चली गयी। गुन्नौर पर यवनों का आधिपत्य स्थापित हो गया। यवन सेना ने रानी का पीछा किया लेकिन रानी ने फाटक बंद करवा दिया। दरवाजे के बाहर अपने सेना के साथ खड़े यवन राजा ने रानी को पत्र लिखकर उन्हें भिजवाया। उस पत्र में लिखा था ' तुम आत्मसमर्पण कर दो और मुझसे विवाह कर लो। मैं तुम्हारा राज्य लौटा दूंगा और तुम्हारे दास की तरह रहूंगा।' रानी ने कूटनीति की दृष्टि से उस पत्र का उत्तर भेजा, जिसमें लिखा था "मैं विवाह करने के लिए तैयार हूं, लेकिन विवाह में पहनने के लायक पोशाक आपके पास नहीं है, मैं दुल्हे के पहनने के योग्य कपड़े आपको भेजती हूं, आप उसी को पहनकर अन्दर आए।"  यह पत्र पढ़कर यवन राजा बहुत खुश हुआ। दूसरे दिन रानी ने ...

फूलमती (फुलदेवी)

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औरंगजेब के अत्याचार से आतंकित एक आम स्त्री  देवल गाँव में एक विधवा वृद्ध स्त्री की एक मात्र कन्या फूलमती थी। वह पुरन्दर नाम के युवक से प्रेम करती थी। दोनों गाँव की पाठशाला में एक साथ पढ़ते थे। फूलमती की माँ ने पुरन्दर के साथ फूलमती का विवाह पक्का कर दिया।  एक बार औरंगजेब ने फूलमती को देखा और फूलमती पर मोहित हो गया।औरंगजेब ने अपने सैनिकों को गाँव भेजकर,फूलमती का अपहरण करा लिया। औरंगजेब के पास आने के बाद फूलमती का नाम बदलकर फूलजानी बेगम कर दिया और उससे जबरदस्ती विवाह कर लिया। कोई रास्ता न देखकर फूलमती ने पुरन्दर को एक पत्र लिखा और एक विश्वास पात्र दासी के द्वारा उसे पुरन्दर तक पहुंचा दिया। पत्र पढ़कर पुरन्दर फूलमती से मिलने महल में आया।  जब औरंगजेब को पता चला कि पुरन्दर महल में है,तो उसने सैनिकों को उसे बंदी बना कर लाने की आज्ञा दी। पुरन्दर जब औरंगजेब के सामने लाया गया,तब उसका शरीर तीरों से छल्ली था। औरंगजेब ने पुरन्दर से अपने आगे झुकने को कहा, लेकिन पुरन्दर ने इंकार कर दिया। इसके बाद पुरन्दर को औरंगजेब ने मृत्युदंड दे दिया। जब यह ख़बर फूलमती तक पहुंची तब, फूलमती औरंगजेब के...