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Showing posts from March, 2020

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल

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अलेक्जेंडर ग्राहमबेल का जन्म  3 मार्च 1873 को स्कॉटलैंड में  हुआ था। बचपन में  अलेक्जेंडर  ने प्यानो बजाना सीखा। उनके परिवार को संगीत में रुचि थी। अलेक्ज़ेंडर   के पिता लंदन में शिक्षक थे। उनकी मां सुन नहीं सकती थी। उनके दो भाई भी थे , जिनकी टीवी की बिमारी के कारण जल्दी ही मृत्यु हो गई। वो  स्पीच शिक्षक थे। अलेक्ज़ेंडर  भी बीमार हो गए, तब उनके  पिता ने लंदन का अपना काम छोड़ा और अपने पूरे परिवार के साथ जहाज पर  कनाडा  रवाना हो गए। वे 1 अगस्त 1870  को क्यूबेक कनाडा पहुंचे।  वो औंटेरियो शहर के पास   ब्रैंटफोर्ड  में बसे। अप्रैल में मिस्टर बेल को   बॉस्टन  में बहरे बच्चों के शिक्षकों को भाषण देने के लिए निमंत्रण मिला। अप्रैल 1871  में 24 वर्षिय  अलेक्ज़ेंडर  बॉस्टन के लिए रवाना हुए। अलेक्ज़ेंडर  बॉस्टन के बहरो के स्कूल में गया, वहां की प्रिंसिपल  मिस सारा फुलर  थी। अलेक्ज़ेंडर   दिन  बह रे बच्चों को पढ़ाते थे और रात में अपने प्रयोगों पर काम...

ऐसी महामारी जिसने यूरोप की आधी आबादी को खत्म कर दिया था?

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  प्लेग (ब्लैक डैथ) की शुरुआत इसके कारणों और परिणामों पर तमाम तरह के शोध हुए है। सभी शोधों से यह पता चलता है कि ये महामारी   चीन से  शुरू हुई थी। चीन  में ये रोग कैसे शुरू हुआ ये अब तक एक रहस्य बना हुआ है लेकिन उस दौर में  चीन  में कई बार   प्लेग ( इसे ब्लैक डैथ के नाम से भी जाना जाता है )   फैला था। 1340  के बाद  चीन  में फिर एक बार  प्लेग  फैला लेकिन इस बार ये चीन की सरहद तक सिमट कर नहीं रहा। ये बीमारी बाकी जगह कैसे पहुंची ? व्यापार में सहूलियत के हिसाब से   मध्य एशिया, एशिया व दक्षिण यूरोप  के बीच संपर्क स्थापित करने के लिए   जल व थल मार्ग  विकसित किया गया था। जिसे   सिल्क रोड  कहा जाता था क्योंकि उसी रोड से सिल्क का व्यापार हुआ करता था। 14 वीं शताब्दी  के चौथे दसक में चीन में प्लेग का विस्फोट हुआ। प्लेग  फैलाने वाले कीटाणु   काले चूहों  के साथ  सन्  1346  में  चीन  के युक्रेन के क्रीमि...

वो महामारी जिससे गांधी जी और आम जनता को ग्रस्त किया, 5 करोड़ लोगो की जान गई?

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इन्फ्लूएंजा महामारी ये वायरस H1 N1  के कारण फैली। इसे   स्पेनिश फ्लू  भी कहा जाता है। 1918 से 1920 तक  स्पेनिश फ्लू  फैला था। इस फ्लू से  5 करोड़  लोगो की मौत हुई थी। कहा जाता है कि यह फ्लू  अमेरिका  से फैला था। इसका नाम स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा ? प्रथम विश्व युद्ध जो 1914 से 1918 के बीच चला था।   1917  में अमेरिका  ने इस युद्ध में भाग लिया था। प्रथम विश्व युद्ध  के समय ट्रेंच वार यानि  (खाहि में छुप कर एक दूसरे पर वार करना)  ट्रेंच वार   फ्रांस और जर्मनी  के बॉर्डर पर चल रहा था। सारे सैनिक खाहि में ही रहते थे और वही खाते - पीते भी थे। बाकी सारे काम भी खाहि में ही करते थे जिसकी वजह से वहां काफी कीचड़ हो गया था और वहां जो सैनिक मर जाते थे या बीमार हो जाते थे उन्हें उनके देश वापस भेज दिया जाता था। इस  ट्रेंच वॉर  में  अमेरिका  के सैनिक भी थे। जब वे वापस अपने देश में गए तो यह वायरस  अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस  में फ़ैल गई। पर इ...

कौन थे डगलस एंजेल्बर्ट ?

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डगलस  एंजेलबर्ट ( डग) का जन्म   30 जनवरी 1925 को ओरेगन के पास पोर्टलैंड  में हुआ था। उनके पिता रेडियो मकैनिक और मां गृहणी थी। उन्होंने  इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग  की डिग्री हासिल करने के बाद,दूसरे विश्वयुद्ध में  रडार टेक्निशियन  के रूप में काम किया। इसके बाद वे नासा की संस्था  नाका  में   इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के पद पर काम करने लगे। जल्द ही वो नौकरी छोड़ कर  डॉक्ट्रेट  की उपाधि के लिए  बर्कले  स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय चले गए। बाद में उन्होंने  आग्मेंटेशन  शोध केंद्र  के नाम से अपनी प्रयोगशाला स्थापित की। उनकी प्रयोगशाला ने  एआरपीएनेट   के  विकास में सहयोग किया, जिसने आगे चलकर इंटरनेट का रुप लिया। डगलस  एंजेलबर्ट  सिर्फ माउस के ही जन्मदाता नहीं थे बल्कि  ईमेल,बर्ड प्रोसेसिंग और टेलीकॉन्फ्रेंसिंग का  भी शुरुआती काम किया था। उन्हें  1997  में लेमेलसन- एम आईटी पुरस्कार   और   2000    म...

पहले कंप्यूटर की कीमत, एक कमरे के बराबर कंप्यूटर, लकड़ी का माउस

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माउस  का आविष्कार माउस  का आविष्कार   1960  में  एंजेल्बर्ट  ने किया है। उस समय बड़े - बड़े कमरों के बराबर कंप्यूटर होते थे। इन मशीनों में  पंच कार्ड  द्वारा डाटा भरे जाते थे। लकड़ी का माउस   लकड़ी का माउस  19 63  में   बिल इंग्लिश  ने  डगलस  के स्केचेज के आधार पर बनाया,जिसे चलाने के लिए दो पहियों का इस्तेमाल किया।                             लकड़ी का माउस माउस का पहला डिमॉन्स्ट्रेशन डगलस  ने   19 68  में सैन फ्रांसिस्को के कंप्यूटर कॉन्फ्रेंस में माउस का पहला डिमॉन्स्ट्रेशन दिया। पहली डिजिटल माउस  जैक हॉली और बिल इंग्लिश डगलस  के इस काम से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने इसी के आधार पर   पहली डिजिटल माउस 1972  में जीरॉक्स पार्क डिजाइन किया। इस  माउस  में एनलॉक से डिजिटल में कन्वर्ट करने की जरूरत नहीं होती थी,यह सीधे इंफॉर्मेशन कंप्यूटर को भेजता था। इसी  माउस ...

ग्वालियर के सिक्कों का पूर्ण इतिहास

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पहली सदी में  ग्वालियर  की गद्दी  नागवंश  के आधीन हो चुकी थी।  ग्वालियर  में ढ़ाले सिक्के  नागराज  काल के थे और पहले सिक्के  तांबे  के थे जिनका वजन 2.78 gm  था। ये सिक्के  ग्वालियर  के पड़ोसी राज्यों  पवाया  और   नरवर  में भी पाए गए थे। जिससे ये पता चलता है कि इन सिक्कों का चलन काफी दूर तक फैला हुआ था। ग्वालियर  भारत के मध्य प्रदेश  का एक महत्वपूर्ण शहर है इसे भारत  का केंद्र बिंदु कहा जा सकता है। ग्वालियर  पर   तोमर  से लेकर  सिंधियाओं  ने राज किया है। ग्वालियर  के किले में, वहां की वास्तुकला और सिक्कों में ग्वालियर का अद्भुत इतिहास झलकता है, पर इन  सिक्कों  का ढ़लान किस जगह हुआ था इसका कोई प्रमाण या लेख उपलब्ध नहीं  है। सन् 1021  में  महमूद गजनी  ने ग्वालियर के किले पर हमला कर दिया, लेकिन परिहार राजवंश की वीरता के आगे गजनवी असफल रहा। चार दिन के युद्ध के बाद...

ग्वालियर का नाम ग्वालियर कैसे पड़ा?

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कहा जाता है कि  ग्वालियर  का नाम  ग्वालीपा  नाम के साधु से पड़ा। एक प्रचलित कथा के अनुसार राजपूत वंश के राजकुमार  सूरज सिंह अपने  रास्ते से भटक गए थे।   वही जंगल में पहाड़ पर उन्हें  ग्वालीपा  नाम के साधु मिले। राजकुमार  सूरज सिंह  ने जब उनसे पानी मांगा तब साधु उन्हें एक तालाब पर ले गए तालाब का पानी पीते ही प्यास के साथ साथ उनके कोढ़ की बीमारी भी ठीक हो गई। खुश होकर राजकुमार ने साधु को उपहार देने की इच्छा प्रकट की। साधु ने उपहार स्वरूप पहाड़ पर एक दीवार का निर्माण करवाने को कहा जिससे उसकी पूजा में कोई विघ्न न डाल सके । आगे चलकर  सूरज सिंह  ने किले के अंदर एक भव्य महल का निर्माण करवाया और उस साधु  ग्वालीपा  के नाम पर किले को ग्वालियर का नाम दिया।

आइजैक न्यूटन की जीवन की कुछ महत्वपूर्ण तिथियां

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💠नाम  -  आइजैक न्यूटन। 💠जन्म  स्थान -  इंग्लैंड के लिंकनशायर के वुलस्टोर्प - बाय - काॅलस्टरवर्थ। 💠जन्म तिथि -  25 दिसंबर 1642। 💠माता  पिता -  आइजैक न्यूटन (1606-1642) हन्ना आइंका न्यूूटन  स्मिथ ( ?- 1679) बरनबास स्मिथ (सौतेले पिता ) [ 1582- 1653]। 💠भाई बहन -  मैरी स्मिथ पिलकिंगटन (सौतेली बहन) [1647-?] बेंजामिन स्मिथ ( सौतेला भाई)  [1651 - ?] हन्ना स्मिथ बार्टन ( सौतेली बहन) [ 1652 - ?]। 💠मृत्यु तिथि -  20 मार्च,1727। 💠दफ़न की जगह -  द वेस्टमिंस्टर एब्बे को लंदन। 💠अध्ययन का क्षेत्र -  गणित और बा भौतिक। 💠योगदान व सम्मान -  रॉयल सोसायटी के सदस्य,    रानी ऐनी द्वारा नाइट- हुड, सम्मान। महत्वपूर्ण तिथियां 💠1642  -  आइजैक न्यूटन का जन्म 25 दिसंबर को इंग्लैंड के लिंकनशायर के वुलस्टोर्प - बाय - काॅलस्टरवर्थ में हुआ। 💠1646  -  पिता की मृत्यु गई, मां ने फिर से शादी कर ली और वो आइजैक को उनके नाना नानी के साथ छोड़ कर चली गई। 💠1653 -  आइजैक के सौते...

कन्फ्यूशियस कौन थे ?

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जन्म कन्फ्यूशियस  का जन्म 2500 वर्ष  से भी पहले "  लू " राज्य  में हुआ जो की अब  चीन  के  शानतुंग  की प्रान्त का हिस्सा है। वह  त्साओ  जिले के प्रधान  शुह- लिआंग हीह  के इकलौते पुत्र थे। जब कन्फ्यूशियस का जन्म हुआ तब  शुह- लिआंग हीह  की आयु  70 वर्ष  से अधिक थी। इस दार्शनिक का वास्तविक नाम  कुंग  था। लैटिन और अंग्रेजी भाषाओं  में बदल कर यह  कन्फ्यूशियस  हो गया। जिसका मूल है  कुंग -फू- त्जू  यानि दार्शनिक  कुंग। शिक्षा कन्फ्यूशियस  कि शिक्षा का निचोड़ " शू"  यानि सर्व विदित स्वर्णिम नियम। " दूसरो के साथ ऐसा व्यवहार मत करो जो तुम स्वयं के लिए नहीं चाहते " अपने अनेक वर्षो के अध्ययन और शिक्षण के दौरान  कन्फ्यूशियस  ने पूरे चीन का भ्रमण किया। जब वह  52 वर्ष  के थे उन्हें अपने राज्य "  लू "  में बुलाया गया और  चुंग - तू  का राज्यपाल नियुक्त किया गया। समाज सुधार के कार्य उनके समाज सुधार के कार्य आज के मापदंड...

रेशम का इतिहास,सिंधु घाटी सभ्यता में रेशम ,चीन का रेशम पर अधिकार

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कन्फ्युशियस   के अनुसार 2640 BC में चीन  के सम्राट  हुआंग टी (Huan Ti) की  पत्नी  लेडी सी लिंग शी (Lady Xi Ling Shi)  एक दिन शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर चाय पी रही थी तभी उनकी चाय में एक कीड़ा गिर गया, जो एक चमकीले धागे में लिपटा था वो रेशम का कीड़ा था।  लेडी सी लिंग शी  ने सोचा कि इसे  कीड़े से अलग कर दिया जाय। लेकिन  लेडी सी लिंग शी  ने देखा कि वो चमकीला धागा कीड़े के अंदर से निकल रहा है। ये देखकर  लेडी सी लिंग  शी  को एक विचार आया कि क्यों ना इससे कपड़ा बनाया जाए। उसके बाद सम्राट  हुआंग टी (Huan Ti)  ने जल्द ही  सेरीकल्चर (Sericulture)  विकसित किया। सेरीकल्चर  यानि  रेशम का कीड़ा (Silk worm) पालना केवल रेशम बनाने के लिए। उस रेशे को जोड़ - जोड़ कर धागा बनाया गया,फिर धागे से बुनाई का काम शुरू हुआ। सिंधु घाटी सभ्यता में रेशम  कुछ पुरातत्ववेता  (Archaeologist)  का मानना है कि  सिंधु घाटी सभ्यता (Indus valley civilization)  म...

तुगलक़ वंश के द्वारा चलाए गए सिक्कों का पूर्ण इतिहास

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भारत पर 1320 से 1414 तक तुगलक़ वंश का शासन था। सौ.epic  1325 में मुहम्मद बिन तुगलक  ने राजगद्दी संभाली। जितनी चर्चा  मुहम्मद बिन तुगलक  के चलाए सिक्को की  हुई   उतनी शायद ही किसी और भारतीय राजा के सिक्कों की  हुई होगी। ब्रिटिश मुद्रा शास्त्री एडवर्ड थॉमस (Edward Thomas)  ने  मुहम्मद बिन तुगलक  को  प्रिंस ऑफ मनीयर (Prince Of Moneyers)  कहा इसका मतलब सिक्का चलाने वाला राजा। एडवर्ड थॉमस  ने  मुहम्मद बिन तुगलक  को राजाओं में सर्वोच्च राजा भी कहा। शुरुआत में  मुहम्मद बिन तुगलक  ने जो सिक्के जारी किए वो उनके पिता  गयासुद्दीन  तुगलक  द्वारा जारी किए गए सिक्कों की तरह ही थे। इन सिक्कों पर  अल - शहीद  लिखा गया था जिसके द्वारा गयासुद्दीन तुगलक को श्रद्धांजलि दी गई थी। ये सिक्के चर्चा का विषय बन गए थे क्योंकि लोग मानते थे कि  गयासुद्दीन  तुगलक  की मृत्यु जिस दुर्घटना में हुई उसके पीछे  मुहम्मद बिन तुगलक  का ...