बलराम जी को ब्रह्म हत्या का पाप क्यों लगा ?

जब महाभारत का युद्ध शुरु हुआ तब बलराम जी तीर्थ यात्रा पर निकले, तब यात्रा करते हुए वे नैमिषारण्य क्षेत्र पहुंचे। जहां ऋषियों का सत्संग हो रहा था। 

बलराम जी के वहां पहुंचते ही सभी ऋषि उठकर उनका स्वागत करने लगे लेकिन भगवान व्यास के शिष्य रोमहर्षण अपनी जगह से नहीं उठे। 

ये देखकर बलराम जी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने कुश की नोक से उनके ऊपर वार किया, जिससे रोमहर्षण की मृत्यु हो गई। 

तब ब्राह्मणों ने बलराम जी को बताया कि आपसे बहुत बड़ी गलती हो गई है रोमहर्षण जी को हमने ही ब्राह्मणोचित आसन पर बैठाया था और जब तक हमारा सत्र समाप्त न हो, तब तक के लिए उन्हें शारीरिक कष्ट से रहित आयु भी दे दी थी। 

आप से अनजाने में जो काम हुआ है, वो ब्रह्महत्या के समान है।

फिर बलराम जी ने इसका प्रायश्चित भी किया।

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