रानी उर्मिला

स्वाधीनता संग्राम में अपनी बलि देने वाली भारतीय नारी।

11 वीं सदी का अंतिम चरण था, महमूद गजनवी लगातार हमले कर , मंदिरों को तोड़ रहा था। सोमनाथ का विशाल कुख्यात स्मारक गुजरात की छाती पर खड़ा था। 

राजा जयपाल की रानियों का सतीत्व 

इसी समय अजमेर का राजा धर्मगजदेव अपनी वीरता और न्याय के लिये बाहर के देशों में भी प्रसिद्ध हो चुका था।

 उसकी रानी उर्मिला पति भक्त और सतीत्व की थी,वह बहुत सुंदर थी। राजा को राज्य प्रबंध में अपना सहयोग देती थी। 

अचानक महमूद गजनवी ने अजमेर पर आक्रमण कर दिया। राजा का अपराध केवल इतना था कि जिस समय मलेच्छों ने सोमनाथ मंदिर की मूर्ति पर गदा प्रहार किया,राजा ने मुसलमानो से युद्ध किया।

इसी का बदला लेने के लिये महमूद गजनवी मौका देख रहा था। ऐसे अवसर पर भारतीय नारियों और कन्याओं ने भी साथ दिया।

उर्मिला ने राजा से कहा कि मैं भी आपके साथ रण में चलना चाहती हूं। तब राजा ने कहा कि "रानी मैं तुम्हें रण में ले जाने में मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं लेकिन अजमेर के प्रबंध के लिए मैं तुम्हें यहीं छोड़ दूं " 

राजपूत बहुत वीरता से लड़े शत्रुओं के छक्के छूट गये। एक यवन के तीर ने राजा के प्राण ले लियें। 

सांय काल शव किले में लाया गया। एक बड़ी सी चिता तैयार की गई, जिसपर रानी उर्मिला और धर्मगजदेव दोनों ही साथ स्वर्ग चले गये।

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