पदाति सेना और अक्षोहिणी सेना !

पदाति सेना

1) प्राचीन भारत में विश्व के बाकी भागों की तरह पदाति सैनिक (पैदल सैनिक), सेना को प्रमुख अंग माना जाता था। वैदिक काल में पदाति सेना का काफी महत्व था।


2) दुर्ग की रक्षा के लिए पैदल सैनिक का अधिक महत्व है क्योंकि जिस समय शत्रु दुर्ग के फाटक को तोड़ रहा हो, उस समय पैदल सैनिक ही दुर्ग की दीवारों पर और बुर्जो में या दीवालों के पीछे से अपने अस्त्र शस्त्र के साथ दुर्ग की रक्षा करते हुए आक्रमणकारियों पर प्रहार कर सकते थे।


3) अथर्ववेद के अनुसार पदाति सेना रथ - सेना से कम महत्व की मानी जाती थी। अथर्ववेद में कहा गया है कि अग्नि देवता शत्रुओं पर उसी तरह विजय प्राप्त करते है जैसे रथारोही पैदल पर।

4) महाभारत के अनुसार उनके युद्धों से यह पता चलता है कि पदाति योद्धा रथ पर सवार योद्धा के पीछे - पीछे अनुग , पदानुग और अनुचर की तरह चलने वाले थे।

5) पी. सी. चक्रवर्ती के अनुसार हिन्दू सेनाओं में चौथी शताब्दी ई. पू. से लेकर 1200 ई. के अंत तक पैदल सैनिकों की अधिकता बनी रही।


6) अग्नि पुराण के अनुसार जिस राजा की सेना के पदाति सैनिकों की संख्या अधिक होती है। वह निश्चित ही शत्रु पर विजय प्राप्त करता है।


7) यूनानी लेखक कर्टियस, एरियन, डायोडोरस , मेगास्थनीज आदि ने चौथी शताब्दी ई. पू. की भारतीय पैदल सेना के विषय में बताया है। कर्टियस ने लिखा है कि 38,000 पैदल सैनिक अश्वकों के मस्सग नगर की सुरक्षा करते थे।


8) सिकंदर के विरुद्ध युद्ध में पोरस ने रथ क्षेत्र में जो सेना उतारी थी। कर्टियस के अनुसार 30,000  पैदल सैनिक और प्लूटार्क के अनुसार 20,000 पैदल सैनिक थे।


9) भारत में सिकंदर की वापसी के लिए संयुक्त तैयारी की थी। डायोडोरस और कर्टियस दोनों संयुक्त पैदल सैनिकों की संख्या 90,000 और 80,000 हजार बतायी है।


10) मौर्य काल में इस सेना कि संख्या में अधिक बढ़ोत्तरी हुई। चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना में प्लिनी के अनुसार 6 लाख पैदल सैनिक थे।


अक्षोहिणी सेना 

 1 महावत + 3 धनुर्धारी = 4 मनुष्य + 1 हाथी 

1 सारथी + 4 धनुर्धारी = 5 मनुष्य + 1 अश्व (एकरथ) 

                3 घुड़सवार = 3 मनुष्य + 3  अश्व (घोड़ा)

                5 पदाति = 5 मनुष्य

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कुल 17 मनुष्य + 6 पशु 

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17 मनुष्य + 6 पशु = 1 पत्ति 

                 3 पत्ति = 1 सेनामुख 

           3 सेनामुख = 1 गुल्म

                3 गुल्म = 1 गण 

                 3 गण = 1 वाहिनी

            3 वाहिनी = 1 प्रूतना

              3 प्रूतना = 1 चमू

             3 चमू = 1 अणिकीनि

     10 अणिकीनि = 1 अक्षोहिणी 

     1 अक्षोहिणी = 3,71,790 सैनिक , 1,09,350 अश्व , 21, 870 हाथी 


1 पदाति = 1 सेक्शन 

3 सेक्शन्स = 1 प्लाटून 

3 प्लाटू्न्स = 1 कम्पनी 

3 कम्पनीज = 1 रेजीमेंट 

3 रेजीमेंटस = 1 ब्रिगेड 

3 ब्रिगेडस = 1 डिविजन 

3 डिविजनस = 1 कोअर

3 कोअर = 1 कमांड 


हाथी पर एक महावत होता था और अंबारी में चार धनुर्धारी होते थे। इस तरह हाथी के साथ कुल 5 मनुष्य होते थे।


रथ में एक सारथी और चार धनुर्धारी होते थे। इस तरह कुल 5 व्यक्ति होते थे।


3 अश्वों पर तीन सवार होते थे और 5 पदाति (पैदल) होते थे। 


वैदिक काल में सेना के अल्पमत भाग में एक हाथी, रथ को जोड़े हुए दो अश्व, तीन अन्य अश्व ऐसे कुल 6 पशु और 17 मनुष्य होते थे।



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