नूर इनायत खान से जुड़ी कुछ खास बातें !
1) नूर का पूरा नाम नूर-उन-निसा इनायत खान था।
2) उनकी मां ओरा मीना रे बेकर (अमीना बेगम) अमेरिकी और पिता हजरत इनायत खान था और वो टीपू सुल्तान के परपोते थे।
3) नूर का जन्म रूस की राजधानी मॉस्को में 1914 को हुआ था।
4) नूर के पैरेस के घर का नाम फजल मंजल था।
6) 1943 में वह सीक्रेट एजेंट बनी।
7) वह दुसरे विश्व युद्ध में पहली एशियन सीक्रेट एजेंट थी।
8) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नूर विंस्टन चर्चिल की काफ़ी विश्वशनीय थी।
9) नूर पहली महिला रेडियो ऑपरेटर थी,जिन्हें नाजियों के कब्जे वाले फ्रांस में भेजा गया था। वहां नूर का काम था कि वो छापामार कारवाही को बढ़ावा दे।
10) लंदन में रहने वाली भारतीय मूल की एक पत्रकार बीश्राबणी बासु ने उनकी आत्मकथा “स्पाई प्रिंसेस यानी जासूस राजकुमारी- नूर इनायत ख़ान” लिखी है।
11) नूर महात्मा गांधी के विचारों की प्रशंसक थी और भगवान बौद्ध से प्रभावित होकर उन्होंने एक किताब " ट्वेंटी जातका टेल्स " लिखी जो 1939 में प्रकाशित हुई थी।
13) नूर की पहली एप्लिकेशन रिजेक्ट हो गई थी क्योंकि वो फ्रेंच नागरिक थी जन्म मॉस्को में हुआ था और नाम इंडियन था।
14) नूर के इंस्ट्रक्टर का नाम लियो मार्क था।
15) 19 नवंबर 1940 को नूर रॉयल एयरफोर्स में द्वितीय श्रेणी के एयरक्राफ्ट अधिकारी के रूप में शामिल हुई। यहां पर उन्होंने वायरलेस ऑपरेटर की ट्रेनिंग पूरी की।
16) जून 1941 में उन्होंने रॉयल एयरफोर्स बॉम्बर ट्रेनिंग स्कूल में कमिशन के सामने आर्म्ड फोर्स ऑफिसर के लिए एप्लाई किया। यहां पर उन्हें वायरलेस ऑपरेटर से प्रमोशन देकर असिसटेंट सेक्शन ऑफिसर बनाया गया।
17) 16-17 जून 1943 को उन्हें जासूसी के लिए रेडियो ऑपरेटर बनाकर फ्रांस भेज दिया गया। यहां पर उनका कोड नाम 'मेडेलिन' रखा गया।
18) नूर के जासूसी के लिए जाने से पहले लियो मार्क ने एक सोने का शीशा नूर को दिया था। जिसका मतलब शायद ये था कि अगर नूर किसी परेशानी में हो तो इसे बेचकर उन पैसों का इस्तेमाल कर सके।
19) 25 नवंबर 1943 को नूर एसओई एजेंट जॉन रेनशॉ और लियॉन के साथ किसी तरह से भागने में सफल हो गई थीं। लेकिन यहां पर किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें हैडक्वार्टर से कुछ दूरी पर गिरफ्तार कर लिया गया।
27 नवंबर 1943 को नूर को पेरिस से जर्मनी के फॉर्जेम जेल भेज दिया गया।
20) यह पहली बार है जब ब्रिटेन में किसी पहली मुस्लिम, भारतीय और एशियाई महिला कि प्रतिमा लगी।
21) नूर पेरिस में गैरी और रेने के पास रही। जो भाई बहन थे। दोनों फ्रेंच रेजिस्टेंस के मेंबर थे और ब्रिटिश स्पाइस के साथ मिलकर काम करते थे।
22) नूर का पहला कोड नाम " मैडलेन " गैरी ने ही दिया था।
23) नूर स्वभाव से काफ़ी नर्मदिल थी। जुलाई से अक्टूबर के बीच नूर अकेली ऑपरेटर थी।
24) मार्क ने नूर को कहा था कि जिस दिन वो 18 कैरेक्टर का मैसेज भेजेंगी तो इसका मतलब है कि वो खतरे में है।
25) नूर की ही दोस्त " रेने " ने 1000 फ्रैंक के लिए नूर को नाजियों के हाथों पकड़वा दिया।
26) नूर को पकड़ने के बाद पेरिस कि अविन्यू फॉस में रखा गया , 84 अविन्यू फॉस एक 5 मंजिला इमारत हैै।
उसकी 5 वीं मंजिल पर एजेंट से पूछताछ कि जाती थी और उन्हें टॉर्चर भी किया जाता था।
27) नूर के वायरलेस सेट का नाम "सिनेमा " था। एक बार नूर अपने वायरलेस सेट के साथ एक पार्क में बैठी थी तभी नाजी सैनिक वहां आए और उन्होंने नूर से पूछा इस सूटकेस में क्या है। नूर ने बिना हिचकिचाए कहा सिनेमा की मशीन है। नूर का कॉन्फिडेंस देखकर वो सैनिक वहां से चले गए।
29) हिटलर और गेस्टापो के पूर्व अधिकारी हैंस किफ़र ने नूर से गुप्त सूचनाएं लेने की कोशिश कि , लेकिन सफलता उनके हाथ नहीं लगी।
30) 11 सिंतबर 1944 को नूर को उनके तीन साथियों के साथ जर्मनी के डकाऊ प्रताड़ना शिविर ले जाया गया। 13 सितंबर 1944 की सुबह इन सभी के सिर में गोली मारने का आदेश सुनाया गया।
पहले नूर के तीन अन्य साथियों को गोली मारी गई बाद में नूर से अंतिम बार गुप्त सूचनाओं का ब्यौरा मांगा गया। मना करने पर उनके सिर में गोली मार दी गई।
सम्मान
1) ब्रिटेन में मरणोपरांत 1949 में जॉर्ज क्रॉस से नूर को नवाज़ा गया।
2) ब्रिटिश गैलेन्ट्री अवार्ड मेंसंड इन डिस्पैचिज।
3) फ्रांस की ओर से नूर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान “क्रोक्स डी गेयर” दिया गया।
4) ब्रिटेन की ओर से उन्हें मेमोरियल ब्लू प्लेक यानी नीली पट्टी स्मारक का सम्मान मिलेगा और वह ब्रिटेन में ये सम्मान पाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला बन जाएंगी।
10) लंदन के स्क्वेयर गार्डन्स में जहां वो बचपन में रहा करती थी उस मकान के नजदीक तांबे की एक प्रतिमा लगी है।






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