प्राचीन भारत में कितने प्रकार की सेनाएं होती थी ?

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में राज्यों के सात अंगों में से एक महत्वपूर्ण अंग सेना को माना जाता है। 



मौर्य काल में कौटिल्य ने 6 प्रकार के बलों (सेनाओं) का वर्णन अर्थशास्त्र में किया है। -

1) मौल बल ( सेना ) -
स्वामिभक्त व मूल स्थान की रक्षा के लिए थी।

2) भृतक बल - सवैतनिक थी।

3) श्रेणी बल - अस्त्र शस्त्र निपुण व अन्य कार्यो से संबद्ध थी।

4) मित्र बल - मित्र राजा की सेनाएं थी।

5) अमित्र बल - शत्रु द्वारा प्राप्त सेनाएं थी।

6) अटवी बल - आटविक सेना थी।

अर्थशास्त्र में कौटिल्य ने 6 प्रकार के बलों (सेनाओं) के अलावा एक सातवें प्रकार की सेना का वर्णन किया है।

औत्साहिक बल से मतलब नेतृत्व विहीन , अलग - अलग देशों में रहने वाली राजा स्वीकृति या अस्वीकृति से ही दूसरे देशों में पर लूट मार करने वाली सेना से है।

कौटिल्य ने उसके भेद किए है  - भेद और अभेद ।

1) भेद सेना -

भेद से मतलब दैनिक भत्ता या मासिक वेतन लेकर शत्रु के देश में लूटपाट करने वाली , राजा की सामयिक आज्ञाओं का पालन करने वाली और दुर्गो में कार्य करने वाली सेना से है।

2) अभेद सेना -

एक ही देश व्यवसाय व जाति की होती है। इस सेना को किसी भी लालच आदि से फोड़ा नहीं जा सकता था। ऐसी सेना ही उस समय के लिए रखना चाहिए।

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