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Showing posts from September, 2025

कौन थे क्रांतिकारी सत्येंद्र नाथ बोस ?

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🍁सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म मिदनापुर (पश्चिम बंगाल) में 30 मई,1882 में हुआ था।  🍁वे सरकारी विद्यालय में शिक्षक थे। इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया। वे आनंद मठ के संस्थापकों में से एक थे, जो कि मिदनापुर की एक क्रांतिकारी गुप्त सभा थी।  🍁वे अरविंदो घोष की मदद से क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़े और  छात्र भंडार नाम की संस्था बनायी। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी का प्रचार करना और युवाओं को क्रांतिकारी दल से जोड़ने का था। 🍁गुप्त समिति की स्थापना सत्येंद्र बोस ने की। इन्होंने ही खुदीराम को एक पिस्तौल भेंट की और उसे चलाना भी सिखाया। 🍁खुदीराम को सरकार विरोधी पर्चा बांटने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। 🍁सरकार चाहती थी की सत्येंद्र नाथ खुदीराम के विरुद्ध गवाही दे,पर उन्होंने खुदीराम के पक्ष में गवाही दी। जिसके कारण खुदीराम को 13 अप्रैल ,1906 को रिहा कर दिया गया।  🍁इसके नाराज होकर मजिस्ट्रेट डी. वेस्टन ने सत्येंद्रनाथ को 1 अप्रैल ,1906 को सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। 🍁कलकत्ता में "डी. एच. किंग्जफोर्ट" चीफ प्रेजेंसी मजिस्ट्रेट था और बहुत ही क्...

माँ दुर्गा के 108 नाम

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1 🌺 सती  2 🌺 साध्वी  3 🌺 भवानी  4 🌺 आर्या  5 🌺 जया  6 🌺 दुर्गा 7 🌺 त्रिनेत्रा 8 🌺 भव्या  9 🌺 अनंता  10 🌺 अहंकारा 11 🌺 कृष्णा  12 🌺 काली  13 🌺 विंध्यवासिनी  14 🌺 विजया  15 🌺 प्रसन्ना  16 🌺 वरदा  17 🌺 सरन्या  18 🌺 ज्योत्सना  19 🌺 प्रभा  20 🌺 रात्री  21 🌺 संध्या 22 🌺 विद्या  23 🌺 सिद्धि  24 🌺 ध्रुति  25 🌺 श्री 26 🌺 संतति  27 🌺 कीर्ति 28 🌺 चतुर्भुजा  29 🌺 ब्रह्मचारिणी  30 🌺 त्रिभुवनेश्वरी  31 🌺 कुमारी 32 🌺 शिवा  33 🌺 मंगल्या 34 🌺 देवी  35 🌺 शिवदूती  36 🌺 विष्णुमाया 37 🌺 भद्रकाली 38 🌺 तपस्विनी 39 🌺 कालरात्रि  40 🌺 महबला  41 🌺 युवती  42 🌺 किशोरी  43 🌺 शांभवी 44 🌺 कात्यायनी  45 🌺 शैलपुत्री  46 🌺 वैष्णवी  47 🌺 चित्रा 48 🌺 भाविनी 49 🌺 सावित्री  50 🌺 परमेश्वरी 51 🌺 महेश्वरी  52 🌺 लक्ष्मी  53 🌺 वाराही 54 🌺 चामुण्डा 55 🌺 सुंदरी 56 🌺 मातंगी  57 🌺 बहुला 58 ?...

कमला देवी चटोपाध्याय - 3

इन्होंने कई किताबें भी लिखी जो इस प्रकार है -  (1) द अवेकिंग ऑफ़ इंडियन वूमेन (2) जापान इट्स वीकनेस एंड स्ट्रेंथ (3) इन वॉर टर्न चाइना (4) टुवाडर्स ए नेशन थेटर जैसी किताबें लिखी।  पुरस्कार और सम्मान  (1) 1955 में भारत सरकार ने इन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया  (2) साल 1987 में भारत सरकार ने इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया  (3) सामुदायिक नेतृत्व के लिए 1966 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से (4) संगीत नाटक अकादमी द्वारा 1974 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से  (5) यूनेस्को ने इन्हें 1977 में हैंडीक्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए (6) शांति निकेतन ने अपने सर्वोच्च सम्मान देसीकोट्टम से सम्मानित किया गया। अन्य बातें  कमला देवी ने इंडियन नेशनल थिएटर की स्थापना की वही बाद में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के तौर पर विकसित हुआ। संगीत नाटक अकादमी की स्थापना में भी उनका हाथ था। वे 1927 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की सदस्य बनी। कमला देवी ने ऑल इंडिया वूमेंस कांफ्रेंस की स्थापना की।  इनका निधन 1988 में 29 अक्तूबर को हुआ था।

कमला देवी चटोपाध्याय - 2

फ्रीडम साल्ट उन्होंने गांधी जी के नमक आन्दोलन 1930 में और असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लेने वाली महिलाओं में से थी। कमला देवी एक दिन अपने साथियों के साथ "बम्बई स्टॉक एक्सचेंज " में घुस गई और नमक की छोटी - छोटी पुड़िया बनाकर उसे बेचा और 48,000 रूपये इकठ्ठा किए जो अपना विद्रोह जताने और आन्दोलन के लिए खर्च के लिए थे। इस  नमक को " फ्रीडम साल्ट " का नाम दिया गया।  ब्रिटिश सरकार ने इन्हें इसके लिए 9 माह के कारावास की सजा सुनाई। नमक कानून तोड़ने पर बॉम्बे प्रेसीडेंसी में गिरफ्तार होने वाली वह पहली महिला थी। महिलाओं को आंदोलन में शामिल करना महिलाओं को आंदोलनों में भागीदारी दिलाने वाली कमला देवी ही थी। गांधी जी महिलाओं के आंदोलनों में भागीदारी के पक्ष में नहीं थे, पर कमला देवी के ही कोशिशों के फल स्वरूप गांधी की जी महिलाओं के आंदोलनों में शामिल किया।  नमक आन्दोलन , असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।   स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे चार बार जेल गई और पाँच साल तक सलाखों के पीछे रहीं। एक अभिनेत्री   कमला देवी ने...

कमला देवी चटोपाध्याय - 1

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पहली ऐसी भारतीय महिला थी जिन्होंने  चुनाव में खड़े होने का साहस दिखाया। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा  कमला देवी चटोपाध्याय का जन्म 3 अप्रैल,1903 को मंगलोर (कर्नाटक) के एक संपन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था। ये अपने माता पिता की चौथी और सबसे छोटी संतान थी।  इनके पिता अनंथाया धनेश्वर मंगलोर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर थे और इनकी मां गिरिजाबाई भी पढ़ी लिखी महिला थी।  जब इनकी उम्र केवल 7 साल थी, तब इनके पिता का देहांत हो गया। इनका पहला विवाह 1917 में, 12 साल की उम्र में ही कृष्ण राव के साथ हुआ था लेकिन दो वर्ष के अंदर ही इनके पति का देहांत हो गया।  बाद में इन्होंने 1923 में अपनी मर्जी से सरोजिनी नायडू के छोटे भाई हरिंद्रनाथ चटोपाध्याय से दुसरा विवाह किया। हरिंद्रनाथ एक कवि और नाटककार थे। शादी के बाद वे अपने पति के साथ लंदन चली गई। वहां जाकर उन्होंने लंदन युनिवर्सिटी के बेडफोर्ट कॉलेज से समाजशास्त्र में डिप्लोमा की डिग्री हासिल की। इन्होंने भारतीय पारंपरिक संस्कृत ड्रामा कुटियाअट्टम (केरल ) का गहन अध्ययन भी किया था।  इनके पुत्र का नाम रामकृष्ण चटोपाध्याय था। इनके दूसरी शा...

रवींद्रनाथ टैगोर - 3

अन्य बातें   ✳️ये गुरुदेव उपनाम से मशहूर थे।  ✳️वे एक कथा और कहानीकार, कवि, नाट्य लेखक, शिक्षाविद, समाज सुधारक, राष्ट्रवादी, व्यवसाय प्रबंधक, संगीत और चित्रकला के कलाकार थे।  ✳️वे साहित्य क्षेत्र में एशिया के पह ले नोबल पुरस्कार विजेता बने। ✳️उनकी काव्य रचना गीतांजलि पर वर्ष 1913 में उन्हें नोबल पुरस्कार मिला। ✳️1877 में उन्होंने पहली कहानी और ड्रामा लिखा। ✳️1921 में इन्होंने विश्व भारतीय विद्यालय की स्थापना की। ✳️रविंद्रनाथ टैगोर ने भारत के लिए " जन गण मन "और बांग्लादेश " आमार सोनार बांग्ला " राष्ट्रगान की रचना की। ✳️रविंद्रनाथ टैगोर ने ही गाँधी जी को महात्मा की उपाधि दी थी। ✳️1905 में वायसराय कर्जन ने बंगाल को दो भागों में विभाजित करने का निर्णय लिया, जिसका टैगोर ने विरोध किया। विभाजित बंगाल के एकता के प्रतीक के रूप में राखीबंधन समारोह की शुरुआत की।

रविंद्रनाथ टैगोर - 2

पहली कविता और लेखन   💠इन्होंने अपनी पहली कविता महज 8 वर्ष की आयु में लिखी ,फिर 1877 में इन्होंने एक लघु कथा लिखी। 💠 टैगोर ने काव्य, उपन्यास, नाटक लघु कथा, संगीत और चित्रकला में भी निपुण थे। 💠रविंद्रनाथ ने लगभग 2230 गीतों को भी रचना की थी।  💠16 वर्ष की आयु में उनका काव्य संग्रह " भानु सिंघो " प्रकाशित हुआ, जिसका शाब्दिक अर्थ सूर्य का सिंह है।   नोबल पुरस्कार एक बार जब टैगोर अपने बेटे के साथ भारत से इंग्लैंड जा रहे थे। तब समुद्री मार्ग के समय को काटने के लिए उन्होंने गीतांजलि का अंग्रेजी में अनुवाद एक नोटबुक पर किया और उस नोटबुक को सूटकेस में रख दिया, जिसे वो जहाज पर ही भूल गये। वह सूटकेस एक व्यक्ति को मिला जिसने उसे टैगोर तक पहुँचा दिया।   लन्दन के रिथेस्टिन नामक चित्रकार को को जब पता चला कि टैगोर ने गीतांजलि का अंग्रेजी में अनुवाद किया है तब उसने इसे पढ़ने की इच्छा जतायी।  फिर रिथेस्टिन ने डब्लू बी यिट्स को गीतांजलि पढ़ने की सलाह दी। यिट्स ने इसे पढ़ने के बाद इंडियन सोसाइटी के सहयोग में सितंबर 1912 इसे प्रकाशित किया।  1913 में इन्हें गीतांजलि के लिए इन्...

रविंद्रनाथ टैगोर - 1

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  प्रारम्भिक जीवन  रविंद्रनाथ टैगोर (ठाकुर) का जन्म 7 मई,1861 में कलकत्ता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी के,एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था।  इनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर था, जोकि ब्रह्म समाज के एक वरिष्ठ नेता थे। उनकी मां शारदा देवी एक घरेलू महिला थी। रविंद्रनाथ उनकी 13 वीं संतान थे। रविंद्रनाथ टैगोर जी का 7 अगस्त,1941 को निधन कलकत्ता में हुआ था। शिक्षा   इनकी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता के सेंट जेवियर्स स्कूल में हुई। इनके पिता इन्हें बैरेस्टर बनाना चाहते थे,परंतु इनकी रुचि साहित्य में थी।  इन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। विवाह   रविंद्रनाथ टैगोर और मृणालिनी देवी का विवाह 1 मार्च,1874 को हुआ था। इनके 5 संताने थी।  रवींद्रनाथ टैगोर और मृणालिनी देवी के पाँच बच्चे मधुरिलता देवी, रथींद्रनाथ टैगोर, रेणुका देवी, मीरा देवी, समींद्रनाथ टैगोर थे। 

महर्षि भृगु

✳️महर्षि भृगु और उनकी पत्नी ख्याति से लक्ष्मी जी और धाता ,विधाता नामक दो पुत्र थे। ✳️ महर्षि मेरु की आयति और नियति नाम की कन्याएं थी जिनका धाता और विधाता से विवाह हुआ था। उनसे उनके प्राण और मृकण्डु नामक दो पुत्र हुए।  ✳️मृकण्डु से मार्कण्डेय और उनसे वेदशिरा का जन्म हुआ।  ✳️प्राण का पुत्र द्युतिमान और उसका पुत्र राजवान हुआ।  ✳️ अंगिरा की पत्नी स्मृति थी, उसके सिनिवानी, कुहू, राका और अनुमति नाम की दो कन्याएं हुई।  ✳️अत्रि की पत्नी अनुसूया थी ,जिनके चन्द्रमा, दुर्वासा, योगी और दत्तात्रेय नामक पुत्र थे।  ✳️पुलस्य ऋषि की पत्नी प्रीति थी जिनसे दत्तोलिका का जन्म हुआ जो अपने पूर्व जन्म में स्वयंभू मन्वंतर में अगस्त्य कहे जाते थे। ✳️वशिष्ठ की ऊर्जा नामक पत्नी थी,जिनसे रज, गोत्र, ऊर्ध्वबाहु, सवन, अनघ, सुतपा और शुक्र ये साथ पुत्र हुए। ये सभी तीसरे मन्वंतर में सप्तऋषि हुए।  ✳️प्रजापति पुलह की पत्नी क्षमा थी ,जिनसे कर्दम, उर्वरीयान और सहिष्णु ये तीन पुत्र थे। ✳️कक्तु की संतति नामक भार्या ने अंगूठे के पोरुओं के समान शरीर वाले तथा प्रखर सूर्य के समान 60,000  मुनियों ...

कुबेर कौन है ?

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ब्रह्मा जी के मानस पुत्र पुलस्त्य जी थे जिनकी पत्नी का नाम गौ था। इनके पुत्र वैश्रवण (कुबेर) अपने पिता को छोड़कर अपने पितामह की सेवा में रहने लगे ,इसके कारण उनके पिता उन पर क्रोधित हो गये और पुलस्त्य जी ने अपने आपको ही दूसरे रूप में प्रकट कर लिया। पुलस्त्य जी के आधे शरीर से जो दूसरा द्विज प्रकट हुआ, उनका नाम विश्रवा था। विश्रवा ,वैश्रवण से बदला लेने के लिए सदैव कुपित रहते थे।  लेकिन पितामह ब्रह्मा जी वैश्रवण पर प्रसन्न थे। उन्होंने वैश्रवण को अमरत्व प्रदान किया और उन्हें धन का स्वामी तथा लोकपाल बना दिया। वैश्रवण का एक नलकुबर नामक पुत्र था और लंका को इनकी राजधानी बनाया। साथ ही उन्हें इच्छानुसार विचरने वाला पुष्पक विमान भी दिया। ब्रह्मा जी ने उन्हें यक्षों का स्वामी भी बनाया और उन्हें राजराज की पदवी भी दी।