दुर्गा देवी वोहरा भाग - 3
भगवतीचरण वोहरा की मृत्यु
आजाद की योजना के अनुसार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को उस समय बचाना था, जब वे सेंट्रल से बोसर्टल जेल में ले जाए जाते थे।
28 मई को भगवती चरण, सुखदेव राज और वैशम्पायन के साथ एक बम लेकर लाहौर से कुछ दूरी पर रावी नदी के किनारे के जंगलों में बम टेस्ट करने के लिए गए।
शाम का समय था भगवती चरण के हाथ में बम था ,बम का पीन ढ़ीला था जिसके कारण बम उनके हाथ में ही फट गया। जिससे भगवती चरण का दायां हाथ , चेहरा, बाजू और पेट का कुछ अंश भी उड़ गया। आंखे बाहर निकल आयी और खून की धारा बहने लगी।
वैशम्पायन जी ने तुरन्त ही उनको अपनी गोदी में ले लिया और रोने लगे।
भगवती चरण ने कहा ," पंडित जी से मेरी तरफ से क्षमा मांग लेना, मैं उनका काम पूरा न कर सका। लेकिन मेरे जानें से 1 जून को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को छुड़ाने की योजना पूरी जरूर करें।"
28 मई,1930 को लाहौर में उनकी मृत्यु हो गई।
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