अल्लुरी सीता राम राजू भाग - 2
हाथियारो को अंग्रजों से छीनना
अल्लुरी सीताराम राजु को पता था कि वे धनुष बाण से अंग्रजों का सामना नहीं कर सकते थे। उन्होंने 22 अगस्त, सन् 1922 को पहली बार अंग्रजों से चिंतापल्ली हथियारों को छीन ली।
अब यह सिलसिला चलता रहा। फिर कृष्णादेवीपेटा पुलिस थाने और राजवोमांगी पर लगातार तीन बार बंदूकें, कारतूस और तलवारें आदि छीन लिए गए।
मई 1922 से मई 1924 तक राजू ने 10 से ज्यादा थानों से हथियार लूटे।
इससे तंग आकर अंग्रेजों ने पुलिस थाने में हाथियार रखना छोड़ दिया।
अंग्रेजों को चुनौती
आंध्र प्रदेश के " रंपा" क्षेत्र के निवासी इन्हें आश्रय दिया करते थे।
अंग्रेजों के बहुत कोशिश के बावजूद भी जब अल्लुरी को वे पकड़ नहीं पाये तब, उन्होंने अल्लुरी के एक क्रांतिकारी साथी " विरैयाद्रो " को पकड़ा और उन्हें फांसी की सजा सुना दी। लेकिन अल्लुरी राजु ने अंग्रेजों को चुनौती देते हुए, अपने साथी विरैयाद्रो को छुड़ा ले गए।
इसके बाद अंग्रेज सरकार ने अल्लूरी सिताराम राजू को पकड़ने के लिए 10,000 का ईनाम भी रखा गया।
गिरफ्तारी
7 मई ,1924 को अल्लुरी सीताराम राजु को धोखे से पकड़ लिया और मंपा गांव में एक पेड़ से बांधकर, उन्हें गोली मार दी गई।
अल्लुरी सीताराम राजु के नाम से 1986 में भारतीय डाक विभाग ने एक टिकट जारी किया।
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