बनारस के राजा को क्या श्राप मिला
💎काशी के राजा चेतसिंह (1770-1781) के समय एक अघोरी बाबा कीनाराम के काशी में निवास करते थे। राजा चेतसिंह के पिता बलवंतसिंह बाबा का बहुत आदर करते थे और बाबा को किसी भी पूजा - पाठ में बिना रोक टोक जाते थे।
💎 एक बार चेतसिंह ने शिवाला घाट के महल में एक शिव मंदिर की स्थापना की। जिस दिन शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, महाराज ने चौकीदारों को सचेत कर दिया था कि आज अघोरी बाबा कीनाराम किसी प्रकार भी पूजा समारोह में सम्मिलित न हो पायें।
💎बाबा के आश्रम का फाटक महाराज के महल के सामने था। चेतसिंह के पिता ने बाबा को किसी भी पूजा में आने से नहीं रोका था इसी कारण आज भी बाबा पूजा समारोह को देखने के लिए स्वयं से ही आ गये। उन्हें रोकने का साहस किसी भी राज दरबारी का न था।
💎चेतसिंह ने जब बाबा को देखा तो वह पूजा के आसान पर बैठे हुए ही लाल पीले हो गए और तरह तरह की गाली देते हुए, सिपाहियों को उन्हें मारकर बाहर निकाल देने का आदेश दिया। सिपाहियों का इतना साहस नहीं था कि बाबा से इस प्रकार दुर्व्यवहार करें।
💎इससे पहले कि चेतसिंह अपने आदेश को दोहराएं बाबा ने उन्हें श्राप दिया कि तेरे वंश में कोई भी तेरी आज्ञा पालन करने वाला उत्पन्न न होगा। तुम्हें कभी भी पुत्र प्राप्ति का सौभाग्य न होगा।
💎बाबा ने पुनः हाथ उठाया और कहा यह मंदिर भी तुम्हारे अधिकार में नहीं रहेगा,यह विधर्मियों के स्वामित्व में रहेगा यहाँ कौवे बीट करते दिखाई देंगे।
💎लोगों ने देखा कि यह श्राप सच हुआ और चेतसिंह को उसके बाद केवल पुत्रियों का जन्म हुआ। चेतसिंह का ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ युद्ध हुआ, जिसमें वे पराजित हुए और जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने महल पर कब्जा कर लिया।
💎मंदिर में पूजा - पाठ भी बंद हो गया और अंग्रेज जूते पहन कर मंदिर में जाते थे। कुछ वर्ष बाद यह जगह उजाड़ सी हो गई। यहाँ चमगादड़ और कौवे बीट करते दिखाई दिए।
💎इस घटना के बाद एक बार कीनाराम बाबा शाम को गंगा किनारे घूम रहे थे। जब वे शिवाला महल के नीचे पहुँचे तो अचानक चेतसिंह से उनका सामना हो गया।
💎बाबा ने पिछली बातों को भूलते हुए हँसी में राजा से निवेदन किया कि इस समय भूख लगी है कुछ खाने के लिए मंगावे तो बड़ी कृपा होगी।
💎चेतसिंह मंदिर में हुए व्यवहार का बदला लेने का अवसर देख ही रहे थे। उन्होंने मंत्री को आदेश दिया कि किले के पश्चिम कोने पर गंगा जी में एक मृत शरीर रुका हुआ है जो सड़ने लगा है,डोम से कहकर उसे उठवा कर यहाँ मंगाया लो। मंत्री सदानंद का इतना साहस नहीं था कि बाबा का इस प्रकार अपमान करें।
💎उन्होंने राजाज्ञा का उल्लंघन करते हुए कहा आप मुझे फाँसी भले ही चढ़ा दे परंतु इस प्रकार का घृणित कार्य करने के लिए मैं तैयार नहीं हूँ। बाबा ने राजा की आज्ञा का पालन करने का आदेश दिया।
💎थोड़ी देर में बाबा के सामने मुर्दा लाकर रख दिया गया और व्यंग में चेतसिंह ने भोग लगाने का आग्रह किया। तब बाबा ने अपना दुपट्टा मृतक पर डाल दिया और पाँच मिनट तक उन्होंने कुछ मंत्रों का उच्चारण किया।
💎जिसके बाद मृतक शरीर के स्थान पर विभिन्न प्रकार की मिठाइयां और पकवान रखे हुए थे। इससे राजा प्राभावित हुए और क्षमा याचना की।
💎बाबा ने कहा अब तुम राजा नहीं रह पाओगे इसके बाद अंग्रेजों से युद्ध में चेतसिंह पराजित हुए और ग्वालियर की ओर भाग गये, इसके बाद कभी वापस नहीं लौटे।

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