भगवती चरण वोहरा - 1
प्रारंभिक जीवन
भगवती चरण वोहरा का जन्म 1904 लाहौर में हुआ था। (कुछ किताबों में इनका जन्म 1903 में,आगरा के उत्तर प्रदेश में हुआ बताया गया है) लाहौर में हुआ था।
भगवती चरण वोहरा एक गुजराती नागर ब्राह्मण थे। वह अपने नाम के आगे "बहुरा" लिखते थे। पंजाब में रहने के कारण वह वोहरा बन गया। भगवती चरण एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे।
पिता शिवचरण वोहरा रेलवे में उच्च पदाधिकारी थे। उन्हें अंग्रेजों द्वारा राय बहादुर की उपाधि दी गई थी।
शिक्षा
भगवती चरण 1921 में गांधी जी के आह्वान पर पढ़ाई छोड़ कर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए और आन्दोलन समाप्त हो जाने पर उन्होंने लाहौर कॉलेज से बी. ए.की डिग्री हासिल की।
विवाह
उनका विवाह बचपन में ही दुर्गा देवी से हो गया था। तब वे हाई स्कूल में पढ़ रहे थे। भगवती चरण और दुर्गा देवी का एक पुत्र भी था। जिसका नाम शचिंद्र था। उसका यह नाम शचिंद्रनाथ शान्याल के नाम पर रखा गया था।
क्रांतिकारी जीवन
जब "नौजवान भारत सभा" नामक क्रांतिकारी संगठन का गठन किया गया तो उन्हें संगठन का प्रसार सचिव नियुक्त किया गया। 6 अगस्त,1928 को भगत सिंह और भगवती चरण ने नौजवान भारत सभा का घोषणा पत्र तैयार किया।
ये लाहौर षडयंत्र केस में भी शामिल थे। इनकी लाहौर में बम बनाने की फैक्ट्री भी थी। जहां इन्होंने 23 दिसंबर को वायसराय की ट्रेन में बम फेंकने की योजना बनाकर, उसे अंजाम दिया।
23 दिसंबर, 1929 को दिल्ली आगरा रेल लाइन पर वायसराय लॉर्ड इरविन की स्पेशल ट्रेन उड़ाने की कार्यवाही थी।
उन्होंने ट्रेन के नीचे बम विस्फोट कराने में सफलता भी मिली थी लेकिन विस्फोट से ट्रेन का रसोई घर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी और इरविन बच गया।
इस कार्यवाही के बाद गांधी जी ने ईश्वर को धन्यवाद देते हुए यंग इंडिया में बम की पूजा नामक लेख लिखा और क्रान्तिकारियों को गलत ठहराया।
इसके बाद भगवती चरण ने चन्द्रशेखर आजाद और भगत सिंह से सलाह लेकर "बम दर्शन" शीर्षक से एक लेख लिखा ,जो आम लोगों में काफ़ी लोकप्रिय हुआ।
पुलिस से मिले होने का शक
एक बार भगवती चरण के खिलाफ पंजाब के एक नेता जयचंद्र विलायलंकर ने पार्टी के सभी क्रान्तिकारियों के कान भरे और कहा कि ये पुलिस से मिले हुये है। पुलिस इन्हें इनके काम के पैसे भी देती है।
जिसका असर ये हुआ कि एक बार जब पार्टी को पैसों की जरूरत थी तब भगवती चरण ने 3 हजार रूपए देने की कोशिश कि तब आजाद ने यह कहकर मना कर दिया की मैं पुलिसवालों का पैसा नहीं लेता।
भगवतीचरण वोहरा की शहादत
भगवतीचरण ,यशपाल और धनवंतरी की सहायता से चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को लाहौर जेल से निकालने की योजना बनायी।
आजाद की योजना के अनुसार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को उस समय बचाना था, जब वे सेंट्रल से बोसर्टल जेल में ले जाए जाते थे।
28 मई को भगवती चरण, सुखदेव राज और वैशम्पायन के साथ एक बम लेकर लाहौर से कुछ दूरी पर रावी नदी के किनारे के जंगलों में बम टेस्ट करने के लिए गए।
शाम का समय था भगवती चरण के हाथ में बम था ,बम का पीन ढ़ीला था जिसके कारण बम उनके हाथ में ही फट गया। जिससे भगवती चरण का दायां हाथ , चेहरा, बाजू और पेट का कुछ अंश भी उड़ गया। आंखे बाहर निकल आयी और खून की धारा बहने लगी।
वैशम्पायन जी ने तुरन्त ही उनको अपनी गोदी में ले लिया और रोने लगे।
भगवती चरण ने कहा ," पंडित जी से मेरी तरफ से क्षमा मांग लेना, मैं उनका काम पूरा न कर सका, लेकिन मेरे जानें से 1 जून को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को छुड़ाने की योजना रोके नहीं पूरी जरूर करें।"
28 मई,1930 को लाहौर में उनकी मृत्यु हो गई।

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