कोहिनूर हीरे की कुछ दिलचस्प बातें !

(1) 1083 CE में काकतीय वंश को आज के आंध्र प्रदेश के कोल्लूर के गोलकुंडा माइन से कोहिनूर हीरा मिला था। उस समय ये 793 कैरेट का था ,जिसे वारंगल देवी की बाएं आँख में लगाया गया। जो काकतीय वंश की कुल देवी है।

(2) फिर इसे वेनेस के एक जौहरी ने तरासा जिससे इसका वजन 186 कैरेट हो गया। 

(3) कोहिनूर पर श्राप है कि ये हीरा जिसके पास रहेगा वो दुनिया का मालिक बनेगा लेकिन बदकिस्मती का सामना भी उसे करना पड़ेगा। इसे कोई महिला ही पहन सकती है इसलिए इसे मन्दिर में दान कर दिया गया।

(4) सन् 1930 में वारंगल को हराकर अलाउद्दीन ने कोहिनूर हासिल किया, जिसके 6 साल के अंदर ही अलाउद्दीन की हत्या हो गई। 

(5) फिर 1526 में पानीपत की लड़ाई के बाद बाबर ने इब्राहिम लोधी को हराकर कोहिनूर ले लिया और 150 सालों तक कोहिनूर मुगलों के पास रहा। 

(6) इसके बाद 1739 में पर्शिया के नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला कर दिया, उस समय मुहम्मद शाह ने कोहिनूर अपनी पगड़ी में छुपाने की कोशिश की, लेकिन एक नौकर ने नादिर शाह को ये बता दिया।

तब जश्न के दौरान नादिर शाह ने मोहम्मद शाह को पगड़ी बदलने को कहा,उसी वक्त हीरा जमीन पर गिर गया,जिसे देखकर नादिर शाह के मुंह से निकला को - ही - नूर जिसका मतलब होता है रौशनी का पहाड़। तभी से इसका नाम कोहिनूर पड़ गया।

(7) इसे नादिर शाह पर्शिया ले गया और फ़िर उसकी हत्या के बाद यह अहमद शाह अब्दाली के पास आया। जिसने अफगानिस्तान में दुर्रानी वंश की स्थापना की। 

(8) फिर 1813 में अफगानिस्तान के राजा शाह शूजामल ने अपना सिंहासन वापस पाने के लिए पंजाब के राजा रणजीत सिंह की मदद ली और जीत के बाद कोहिनूर उन्हें तोहफे के तौर पर दे दिया।

(9) रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद ब्रिटिश सरकार ने कोहिनूर को हड़प लिया और ये HMS Medea नामक जहाज में लंडन भेज दिया गया।

(10) 30 जून,1850 को कोहिनूर इंग्लैंड पहुंचा और रानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया। 

(11) रानी विक्टोरिया के कहने पर इसे फिर से तरासा गया, जिसके बाद इसका वजन 105.6 कैरेट रह गया और रानी ने इसे अपने ताज में जड़वा दिया।

आज कोहिनूर ताज के साथ लंदन के टॉवर ऑफ ज्वेल्स हाउस में रखा गया है। 

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