सत्यवती कौन थी ?
महाराज शांतनु की दूसरी पत्नी थी सत्यवती। इनकी माँ आद्रिका नाम की अप्सरा थी जो श्राप के कारण मछली रूप में थी और इनके पिता राजा उपरिचर थे। एक बार कुछ मछुआरों ने एक मछली को यमुना नदी से पकड़ा जिसके पेट से दो इंसानों के बच्चें निकले, एक लड़का और एक लड़की। मछुआरें उस मछली और बच्चों को राजा उपरिचर के पास ले गए। तब राजा ने उस लड़के को गोद ले लिया और उसका नाम मत्स्य रखा और उस कन्या को राजा ने मछुआरों को दे दिया,जिसे दाशराज नाम के मल्लाह ने पाला। इस कन्या के शरीर से मछली के जैसी गंध आती थी जिसके कारण इनका नाम मत्स्यगंधा (सत्यवती) पड़ा। इन्हें सत्यवती भी कहते थे। वे यमुना नदी में नाव से लोगों को पार उतारती थी। उसी समय इनकी भेंट ऋषि पराशर से हुई और वो सत्यवती पर आसक्त हो गए। उन्होंने सत्यवती से वरदान मांगने को कहा ,तब सत्यवती ने अपने शरीर से आने वाली मछली जैसी दुर्गंध को सुगंध में बदलने का वर माँगा और ऐसा ही हुआ। इसके बाद उन्होंने पराशर ऋषि से समागम किया और उनके शरीर से उत्तम गंध आने लगी जिसके कारण वे " गंधवती " के नाम से प्रसिद्ध हुई। पृथ्वी पर एक योजन दूर के मनुष्...