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Showing posts from April, 2024

वसुदेव जी का सर किसने काट दिया था ?

श्री कृष्ण और शाल्व का जब युद्ध हुआ था तब शाल्व ने अपनी माया से वसुदेव जी की तरह एक नकली इंसान बनाया और युद्ध भूमि में उसी वसुदेव जी का सर काट दिया।  फिर उनका सिर लेकर अपने सौभ नामक विमान पर बैठकर आकाश में उड़ गया। कृष्ण जी को पता था कि यह मय दानव द्वारा सिखाया गई माया है। श्री कृष्ण ने युद्ध में सुदर्शन चक्र से शाल्व का वध कर दिया।

सिद्धियां कितनी होती है ?

श्री भागवत महापुराण में श्री कृष्ण ने उद्धव जी को बताया कि योगियों ने 18 प्रकार की सिद्धियां बतायी है। जिनमें 8 सिद्धियां तो मुझमें (श्री कृष्ण) ही रहती है। दूसरों में कम और दस सत्त्वगुण के विकास से ही मिल जाती है।  उनमें तीन सिद्धियां तो शरीर की है - अणिमा, महिमा और लघिमा। इंद्रियों की एक सिद्धि है प्राप्ति। लौकिक और पारलौकिक पदार्थों का इच्छानुसार अनुभव करने वाली सिद्धि है प्राकाम्य   माया और उसके कार्यों को इच्छानुसार संचालित करना इशिता नाम की सिद्धि है  विषयों में रहकर भी आसक्त न होना  वशिता है।  और जिस सुख की कामना करे, उसकी सीमा तक पहुंच जाना कामावसायिता नाम की आठवीं सिद्धि है अन्य सिद्धियां   इसके अलावा भी कई सिद्धियां है। शरीर में भूख प्यास आदि वेगों का न होना,  बहुत दूर की वस्तु देख लेना और बहुत दूर की बात सुन लेना, मन के साथ ही शरीर का उस स्थान पर पहुंच जाना,  जो इच्छा हो वही रुप बना लेना, दूसरे शरीर में प्रवेश करना, जब इच्छा हो तभी शरीर छोड़ना, अप्सराओं के साथ होने वाली देव क्रीड़ा का दर्शन, संकल्प सिद्धि,  सब जगह सबके द्वारा बि...

बलराम जी ने किससे जुआ खेला ?

रुक्मी ने अपनी बहन रूक्मिणी को प्रसन्न करने के लिए, अपनी पौत्री रोचना का विवाह रुक्मिणी जी के पौत्र यानि अपने नाती (दौहित्र) अनिरूद्ध के साथ कर दिया।  इनका विवाहोत्सव समाप्त हो गया, तब कलिंग नरेश आदि घमंडी नरपतियों ने रुक्मी से कहा कि "तुम बलराम जी को पासों के खेल में जीत लो। रुक्मी ने बलराम जी को चौसर खेलने बुलाया और खेल शुरु हुआ। बलराम जी ने पहले 100,1000 और 10,000 मुहरों का दांव लगाया जिसे रुक्मी ने जीत लिया।  तब कलिंग नरेश जोर जोर से हँसने लगे जिससे बलराम जी ने 10 करोड़ मुहरों का दांव रखा। दोनों बार बलराम जी की जीत हुई पर छल करके कहा मेरी जीत हुई ।  उस समय आकाशवाणी ने कहा "यदि धर्म पूर्वक कहा जाय, तो बलराम जी ने ही यह दांव जीता है।  फिर भी रुक्मी और उसके साथीयों ने बलराम जी का मज़ाक उड़ाया जिससे क्रोध में आकर बलराम जी ने मुग्दल उठाया और रुक्मी को मार डाला। उसके बाद कलिंग नरेश के दांत तोड़ दिये। 

कृष्ण जी की बेटी का क्या नाम था ?

रूक्मिणी और श्री कृष्ण जी के 10 बेटे और एक बेटी थी। उनकी बेटी का नाम "चारुमती " था। चारुमती का विवाह कृतवर्मा के पुत्र बली से हुआ था। 

बाणासुर कौन था ?

राजा बलि के 100 पुत्र थे जिसमें सबसे बड़ा था बाणासुर ,जो शिव जी का भक्त था। बाणासुर शोणितपुर में राज करता था। उसकी हजार भुजाएं (हाथ) थी। बाणासुर का वरदान  बाणासुर ने अपने हजार हाथों से अनेकों प्रकार के बाजे बजाकर भगवान शिव को प्रसन्न किया। तब भगवान शिव ने उसे वरदान मांगने को कहा "आप मेरे नगर की रक्षा करते हुए यहीं रह जाय।" यही वरदान बाणासुर ने माँगा। एक दिन बल के घमंड में बाणासुर आपने मुझे ये भुजाएं दी, लेकिन वे मेरे लिए केवल भाररूप हो रही है, क्योंकि त्रिलोकी में आपको छोड़कर मुझे अपनी बराबरी का कोई वीर योद्धा ही नहीं मिलता, जो मुझसे लड़ सकें। बाणासुर की यह प्रार्थना सुनकर महादेव ने क्रोधित होकर कहा - जिस दिन तेरी ध्वजा टूटकर गिरेगी मेरे ही समान योद्धा से तेरा युद्ध होगा और वह युद्ध तेरा घमंड चूर कर देगा। बाणासुर की बेटी और अनिरुद्ध का विवाह  बाणासुर की एक बेटी थी, उसका नाम ऊषा था। उसका विवाह नहीं हुआ था। एक दिन स्वप्न उसने देखा कि "परम सुंदर अनिरुद्ध जी के साथ मेरा समागम हो रहा है। जबकि उसने अनिरुद्ध जी को कभी देखा नहीं था। बाणासुर का एक कुम्भाण्ड  नामक  मंत्री था,...

भस्मासुर के जैसा वरदान और किस असुर को मिला था ?

नारद जी का उपदेश पाकर वृकासुर केदारक्षेत्र में गया और अग्नि को भगवान शंकर का मुख जानकर अपने शरीर का मांस काट काटकर उसमें हवन करने लगा। इस प्रकार छः दिन तक उपासना करने पर भी जब उसे भगवान शंकर के दर्शन न हुए, तब उसे बड़ा दुःख हुआ।  सातवें दिन केदार तीर्थ में स्नान करके अपने भीगे बाल वाले मस्तक को कुल्हाड़ी से काटकर हवन करना चाहा, तभी भगवान शंकर ने आकर वृकासुर का हाथ पकड़ लिया और गला काटने से रोक दिया। शंकर जी के छूने से वृकासुर के सभी अंग पुर्ण हो गए। वृकासुर ने भगवान शंकर से वरदान मांगा " मैं जिसके सिर पर हाथ रख दूं वो वहीं मर जाय"।  शंकर जी ने वृकासुर को यहीं वरदान दे दिया ,पर वरदान मिलते ही वृकासुर ने सोचा, अगर मैं शंकर जी के सिर पर ही अपना हाथ रख दूं तो उनकी मृत्यु हो जायेगी और मैं पार्वती से विवाह कर लूंगा।  यही सोचकर वो शंकर जी के पिछे दौड़ा,तब शंकर जी ने एक साधु का भेष धारण किया और वृकासुर से सारी बात पूछ ली, फिर कहा की वो शंकर तो झूठा है, वो तो दक्ष प्रजापति के श्राप से पिचाश हो गया है, वो क्या किसी को वरदान देगा। उसने झूठ बोला होगा।  तू एक बार अपने सिर पर हाथ...

शुक्राचार्य की बेटी ने किसे श्राप दिया ?

ब्रहस्पति जी के पुत्र कच शुक्राचार्य से मृत संजीवनी विद्या पढ़ते थे। अध्ययन समाप्त करके जब वह अपने घर जानें लगे ,तो देवयानी ने (शुक्राचार्य की बेटी) उनसे शादी करने की बात कही,परंतु गुरुपुत्री होने के कारण कच ने उसका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। इस पर देवयानी ने उसे श्राप दे दिया कि "तुम्हारी पढ़ी हुई विद्या निष्फल हो जाय"।  कच ने भी देवयानी को श्राप दिया कि "कोई ब्राह्मण तुम्हें पत्नी रुप में स्वीकार न करेगा"।

श्री कृष्ण के कई विवाह कैसे हुए ?

(१) मित्रविंदा  - अवंती (उज्जैन) देश के राजा थे विंद और अनुविंद। वे दुर्योधन के अनुयायी थे। उनकी बहन का नाम मित्रविंदा था, जिसने स्वयंवर में भगवान कृष्ण को अपने पति के रूप में चुना। लेकिन विंद और अनुविंद ने अपनी बहन को रोक दिया।  मित्रविंदा श्री कृष्ण की बुआ राजाधिदेवी की पुत्री थी। श्री कृष्ण मित्रविंदा को (उनकी इच्छा से) बल पूर्वक हर ले गये। (२) लक्ष्मणा  - मद्रदेश के राजा की पुत्री थी लक्ष्मणा। वह अत्यंत सुंदर थी। श्री कृष्ण ने स्वयंवर में अकेले ही उसे हर लिया था।  (३) कालिंदी  - सूर्य देव की पुत्री थी कालिंदी। कालिंदी ने यमुना किनारे भगवान विष्णु को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की।  भगवान सूर्य ने कालिंदी के लिए यमुना जल में एक भवन बनवाया जिसमें वे रहती थी। ये सारी बातें जब अर्जुन ने श्री कृष्ण जी को बतायी तब कृष्ण जी ने कालिंदी को अपने रथ पर बैठाया और युधिष्ठिर के पास गये,फिर उनसे विवाह कर लिया। (४) रुक्मिणी - रुक्मिणी जी का विवाह, उनके भाई रुक्मी शिशुपाल के साथ करना चाहते थे। लेकिन रुक्मिणी जी श्री कृष्ण से प्रेम करती थी और उन्हीं से ...