पुर्तगालि व्यापारी भारत कब आए ?
पुर्तगालि भारत में 1488 ई. में अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी किनारे केप ऑफ गुड होप तक पहुँच गए।
वहां से वास्कोडिगामा 1497 ई. में मालिंदी तक और 1498 में एक अरब व्यापारी की सहायता से कालीकट तक पहुँचा।
जब वास्कोडिगामा से उसके भारत आने का उद्देश्य पूछा गया ,तो उसने उत्तर दिया की मैं भारत में ईसाई धर्म का प्रसार और गर्म मसालों का व्यापार करने आया हूँ। 1498 में इस समुद्री मार्ग की खोज हुई।
पुर्तगाली , वास्कोडिगामा की भारत पहुंचने की सफलता से इतने खुश हुए की अगले ही वर्ष उन्होंने "कैब्राल " को 13 जहाज़ों के अन्य बेड़े के साथ भेजा। "कैब्राल " 1500 ई. में कालीकट पहुँचा।
कालीकट के हिंदू शासक " जमोरिन " के साथ कुछ अनबन के कारण "कैब्राल " को वापस जाना पड़ा और वास्कोडिगामा को फिर से 1502 में भारत भेजा गया।
1504 में पुर्तगाल से " अल्मीडा " को विधिवत रुप में वायसराय नियुक्त करके भेजा गया। " अल्मीडा " ने भारत में पुर्तगाली राज्य स्थापित करने की दिशा में योगदान दिया , लेकिन भारत में पुर्तगाल के व्यापार को आगे बढ़ाने और स्थायी रुप से फैक्टरियों को स्थापित करने के लिए अल्फांसो डी अल्बुकर्क (1509 - 1555) को प्राप्त हुआ।
1510 में उसने बीजापुर के यूसुफ आदिलशाह से गोवा जीत लिया। 1511 में पूर्वी एशिया में " मलक्का " पर अधिकार कर लिया। 1512 में बीजापुर राज्य से " बानासेरिय " का किला जीता। 1515 ई. में फारस की खाड़ी में व्यापारिक अड्डे "आर्मुज " पर अधिकार कर लिया। अफ्रीका में " सोक्रोवा " और " लंका "में " कोलंबो " पर भी अधिकार किया।
गुजरात के " दीयु" पर पुर्तगालियों का अधिकार हो गया। अलबुकर्क ने गोवा को अपनी राजधानी बनाया और वहां वाणिज्यिक गतिविधियों को तेज किया।
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