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Showing posts from 2022

क्या प्राचीन काल में समय का ज्ञान था ?

भगवत गीता के अनुसार काल गणना - भगवत गीता के श्लोकों में काल गणना पर विचार किया गया है। जिसके अनुसार काल गणना की सबसे छोटी इकाई 'परमाणु ' है। सूर्य की रश्मि परमाणु के भेदने में जितना समय लेती है उसका नाम परमाणु है। परमाणु काल से आगे का काल विभाजन इस प्रकार है ---  दो परमाणु = 1 अणु 3 अणु = 1 त्रसरेणु  3 त्रसरेणु = 1 त्रुटी  100 त्रुटी = 1 वेध  3 वेध = 1 लव 3 लव = निमेष  3 निमेष = 1 क्षण (1 क्षण में 1.6 सेकेंड अथवा 46600 परमाणु होते है।)  5 क्षण = 1 काष्ठा  15 काष्ठा = 1 लघु 15 लघु = 1 नाड़िका (दण्ड) 2 नाड़िका = 1 मुहूर्त  3 मुहूर्त = 1 प्रहर 8 प्रहर = दिन रात  इसी प्रकार दिन , पक्ष , मास , वर्ष आदि का ज्ञान भी उस समय पुरी तरह था।  महाभारत के अनुसार काल गणना - महाभारत के वन पर्व के 188 वें अध्याय के 67 वें श्लोक सृष्टि निर्माण,सृष्टि प्रलय ,युगों के विषय में बताया गया है।  विभिन्न पुराणों के अनुसार काल गणना दिन , रात , मास , वर्ष , युग , चतुर्युग , मानवंतर , कल्प , सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की आयु आदि में विभाजित किया गया है।  1 कल्प ...

पुर्तगालि व्यापारी भारत कब आए ?

पुर्तगालि भारत में 1488 ई. में अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी किनारे केप ऑफ गुड होप तक पहुँच गए। वहां से वास्कोडिगामा 1497 ई. में मालिंदी तक और 1498 में एक अरब व्यापारी की सहायता से कालीकट तक पहुँचा।  जब वास्कोडिगामा से उसके भारत आने का उद्देश्य पूछा गया ,तो उसने उत्तर दिया की मैं भारत में ईसाई धर्म का प्रसार और गर्म मसालों का व्यापार करने आया हूँ। 1498 में इस समुद्री मार्ग की खोज हुई। पुर्तगाली , वास्कोडिगामा की भारत पहुंचने की सफलता से इतने खुश हुए की अगले ही वर्ष उन्होंने "कैब्राल " को 13 जहाज़ों के अन्य बेड़े के साथ भेजा। "कैब्राल " 1500 ई. में कालीकट पहुँचा।   कालीकट के हिंदू शासक " जमोरिन " के साथ कुछ अनबन के कारण "कैब्राल " को वापस जाना पड़ा और वास्कोडिगामा को फिर से 1502 में भारत भेजा गया। 1504 में पुर्तगाल से " अल्मीडा " को विधिवत रुप में वायसराय नियुक्त करके भेजा गया। " अल्मीडा " ने भारत में पुर्तगाली राज्य स्थापित करने की दिशा में योगदान दिया , लेकिन भारत में पुर्तगाल के व्यापार को आगे बढ़ाने और स्थायी रुप से फैक्टरि...

वेद कितने पुराने है ?

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वेद चार हैं -   ऋग्वेद , यजुर्वेद ,सामवेद , अथर्ववेद। महाराष्ट्र के एक पंडित बालासाहेब हरदास अपने सार्वजनिक व्याख्यानों में वेदकाल संबंधी विविध विद्वानों के अनुमान इस प्रकार है -  1) मैक्समुलर आदि पाश्चात्य विचारधारा के लोग वेदों को 3500 वर्ष पूर्व के मानते है। 2) राजापुर के पताशकर शास्त्री वेदों में उल्लिखित नक्षत्रादि स्थिति के अनुसार वेदों को 21000 वर्ष पूर्व के मानते थे। 3) पंडित सुधाकर द्विवेदी का निष्कर्ष था कि वेद 54000 वर्ष पूर्व के थे। 4) पंडित कृष्ण शास्त्री गोडबोले का अनुमान था कि वेद उस संख्या से भी 18000 वर्ष पूर्व के थे। 5) पंडित दयानंद सरस्वती के अनुसार वेद लगभग 2 अरब वर्ष प्राचीन है।

अंग्रेज भारत कब आए थे ?

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इस कंपनी का वास्तविक नाम " द गवर्नर एण्ड कम्पनी ऑफ मर्चेंट्स ऑफ लंदन ट्रेंडिंग इन टू दि ईस्ट इंडीज " था। ईस्ट इंडिया कंपनी का संविधान ,शक्ति और सुविधाओं आदि का विवरण इंग्लैंड के सन् 1600 के राजलेख द्वारा घोषित किया गया जो 31 दिसंबर , सन् 1600 को लागू किया गया। शुरुआत में कंपनी की समय सीमा सिर्फ 15 साल की थी, लेकिन उसमें ये नियम भी था कि अगर कंपनी का काम लाभदायक न रहा तो इंग्लैंड का सम्राट उसे 2 साल पहले ही समाप्त कर सकता है।   सन् 1599 में पूर्वी देशों से व्यापार करने के लिए अंग्रेज व्यापारियों ने एक रॉयल चार्टर के अधीन ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना की थी , जो तत्कालीन ग्रेट ब्रिटेन की प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक कम्पनी के संचालन के लिए 2 गवर्नर और 24 संचालकों का चयन , कंपनी के हिस्सेदारों द्वारा इंग्लैंड में ही किया जाता था।  31 दिसंबर सन् 1600 को ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम   से आज्ञा प्राप्त कर ली। पूरब से इन्हें व्यापार करने का एकाधिकार मिल गया।  इस रॉयल चार्टर के अनुसार कंपनी के भारतीय शासन के सभी अधिकार गवर्नर और उनकी 24 स...

भारत का संविधान

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संवैधानिक विकास के चरण  रेग्यूलेटिंग एक्ट , 1773  इस अधिनियम के द्वारा भारत में कम्पनी के शासन के लिए पहली बार एक लिखित संविधान प्रस्तुत किया गया। भारतीय संवैधानिक इतिहास में इसका विशेष महत्व यह है कि इसके द्वारा भारत में कम्पनी के प्रशासन पर ब्रिटिश संसदीय नियंत्रण की शुरुआत हुई। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार है।  १) बम्बई और मद्रास प्रेसिडेंसी को कलकत्ता प्रेसिडेंसी के अधीन कर दिया गया।  २) कलकत्ता प्रेसिडेंसी में गवर्नर जनरल व चार सदस्यों वाले परिषद् के नियंत्रण में सरकार की स्थापना की गई। 1773 रेग्यूलेटिंग एक्ट के तहत गांवों के लिए जमींदार न्युक्त किये गए जो पंचायतों से स्वतंत्र और सरकार के प्रति जवाबदेह थे।  लॉर्ड रिपन ने 1882 में स्थानीय स्वशासन सम्बन्धित प्रस्ताव दिए जिसे स्थानीय स्वशासन संस्थाओं का मैग्ना कार्टा कहा जाता है। यह पहला अवसर था जब स्थानीय शासन का निर्वाचित निकाय अस्तित्व में आया। लॉर्ड रिपन को स्थानीय स्वशासन का जनक कहा जाता है।  1919 के भारत शासन अधिनियम के अन्तर्गत प्रांतों में दोहरे शासन की व्यवस्था की गई। स्थानीय स्वशासन...

महाभारत के भीम पर एम टी वासुदेवन नायर द्वारा लिखित पुस्तक

एम. टी. वासुदेवन नायर (M T Vasudevan Nair) की मलयालम भाषा की रंदामूज़म (अंग्रेजी में - द सेकेंड टर्न ) जो भीम के दृष्टिकोण से महाभारत की कहानी को फिर से बताती है।

स्त्री पुरुष तुलना नामक पुस्तक किसने लिखी ?

 यह पुस्तक " ताराबाई सिंदे " द्वारा लिखित और " विकास खोले " द्वारा संपादित की गई है।

जब भीष्म पितामह ने प्रतिज्ञा ली थी तब उनकी उम्र क्या थी ?

जब भीष्म पितामह ने प्रतिज्ञा ली थी तब उनकी उम्र 25 वर्ष से कम (लगभग 20 से 22 वर्ष की) थी। उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी की मैं आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करूंगा और कभी विवाह नहीं करूंगा।

धृतराष्ट्र और भीष्म का क्या रिश्ता था ?

भीष्म (देवव्रत) , धृतराष्ट्र के पिता के बड़े भाई थे। भीष्म की माता गंगा महाराज शांतनु की पहली पत्नि थी और  महाराज शांतनु की दूसरी पत्नि सत्यवती थी जिनके पुत्र का नाम चित्रांगद और विचित्रवीर्य (धृतराष्ट्र के पिता) था।

आज़ादी के पहले कितने समाचार पत्र निकलते थे ?

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1) 29 जनवरी ,1780 को भारत का पहला पत्र " बंगाल गजट ऑफ कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर "  प्रकाशित किया।  2) भारतीय पत्रकारिता में राजा राम मोहन राय को पत्रकारिता का स्तम्भ कहा जाता है उनके प्रयासों से 1818 में " बंगाल गजट ", और 1920 में " संवाद कौमुदी " और बाद में " मीरातुल अख़बार " भी शुरू किया।  उन्होंने तारा चंद्र दत्त और भवानी चरण के सम्पादन में  बांग्ला भाषा में पहला देशी पत्र " संवाद कौमुदी " का प्रकाशन हुआ।  3) हिन्दी का पहला पत्र " उदन्त मार्तण्ड " 30 मई , 1826 कलकत्ता से पंडित युगल किशोर शुक्ल ने प्रकाशित किया और 4 सितंबर ,1827 को "उदन्त मार्तण्ड "  बन्द हो गया। 1846 में कलकत्ता से प्रकाशित होने वाला "मार्तण्ड " को भी हिन्दी में प्रकाशित किया जाने लगा। 4)  कलकत्ता से ही राजा राममोहन राय द्वारा सम्पादित " बंगदूत "। यह हिंदी , अंग्रेजी , बांग्ला , फारसी भाषाओं में प्रकाशित हुआ। यह 10 मई ,1829 को प्रकाशित हुआ , एक साप्ताहिक पत्र था।, इसके प्रथम सम्पादक नीलरतन हालदार था यह हर रविवार को प्रकाशित होता...

प्राचीन भारत के , आधुनिक यंत्र

1) दुर्विक्षण यंत्र (दूरबीन ) एक प्राचिन यांत्रिक ग्रंथ शिल्पसंहिता दुर्विक्षण यंत्र (दूरबीन ) का उल्लेख इस प्रकार है -  मनोवाक्यं समाधाय तेन शिलपीन्द्र शाश्वत: । यंत्र चकार सहसा दृष्टथर्य दूरदर्शनम् ।। पललाग्नो दग्धमृदा कृत्बा काचमनश्ववर । शोधयित्या तु शिलपीद्रो नैमत्य कीयते च ।। चकार बलवतत्स्वच्छं पातनं सुपबिकृतम् । वंशपर्वसमाकारं धातुदण्ड - कल्पितम् ।। तत्पश्पापदंग्रमध्येषु मुकुरं बिवेश स:।  इसका मतलब है कि " मिट्टी भून के उससे प्रथम कांच बनती है। एक पोली नलिका के दोनों नुक्कड़ पर वह कांच लगायी जाती है। दूर के नक्षत्रादि देखने में तुरी यंत्र में जैसा इसका उपयोग किया जाता है।  2) बैटरी अर्थात शतकुम्भी मेसोपोटामिया से प्राप्त 2000 वर्ष प्राचीन बैटरी जिसे यूरोप के कई देशों में प्रदर्शित किया गया।  तांबा और जस्ता के तारों से प्राचीन वैदिक वैज्ञानिक किस प्रकार शतकुम्भी (बैटरी) बनाते थे, जिसका वर्णन नीचे दिये श्लोक में हैं -  संस्थाप्य मृण्मये पात्रे त्राम्रपत्र सुसंस्कृतम् । छादयेत शिखिग्रीवेन चार्दाभि: काष्ठपासुभि: ।। दस्तालोष्टो निघातत्व: पारदाच्छादितस्तत:‌ । उत...