आज़ादी के पहले कितने समाचार पत्र निकलते थे ?

1) 29 जनवरी ,1780 को भारत का पहला पत्र "बंगाल गजट ऑफ कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर "  प्रकाशित किया। 



2) भारतीय पत्रकारिता में राजा राम मोहन राय को पत्रकारिता का स्तम्भ कहा जाता है उनके प्रयासों से 1818 में " बंगाल गजट ", और 1920 में " संवाद कौमुदी " और बाद में " मीरातुल अख़बार " भी शुरू किया। 

उन्होंने तारा चंद्र दत्त और भवानी चरण के सम्पादन में  बांग्ला भाषा में पहला देशी पत्र " संवाद कौमुदी " का प्रकाशन हुआ। 


3) हिन्दी का पहला पत्र " उदन्त मार्तण्ड " 30 मई , 1826 कलकत्ता से पंडित युगल किशोर शुक्ल ने प्रकाशित किया और 4 सितंबर ,1827 को "उदन्त मार्तण्ड "  बन्द हो गया।

1846 में कलकत्ता से प्रकाशित होने वाला "मार्तण्ड " को भी हिन्दी में प्रकाशित किया जाने लगा।



4)  कलकत्ता से ही राजा राममोहन राय द्वारा सम्पादित " बंगदूत "। यह हिंदी , अंग्रेजी , बांग्ला , फारसी भाषाओं में प्रकाशित हुआ। यह 10 मई ,1829 को प्रकाशित हुआ , एक साप्ताहिक पत्र था।, इसके प्रथम सम्पादक नीलरतन हालदार था यह हर रविवार को प्रकाशित होता था, इसका मासिक मूल्य 1 रुपए था।


‌5) " साम्यदण्ड मार्तण्ड " डॉ. युगल किशोर शुक्ल ने इसे प्रकाशित किया।

6) मध्य प्रदेश में पहला समाचार पत्र 1840 में "अखबार ग्वालियर " प्रकाशित हुआ और 1887 तक मध्य प्रदेश से निकलने वाले समाचार पत्रों की संख्या 21 थी। 


7) हिन्दी भाषी क्षेत्र से प्रकाशित होने वाला पहला हिन्दी पत्र " बनारस अखबार " जनवरी, 1845 में प्रकाशित हुआ। इस पत्र के सम्पादक मराठी भाषी रघुनाथ थत्थे या गोविंद नारायण थत्ते थे। इसके संचालक मनीषी राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद थे। लेकिन पत्र के प्रधान शिवप्रसाद सितारे हिंद का ही वर्चस्व था।


8) 1846 में कलकत्ता से प्रकाशित होने वाला "मार्तण्ड " को भी हिन्दी में प्रकाशित किया जाने लगा।


9) 1848 में इंदौर से हिंदी और उर्दू में "मालवा समाचार" का प्रकाशन किया गया।

10) 1850 में बनारस से बांग्ला और हिंदी में "सुधाकर " नामक पत्र का प्रकाशन किया गया।

 1850 में श्री तारा मोहन मैत्रेय नामक एक बंगाली ने बनारस से " सुधाकर " पत्र प्रकाशित किया। यह साप्ताहिक पत्र हिंदी और बांग्ला में प्रकाशित होता था। 1853 में यह पत्र पुरी तरह से हिंदी में प्रकाशित होने लगा।


11) सदासुखलाल के सम्पादन में सन् 1852 में आगरा से " बुद्धि प्रकाश " निकला। यह पत्र नुरुल बसर प्रेस से प्रकाशित होता था। 

भरतपुर के राजा ने मजहरुल सरुर शासन की ओर से सन् 1852 में एक मासिक पत्र निकाला। यह पत्र एक द्विभाषी (हिंदी और उर्दू) पत्र था। इसकी ज़बान उर्दू और लिपि देवनागरी थी। यह राजस्थान का पहला पत्र था।

इसी दौरान ग्वालियर से " ग्वालियर गजट" आगरा से " प्रजाहितैषी " आदि पत्र प्रकाशित हुए।


12) हिन्दी का दैनिक पत्र " समाचार सुधावर्षण " का आरंभ कलकत्ता से जून ,1854 में हुआ और इसका संपादन श्याम सुंदर सेन ने किया। समाचार सुधावर्षण हिंदी का पहला दैनिक पत्र था।

 बाद में यह पत्र हिंदी और बांग्ला दो भाषाओं में प्रकाशित होने लगा। इस पत्र को 1868 तक प्रकाशित होने के प्रमाण मिलते हैं।

इसी दौरान ग्वालियर से " ग्वालियर गजट" आगरा से " प्रजाहितैषी " आदि पत्र प्रकाशित हुए।


13) 8 फरवरी , 1857 दिल्ली से अजीमुल्ला खां हिंदी और उर्दू में एक छोटा समाचारपत्र निकाला जिसका नाम - " पयामे आजादी " था। उसमें उस समय के राष्ट्रगीत की प्रथम पंक्तियां छपी थी।

" हम है इसके मालिक , हिन्दुस्तान हमारा है,

पाक वतन है कौम का , जन्नत से भी प्यारा।" 


" पयामे आजादी " की सभी प्रतियां जब्त कर जलायी गई ,कहा जाता है कि इसकी एक प्रति बची है जो लंदन में उपलब्ध है।

उर्दू के अखबार मालवा अखबार, जमाना ,स्वराज ,पेशवा ,हिन्दुस्तान ,आकाश , गदर ,परिवर्तन ,सुबाहे - वतन थे।


14) धर्मप्रकाश नाम का मासिक पत्र 1859 में मनसुख के सम्पादन में अहमदाबाद से प्रकाशित हुआ था।

बांग्ला सप्ताहिक " सोमप्रकाश सामाचार पत्र " 1859 में ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने शुरू किया।


‌15) सन् 1861 में गणेशीलाल के सम्पादन में "सूरज प्रकाश " प्रकाशित हुआ। इसका उर्दू भाग "आफताबे आलमताब " हुआ करता था।

ज्ञानप्रकाश आगरा से प्रकाशित हुआ , एक परम्परावादी धार्मिक पत्र था। 


" इंडियन मिरर " का प्रकाशन कलकत्ता बंगाल स्थापना रविंद्रनाथ टैगोर और मनमोहन घोष ने 1861 में किया। 


‌16) आगरा से शिवनारायण " मुफिद - उल - खलाइक " पत्र उर्दू में निकालते थे। बाद में इनके दो भाग कर दिए गए। उर्दू का " मुफिद - उल - खलाइक " ही रहा और हिंदी का सर्वोपकारक रखा गया। सन् 1865 में यह पत्र स्वतंत्र हो गया।

" प्रजाहित " के हाकिम सम्पादक जवाहरलाल थे। यह इटावा से प्रकाशित हुआ एक पाक्षिक पत्र था। 


17) " लोकमत" आगरा शहर के पास सिकंदरा से 1 जनवरी ,1863 को प्रकाशित किया गया ,यह एक मासिक पत्र था। 

18) " भारतखंड मित्र " यह भी एक परम्परावादी पत्र था। यह 1866 में आगरे से प्रकाशित हुआ। पण्डित वंशीधर जो एक अध्यापक थे ,इसे निकालते थे। 


‌19) 15 अगस्त, 1867 में काशी के बाबू हरिश्चंद्र ने "कविवचन सुधा " नामक मासिक पत्रिका निकाला। जल्द ही 1875 मासिक पत्रिका साप्ताहिक पत्रिका हो गया। शुरू में इसमें कविताओं का प्रकाशन होता था।


‌20) " अमृत बाजार " पत्रिका कलकत्ता में बंगाली भाषा में शिशिर कुमार घोष , 1868 में प्रकाशित हुआ।


‌21) 15 अक्टूबर ,1873 को काशी से भारतेंदु हरिश्चंद्र ने " हरिश्चंद्र मैगजीन " की स्थापना की। यह पत्रिका मासिक थी। इसमें पुरातत्व ,उपन्यास ,कविता , आलोचना ,ऐतिहासिक ,दार्शनिक , साहित्यिक और राजनैतिक लेख कहानियां और व्यंग आदि प्रकाशित होते थे। जब इसमें देशभक्तिपूर्ण लेख निकलने लगे तब इसे बंद कर दिया गया। 


‌22) 9 जनवरी ,1874 को भारतेंदु जी ने "बालबोधिनी पत्रिका " निकली। यह पत्रिका महिलाओं की मासिक पत्रिका थी। 

‌23) 1 सितंबर , 1877 को प्रयाग से बालकृष्ण भट्ट ने " हिंदी प्रदीप " नाम का मासिक पत्र 35 वर्षो तक निकाला। 


‌24) 17 मई , 1878 को कलकत्ता से "भारत मित्र" प्रकाशित हुआ। जिस समय यह पत्र प्रकाशित हुआ ,उस समय वहां से हिंदी का कोई भी पत्र प्रकाशित नहीं होता था। "भारत मित्र" के सबसे पहले वैतानिक सम्पादक पंडित हरमुकुंद शास्त्री लाहौर से बुलाये गये थे। यह पत्र 57 वर्षो तक चला। पंडित दुर्गाप्रसाद मिश्र , पंडित हरमुकुंद शास्त्री ,पंडित रुद्रदत्त शर्मा , पंडित अमृतलाल चक्रवर्ती ,बाबू बालमुकुंद गुप्त ,पंडित बाबूराव विष्णु पराड़कर ,पंडित अंबिका प्रसाद वाजपायी और लक्ष्मण नारायण गर्दे जैसे पत्रकारों द्वारा सम्पादित होता रहा। हिंदी का पहला पत्र था ये जो हजारों की संख्या में छपता था। सन् 1935 में यह बंद हो गया।


25) 13 अप्रैल ,1879 " सार सुधानिधि " पंडित सदानंद के सम्पादन में निकला। इसके संयुक्त सम्पादक पंडित दुर्गा प्रसाद , सहायक सम्पादक गोविंद नारायण और व्यवस्थापक पंडित शंभूनाथ थे। इसकी भाषा संस्कृत मिश्रित हिंदी थी। यह सन् 1890 में बंद हो गया। 


" सज्जन कीर्ति सुधाकर " यह पत्र देशी राज्यों से निकलने वाला पहला हिन्दी पत्र था क्योंकि राज्यों के सभी पत्र उर्दू या हिंदी में निकलते थे, जिसमें पहला स्थान उर्दू का ही होता था। यह पत्र 1879 में मेवाड़ के राजा सज्जनसिंह के नाम पर निकला था। यह आगर से पंडित वंशीधर वाजपायी के सम्पादन प्रकाशित हुआ।


‌26) " उचितवक्ता " दुर्गा प्रसाद मिश्र का अपना पत्र था ,जो 7 अगस्त ,1880 को प्रकाशित हुआ था। यह 15 वर्षो तक निकाला गया।


‌पंडित बद्री नारायण चौधरी ' प्रेमधन ' द्धारा संपादित " आनंदकादम्बिनी " मासिक पत्रिका की शुरुआत विक्रम संवत 1938 (सन् 1881) को हुआ। इसका प्रथम अंक बनारस लाइट यंत्रालय में गोपनीय पाठक द्वारा मुद्रित हुआ और मिर्जापुर से श्री वेणीप्रसाद शर्मा द्वारा प्रकाशित हुआ। 


27) " केसरी " मराठी भाषा और " मराठा " अंग्रेज़ी भाषा में बाल गंगाधर तिलक ने 1881 में बम्बई से प्रकशित किया।


28) पंडित प्रताप नारायण मिश्र 1883 ई. में कानपुर से " ब्राह्मण " मासिक पत्रिका का सम्पादन व प्रकाशन शुरू किया। इसका प्रथम अंक होली के दिन 15 मार्च , 1883 कोकानपुर के नामी यंत्रालय से मुद्रित हो ईश्वरालम्बित मिश्र द्वारा प्रकाशित हुआ। यह 12 वर्ष ,3 महिने तक ही चला और फरवरी 1897 को ये बंद हो गया। 


29) बाबू रामकृष्ण वर्मा ने काशी से 3 मार्च , 1884 को "भारत जीवन " पत्र प्रकाशित किया। यह पहले 4 पृष्ठ का था, बाद में 8 पृष्ठ का हो गया ,फिर 6 पृष्ठ में छपने लगा। इसका वार्षिक मूल्य डेढ़ रूपए था। यह 30 वर्षो तक प्रकाशित हुआ।


30) सन् 1885 में राजा रामपाल सिंह "हिन्दुस्तान " लंदन से इसे कालाकांकर ले आए ,यहां इसके हिंदी और अंग्रेज़ी संस्करण प्रकाशित होने लगे। यह उत्तर प्रदेश से पंडित महामना मदनमोहन मालवीय जी के सम्पादन में निकला। यह हिंदी क्षेत्र से प्रकाशित होने वाला, पूरी तरह से हिंदी दैनिक पत्र था।


31) सन् 1887 में जबलपुर से पंडित रामगुलाम अवस्थी के सम्पादन में "शुभचिंतक " पत्र निकला। बाद में इसके सम्पादक रायसाहब रघुवर प्रसाद द्विवेदी हो गए। 


32) " हिंदी बंगवासी" सन् 1890 में कलकत्ता से अमृतलाल चक्रवर्ती के सम्पादन में निकला। इसका सम्पादन सभी श्रेष्ठ पत्रकारों बालमुकुंद गुप्त , बाबूराव विष्णु पराड़कर , पंडित अंबिका प्रसाद वाजपायी , लक्ष्मण नारायण गर्दे आदि ने किया।


‌ 33) सन् 1892 "आनंदकादम्बिनी" के प्रेमधन जी ने " नागरी नीरद " नामक एक साप्ताहिक पत्र प्रकाशित किया। पंडित अंबिका प्रसाद वाजपायी के अनुसार इसका प्रकाशन सन् 1893 में हुआ , लेकिन इसका प्रथमांक सितंबर 1892 में निकला था। 


‌34) " साहित्य सुधानिधी " यह पत्रिका सन् 1896 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने त्रैमासिक प्रकाशित की। इसके संपादक बाबू श्यामसुंदर दास , महामहोपाध्याय सुधाकर द्विवेदी , कालीदास और रामकृष्ण दास थे। 1907 में यह मासिक पत्रिका हो गई और इसके सम्पादक बाबू श्यामसुंदर दास ,रामचन्द्र शुक्ल ,रामचन्द्र वर्मा और वेणीप्रसाद बनाये गए। सन् 1920 से यह फिर से त्रैमासिक हो गया। 


35) छत्तीसगढ़ में समाचार पत्रों की शुरुआत 1900 में मानी जाती है। इसके बाद छत्तीसगढ़ से पत्रों का प्रकाशन प्रारंभ किया गया। 1889 - 1890 भगवान दीन सिरोठिया के नेतृत्व में "प्रजा हितैषी " नामक समाचार पत्र के अलावा किसी और के बारे में जानकारी नहीं मिलती है। 


" छत्तीसगढ़ मित्र " के प्रकाशन के साथ छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक नए युग का प्रारंभ हुआ। इस मासिक पत्रिका को सप्रे जी ने अपने व्यय पर शुरू किया। इसके प्रकाशक पंडित वामन राव लाखे , संपादक द्वय पंडित राम राव चिंचोलकर और खुद सप्रे जी थे। 


इसका मुद्रण पहले रायपुर कय्युमी प्रेस से होता था जो बाद में देश सेवक नागपुर से छपने लगे। 8" × 6" आकार की 32 पृष्ठों की इस पत्रिका का वार्षिक मूल्य "डेढ़ रूपये " था। इसके पहले और अंतिम चार पृष्ठ रंगीन होते थे। "छत्तीसगढ़ मित्र " के संवादाताओं में पंडित सुंदरलाल शर्मा (राजिम), पंडित पुरुषोत्तम प्रसाद पांडेय (मंदिर हसौद), श्रीमती सरस्वती बाई आदि थे।


" पंडित माधव राव सप्रे " ने पैंड्रारोड (बिलासपुर) से "छत्तीसगढ़ मित्र " का प्रकाशन सन् 1900 में किया। 32 पृष्ठों की इस मासिक पत्रिका का प्रकाशन "वामन राव लाखे" ने किया। जबकि रामराव चिंचोलकर ने पंडित सप्रे के साथ संयुक्त संपादन किया। "छत्तीसगढ़ मित्र" का प्रकाशन केवल 3 वर्षों का था। 

छत्तीसगढ़ से निकलने वाले समाचार पत्र छत्तीसगढ़ मित्र ,कान्य कुब्ज नायक, सरस्वती और हिंदी केसरी।

अखिल भारतीय समाचारपत्रों प्रयाग समाचार ,श्री व्यंकटेश्वर समाचार ,भारत मित्र ,राजपूत ,बिहार बन्धु ने "छत्तीसगढ़ मित्र " की प्रसंशा करते हुए इस पर कई लेख लिखे।

20 वीं शताब्दी में युगांतकारी पत्रिकाएं "सरस्वती " और "छत्तीसगढ़ मित्र " प्रकाशित हुई, दोनों समाचार पत्रों में अन्तर यह था कि " सरस्वती " पत्रिका में कभी भी राजनीतिक घटनाओं पर संपादकिय नहीं लिखा गया जबकि "छत्तीसगढ़ मित्र " में सूक्ष्म और सटीक टिप्पणीयां की।

छत्तीसगढ़ से 1920 में मुगलों (बिलासपुर) से प्रकाशित होने वाले "भानुदय मासिक पत्र " से शुरू हुआ।


(36) सन् 1900 में " प्रजा हितैषी " राजनांदगाँव रियासत के राजा बलराम दास के संरक्षण में शुरू हुआ ,जिसके संपादक भगवान दीन सिरोठिया थे। इसके अलावा राजनांदगाँव टाइम्स ,सवेरा ,संकेत ,आत्म स्वीकृति और कही देबे संदेश आदि पत्रों का प्रकाशन हुआ। इनको केवल 1920 तक ही प्रकाशित किया गया , उसके बाद इन्हें बंद करना पड़ा। 


37) "सरस्वती " पत्रिका 1900 में चिंतामणि घोष ने प्रकाशित किया। इसके संपादक मंडल में बाबू श्यामसुंदर दास , रामकृष्ण दास ,कीर्तिप्रसाद खत्री , जगन्नाथ दास रत्नाकर ,किशोरीदास गोस्वामी थे और 1903 में महावीर प्रसाद द्विवेदी ने इसका सम्पादन किया। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने लगभग 20 सालों तक " सरस्वती" का सम्पादन किया ।


38) डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे ने "हिंद केसरी" को 13 अप्रैल ,1907 में नागपुर से निकाला था। इसमें लोकमान्य तिलक के प्रसिद्ध पत्र " केसरी" के लेखों का अनुवाद होता था। इसके सम्पादक माधवराव सप्रे और सहायता के लिए पं. जगन्नाथ प्रसाद शुक्ल और पं. लक्ष्मीनारायण वाजपायी थे। 


(39) "अभ्युदय " को 1907 में महामना मदनमोहन मालवीय जी ने शुरू किया और 1916 में यह साप्ताहिक से दैनिक हो गया। भगत सिंह की "फांसी अंक " निकला ,एक क्रान्ति की तरह था। 

अंग्रेज सरकार की दमननीति के कारण "भारतमाता " और " कालापानी " इन दो सम्पादकीय टिप्पणियों के प्रकाशित होते ही 23 अगस्त ,1908 को इसके सम्पादक सप्रे जी को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और 1909 में यह पत्र बन्द हो गया। 


40) इलाहबाद से सन् 1907 में शांति नारायण भटनागर के सम्पादन में "स्वराज" साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन हुआ। आपत्तिजनक सामग्रियों के प्रकाशन के अपराध में इसके संपादक , सहायक सभी को न्यायालय द्वारा दंडित किया गया। 


(41) सन् 1907 में कलकत्ता से पं. अम्बिका प्रसाद वाजपायी के सम्पादन में " नृसिंह " पत्र निकाला गया। इसके प्रत्येक अंक में 40 पृष्ठ होते थे और प्रत्येक अंक में एक चित्र अवश्य रहता था। 

‌42) 1910 में सप्ताहिक पत्रों में "प्रताप" प्रसिद्ध था ,इसका सम्पादन कानपुर से होता था। इसके संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी थे। "प्रताप " का ऑफिस क्रान्तिकारियों का जमघट था।


43) ‌1914 में श्री संतराम के सम्पादन में "आर्यप्रभा" का प्रकाशन हुआ और लाहौर से श्री संतराम के सम्पादन में "उषा " का प्रकाशन हुआ।


44) कलकत्ता से बाबू मूलचंद्र अग्रवाल ने सन् 1917 में " विश्वामित्र " का प्रकाशन किया। यह हिंदी का पहला दैनिक पत्र था जो एक साथ 5 महानगरों में निकलता था। 

45) गांधी जी भारत आने के बाद 7 सितंबर ,1919 के दिन बतौर तंत्री "नवजीवन " नाम से गुजराती साप्ताहिक का प्रकाशन शुरू किया।

इसके पहले अधिपति श्री इंदुलाल याज्ञिक थे और वो "नवजीवन " का प्रकाशन "नवजीवन सत्य" नाम से मासिक पत्रिका के रुप में करते थे।

गुजराती "नवजीवन " के दो वर्ष बाद 19 अगस्त ,1921 को गांधी जी ने हिंदी "नवजीवन" का प्रकाशन शुरू किया।


46) Young India होमरूल इंडिया का सप्ताहिक पत्र 7 मई 1919 से प्रकशित हुआ और गांधी जी 8 अक्टूबर 1919 को सम्पादक बने


47) "स्वदेश " का प्रकाशन गोरखपुर में 1919 में पं. दशरथ प्रसाद द्विवेदी ने किया को गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा प्रशिक्षित थे। द्विवेदी जी के बाद इस पत्र का सम्पादन पांडे बेचन शर्मा ' उग्र ' ने किया। 

जबलपुर से 1919 में श्री माखनलाल चतुर्वेदी ने "कर्मवीर" निकाला। स्वतन्त्रता संग्राम में 12 बार जेल और 63 बार तलासियां हुई।


48)  सन्                       अखबारों की संख्या

   1920                                       24  

   1921                                      106

   1922                                      194

  1923                                      ‌‌ 163

  1924                                        51


5 सितंबर ,1920 को बनारस में " आज " का प्रकाशन किया गया, जिसके पहले अंक में लिखा गया कि भारत के गौरव की वृद्धि और उसकी राजनैतिक उन्नति "आज" का विशेष लक्ष्य होगा।

‌इसी बीच कानपुर से "वर्तमान" निकलने लगा जिसके मुख्य पृष्ठ पर "वन्दे मातरम् " लिखा रहता था।


49) 1922 में " श्री कृष्ण जन्म स्थान " समाचार के लेखक सुंदरलाल शर्मा थे। उन्होंने जेल के अंदर की घटनाओं और राजनीतिक चिंतन का उल्लेख किया था।


50)1925 में बिलासपुर डिस्ट्रिक काउंसिल द्वारा कुलदीप सहाय के संपादन में " विकास" समाचार पत्र का प्रकाशन किया गया। 

 जबलपुर से प्रकाशित होने वाला साप्ताहिक समाचारपत्र "कर्मवीर" 1925 से खंडवा से प्रकाशित होने लगा। 


51) 1927 में " महाकौशल पत्रिका " का प्रकाशन नागपुर से किया गया। "महाकौशल " समाचारपत्र फिर से 6 मार्च 1946 से स्वराज प्रसाद त्रिवेदी के संपादन में शुरू किया गया। 


52) 1927 में "हिंदी मिलाप " का प्रकाशन शुरू हुआ। 23 सितंबर 1949 को " मिलाप " जलंधर से प्रकाशित हुआ। 

53) 1933 में इसे दैनिक रूप से रायपुर से प्रकाशित करना शुरू किया गया। इसके शुरुआती संपादकों में सीताचरन द्विवेदी और सुन्दरलाल त्रिपाठी थे।


54) 1933 में राजनैतिक दृष्टिकोण से एक कांग्रेस कोमिटी ने " कॉन्ग्रेस पत्रिका " नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन गौरीशंकर और स्वराज्य प्रसाद द्विवेदी संपादन में किया गया। " कांग्रेस पत्रिका " राजनैतिक समाचारपत्रों में अपना विशेष स्थान रखती थी। 


55) केशव प्रसाद वर्मा और स्वराज्य प्रसाद द्विवेदी के संपादन में हिंदी साहित्य मण्डल रायपुर में 1935 में एक मासिक पत्रिका " आलोक " का प्रकाशन किया।


56) 1935 में केशव प्रसाद वर्मा ने एक अन्य मासिक पत्रिका " शिक्षा " का प्रकाशन बटेरिया बुक डिपो ,रायपुर से किया।


57) 1935 में डिस्ट्रिक काउंसिल रायपुर द्वारा पंडित सुंदरलाल त्रिपाठी के संपादन में मासिक पत्रिका "उत्थान " का प्रकाशन किया। इस पत्रिका में शिक्षा और सहित्य पर विशेष प्रकाश डाला गया था। यह पत्रिका दो वर्षों तक प्रकाशित हुई।


58) 1937 में " कांग्रेस पत्रिका " के साथ बिलासपुर से सचेत और सरगुजा से "सरगुजा संदेश " का प्रकाशन किया गया। इन समाचार पत्रों में साहित्य ,समाज ,राजनीतिक ,शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रकाशन किया जाता था।


59) 1939 में सरकारी प्रेस के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने सरकारी समाचारों के लिए एक साप्ताहिक समाचारपत्र " बस्तर समाचार " का प्रकाशन किया।


60) 1939 में ही रायगढ़ " रायगढ़ समाचार " का प्रकाशन ए. एम. वाजपेयी , मनोहर मिश्र और वनमाली शुक्ला के संपादन में शुरू हुआ।


61) 1941 में बिलासपुर से एक साप्ताहिक पत्र " पराक्रम " की शुरुआत हुई। जिसका संपादन रामकृष्ण पांडे ने किया।

62) अंग्रेज सरकार ने " न्यूजप्रिंट कन्ट्रोल ऑर्डर 1941 " नामक नया अध्यादेश जिसके अनुसार 15 जून 1941 के बाद न्यूजप्रिंट की बिक्री और उपयोग पर कई प्रतिबंध लगाया गया।


63) 1942 में केशव प्रसाद वर्मा ने "अग्रदूत " का प्रकाशन रायपुर से हुआ। इसके सहायक संपादक के रूप में स्वराज प्रसाद त्रिवेदी ने काम किया।


64) सितंबर 1942 में केशव प्रसाद वर्मा और स्वराज प्रसाद त्रिवेदी के घरों की तलाशी ली गई और अखबार पर सेंसर लागू किया गया। केशव प्रसाद वर्मा को जेल भी हुई और कुछ समय के लिए "अग्रदूत " को बंद भी करना पड़ा।


65) 1947 में रायपुर से " छत्तीसगढ़ केसरी " साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन किया गया जो 1952 में " हिन्द केसरी " के नाम से हुआ।


66) 1947 में दुर्ग से " प्रजाबंधु " और "जिन्दगी" नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन "केदारनाथ झा " के संपादन में किया गया।


67) शांति नारायण भटनागर के स्वराज के 8 संपादकों को कुल मिलाकर 125 वर्ष की काला पानी की सजा सुनाई गई।

"स्वराज" के हर संपादक की गिरफ़्तारी के बाद स्वराज में इश्तिहार छपता

 "संपादक चाहिए ,वेतन सुखी रोटी ,एक गिलास ठंडा पानी और संपादकीय के लिए 20 साल की जेल "। 

राजा राममोहन राय ,अरविंदो घोस , लोकमान्य तिलक ,महात्मा गांधी से लेकर युगल किशोर शुक्ल ,दुर्गा प्रसाद मिश्र , बालमुकुंद गुप्त ,बाल कृष्ण भट्ट ,अमृतलाल चक्रवर्ती ,पराडकर ,विद्यार्थी , वाजपेयी ,गर्दे से लेकर लंबी लिस्ट है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना स्वतन्त्रता के लिए सब कुछ दे दिया।


68) माखन लाल चतुर्वेदी "एक भारतीय आत्मा" के नाम से लिखते थे।


69) गोविंददास ने " लोकमत " नाम का समाचारपत्र शुरु किया था।


70) माधवराव सप्रे ने " कर्मवीर " का प्रकाशन जबलपुर से करवाया।

 71) शांतिनारायण भटनागर जी ने 9 नवम्बर, 1907 को इलाहाबाद के देश सेवक प्रेस से साप्ताहिक समाचारपत्र "स्वराज" का पहला अंक निकाला।

इस समाचारपत्र के आठ में से सात संपादकों को काला पानी और एक को न पकड़े जाने पर फरार घोषित कर दिया गया।

दूसरे संपादक रामदास, होतीलाल वर्मा (काला पानी) , बाबूराम हरी (काला पानी),नांदगोपाल (काला पानी), मुंशीराम सेवक, रामचरण (काला पानी), लद्धाराम कपूर (काला पानी), नंदलाल।

आजादी से पहले विदेशों में पत्रकारिता

1) विदेशों में हिंदी पत्रकारिता का जन्म 1883 में माना जाता है। कहा जाता है कि लंदन से "हिंदुस्तान " नामक त्रैमासिक पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ था। 


‌इसके संस्थापक राजा राममोहन सिंह थे। यह त्रिमासी के रूप में प्रस्तुत होता था, इसमें उर्दू और अंग्रेजी के भी अंश होते थे। दो वर्ष वहां से प्रकशित होने के बाद ये 1885 से कालाकांकर (अवध) से प्रकाशित होना शुरू हुआ। 1887 से इसका स्वरूप दैनिक हो गया।


अमृत लाल चक्रवर्ती ,शशिभूषण चक्रवर्ती ,प्रताप नारायण मिश्र ,बाल मुकुंद गुप्त , गोपाल राम ,लालबहादुर ,गुलाब चंद्र चौबे ,राम प्रसाद सिंह ,शीतल प्रसाद उपाध्याय ,शिव नारायण इसके सम्पादक थे।

‌2) "The Indian openion " 1903 में महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से हिंदी ,अंग्रेज़ी ,गुजराती ,तमिल जिसके प्रथम सम्पादक मनसुख लाल नजर 


3) 1 नवम्बर 1913 में अमेरीका से प्रकाशित हुआ। 

गदर के प्रकाशन से पहले अमेरीका से ही एक छात्र तारकनाथ दास ने 1908 में "फ्री हिंदुस्तान " प्रकाशित हुआ। 


4) 1909 में गुरुदत्त कुमार ने पंजाबी में "स्वदेश " नामक पत्रों का प्रकाशन किया।

5) ‌लंदन से शांता सोनी द्वारा सम्पादित "नवीन " ।

6) ‌एस एन गौरीसरीया के सम्पादन में "सन्मार्ग " का प्रकाशन हुआ।


7) ‌पैडर्स ने केसरी ,सुकुमार मजुमदार ने प्रवासी ,जगदीश कौशल ने अमरदीप दैनिक आज के लंदन स्थित प्रतिनिधि धर्मेंद्र गौतम ने प्रवासिनी का प्रकाशन किया।


8) ‌1972 में " सोवियत संघ " नाम से एक हिन्दी पत्रिका " मास्को " से प्रकाशित हुई।


9) मारीशस से प्रकाशित हिन्दी का पहला पत्र " हिन्दुस्तानी " था। इसका प्रकाशन 1909 में हुआ और इसके पहले सम्पादक मणिलाल थे।

‌मारीशस से प्रकाशित पत्र पत्रिकाओं में हिन्दुस्तानी ,जनता ,कांग्रेस ,हिन्दू धर्म , दर्पण ,इंडियन टाइम्स अनुराग , महाशिवरात्रि ,आभा आदि कई पत्र प्रमुख रहे है


10) ‌सूरीनाम से प्रकाशित होने वाले हिन्दी पत्रों में दैनिक कोहिनूर ,साप्ताहिक प्रकाश ,विकास ,शान्ति दूत प्रमुख हैं। 


11) ‌नेटाल (दक्षिण अफ्रीका) से अमृतसिंधु मासिक भवानी दयाल के सम्पादन में प्रकाशित हुई। 


12) ‌डरबन शहर में 1916 में " धर्मवीर " साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन हुआ।

" डरबन " में ही हिंदी नामक मासिक पत्रिका प्रकाशित हुई। 1904 में डरबन से ही " इंडियन ओपिनियन " मदनजीत के सम्पादन में प्रकाशित हुआ।


13) ‌1950 में " त्रिनिदाद " से शिवप्रसाद के सम्पादन में " आर्य संदेश" का प्रकाशन हुआ।


14) ‌बर्मा से प्रखर प्रकाश ,जागृति ,ब्रह्मा भूमि का प्रकाशन हुआ था।


15) ‌अविभाजित भारत में ढ़ाका से 1871 में " विहार बन्धु " , 1880 में "धर्मनिति " , 1888 में " विद्या धर्म दिपिका " , 1904 में " नारद " ,1905 में "नागरी हितैषी ", 1911 में " तत्व दर्शन" , 1939 में " मेलमिलाप " , जैसोर से " अमृत बाजार " पत्रिका का प्रकाशन हुआ। 

‌अविभाजित भारत में लाहौर से भारतीय ,विश्व बंधु ,आर्य ,आर्य बंधु ,आर्य जगत , शान्ति ,सुधारक ,क्षत्रिय ,मित्र विलास , बुढ़ा दर्पण ,आकाशवाणी आदि पत्र प्रकाशित हुए।

अंग्रेजी सरकार के नियम पत्रकारिता के लिए

अंग्रेजी सरकार और सरकारी अधिकारियों की आलोचना करने वाले पत्रों पर अंकुश लगाने के लिए अंग्रेजी सरकार ने कई बड़े नियम बनाए।


लार्ड वेलेजिली के समय पहला प्रेस सम्बंधित कानून बनाया गया , जिसमें एक शर्त यह भी थी कि सरकारी अधिकारी के निरिक्षण के बिना कोई भी पत्र प्रकाशित नहीं किया जायेगा।


लार्ड वेलेजिली के के बाद आये लार्ड हेरिटंग्स ने प्रेस एक्ट में कुछ संशोधन किया ,पर नियम फिर भी कड़े थे।


हेरिटंग्स के बाद एडम ने कमान संभाली , वह और भी कठोर था। 14 मार्च ,1823 को उसने नये कानून लागू किए। जिसके अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति बिना लाइसेंस के कोई भी पत्र नहीं निकाल सकता था।


इस प्रेस एक्ट के विरोध में राजा राममोहन राय ने एक याचिका दायर की। प्रेस एक्ट के खिलाफ यह किसी भारतीय का पहला विरोध था , जिसके कारण 4 अप्रैल , 1823 को उन्हें अपना मिरातुल अखबार बंद कर देना पड़ा। 


लार्ड विलियम बैंटिग के काल में आये चार्ल्स मैटकाफ ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए सकारात्मक रवैया अपनाया। मैटकाफ के प्रयासों से भारतीय समाचार पत्रों पर लगी सभी पाबंदियां हटा दी गई। लेकिन 1857 की क्रांति के बाद फिर से प्रेस संबंधी कानून और कड़े हो गए।

अन्य पत्र पत्रिकाएं 

‌1901 में कुल 9 मासिक पत्र निकले और 1902 में 4 साप्ताहिक और 2 मासिक पत्र निकले। "अनाथरक्षक " , " वसुंधरा " नामक पत्र अजमेर और लखनऊ से प्रकाशित हुए।


साप्ताहिक पत्रों में " आर्यवनिता " (जबलपुर से)) गया सामाचार (गया से) और दुध सामाचार (मिर्जापुर से) प्रकाशित हुए थे। 

1903 में 6 साप्ताहिक , एक द्विमासिक और 7 मासिक पत्रों का प्रकाशन हुआ। 1904 में किसी नए पत्र का प्रकाशन नहीं हुआ। 


1907 में 7 मासिक और एक साप्ताहिक पत्र (स्वदेशबंधु) का प्रकाशन हुआ। 1906 में प्रकाशित पत्रों की संख्या 19 थी , इन पत्रों में "कान्यकुब्जबंधु " , " ब्राह्मण कुलचंद्रिका" , "कलवार गजट" , "वैदिक सर्वस्व" आदि प्रमुख थे। 


1907 में 16 मासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ। साप्ताहिक पत्रों में "अभ्युदय" और "हिंदी केसरी" प्रमुख थे।


युगल किशोर शुक्ल की " उदंत मर्तड " , निलरतन हालदार का " बंगदूत " , शिवप्रसाद सितारे हिन्द का " बनारस " अखबार ।


प्रथम सुधावर्षण , युगांतर , गदर [गदर के संपादक लाला हरदायल और सरदार करतार सिंह , जिन्हे अपने छः साथियों सहित फांसी की सजा सुनाई गई।],(विपिन चंद्र पाल और हलदार के) वंदे मातरम् ,संध्या , (शांति नारायण भटनागर का) स्वराज ,कर्मयोगी ,प्रताप वीर अर्जुन , तेज मिलाप ,कर्मवीर ,भारत मित्र ,आदर्श आदि ।


हिंदी बंगवासी (कलकत्ता) ,रसिक मित्र , भारत मित्र (कलकत्ता) ,गोरक्षण (नागपुर) ,श्री व्यंकटेश समाचार बंबई ,राजपूत (आगरा) ,नागपुर एंड बरार टाइम्स (नागपुर) ,सुबोध सिंधु (खंडवा) ने बहुत ही बेहतरीन और उत्साह वर्धक सम्मतियां " छत्तीसगढ़ मित्र " के लिए प्रेषित की थी।


काला पानी की सजा पाने वाले संपादको वाला समाचारपत्र

शांतिनारायण भटनागर जी ने 9 नवम्बर, 1907 को इलाहाबाद के देश सेवक प्रेस से साप्ताहिक समाचारपत्र "स्वराज" का पहला अंक निकाला।


इस समाचारपत्र के आठ में से सात संपादकों को काला पानी और एक को न पकड़े जाने पर फरार घोषित कर दिया गया।


दूसरे संपादक रामदास, होतीलाल वर्मा (काला पानी) ,बाबूराम हरी (काला पानी),नांदगोपाल (काला पानी), मुंशीराम सेवक, रामचरण (काला पानी), लद्धाराम कपूर (काला पानी), नंदलाल।

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