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बीना दास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण तिथियां !

1) 24 अगस्त ,1911 - जन्म बीना दास का जन्म ब्रिटिश कालीन बंगाल के कृष्णानगर में हुआ था। इनके पिता बेनी माधव दास एक अध्यापक और मां का नाम सरला दास था।  2) 1937 में -  कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद कई राजबंदीयों के साथ बिना दास को भी रिहा कर दिया गया। 3) 6 जनवरी ,1932 -  अपने कॉलेज के दीक्षांत समारोह में अंग्रेज गर्वनर स्टैनली जैक्सन पर पांच गोलियां चलायी और उसी समय उनकी गिरफ्तारी भी हो गई। केवल एक दिन की कार्यवाही के बाद बिना दास को नौ वर्ष की सजा हुई। 4) 1942 - भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया। 5) 1946 से 1951 -   तक वे बंगाल विभाजन सभा की सदस्य रही।  6) 1947 - जतिंशचंद्र भौमिक और बिना दास ने विवाह कर लिया। 7) 26 दिसम्बर ,1986 - ऋषिकेश में इनका निधन हो गया।

भीकाजी कामा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण तिथियां !

1) 24 सितंबर,1861 को बम्बई (मुम्बई) में इनका जन्म, एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। 2) 1885 में इनकी शादी रूस्तम कामा से हुई। 3) 1902 में वो लंदन चली गई। 4) 1904 में मैडम भीकाजी की भेंट श्यामजी कृष्णवर्मा से हुई। 5) 1907 में सरदार सिंह राणा के सहयोग से उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज तैयार कराया। 22 अगस्त ,1907 को जर्मनी के स्टटगार्ट नगर में आयोजित 7 वीं अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में इस ध्वज को फहराया था।  6) 1896 में मुंबई में प्लेग की बीमारी के दौरान बीमारों की सेवा की और बाद में खुद भी इस बीमारी से ग्रस्त हो गई, ईलाज के बाद वे स्वस्थ हो गई। 7) 3 अगस्त, 1936 में बम्बई (मुम्बई) के अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद मैडम भीकाजी का निधन हो गया। 8) 26 जनवरी,1962 को उनके नाम का भारतीय डाक टिकट जारी किया गया।

मैडम भीकाजी कामा एक महिला क्रांतिकारी भाग - 2

  विवाह भीकाजी के ससुर बम्बई के प्रसिद्ध प्रोफ़ेसर खुरशेदजी रूस्तम कामा थे। उनके पति का नाम रूस्तम कामा था, वे पेशे से एक वकील थे। 3 अगस्त, 1885 को इन दोनों का विवाह हुआ था।  1896 में जब बंबई में प्लेग महामारी फैली तब भीकाजी ने उनकी पूरी सेवा की।  1901 में भीकाजी रोगग्रस्त हो गई और डॉक्टर ने उन्हे विदेश जाकर ईलाज कराने की सलाह दी। 

मैडम भीकाजी कामा एक महिला क्रांतिकारी भाग - 3

  क्रांतिकारी गतिविधियां इटली के महान क्रांतिकारी मेजिनी  के विचारों से वे काफ़ी प्रभावित थी। लंदन में उन दिनों सरोजिनी नायडू, श्यामजी कृष्ण वर्मा और सरदार सिंह जी रेवाभाई राणा आदि भारतीय रह रहे थे।  सबसे पहले एच. एस. हिंडमैन ने कांग्रेसी नेताओं द्वारा अपनायी गयी नीतियों का विरोध किया। मैडम कामा ,श्यामजी कृष्ण वर्मा और सरदार सिंह जी रेवाभाई राणा भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ब्रिटिश कमेटी से असंतुष्ट थे।  श्यामजी कृष्ण वर्मा लंडन में भारतीय क्रांति को पोषित कर रहे थे। उन्होंने 1905 में " द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट " नामक अंग्रेज़ी मासिक पत्रिका निकाली। मैडम कामा इस पत्रिका के लिए लिखती थी।  1 जुलाई,1905 इंडियन हाउस  का उदघाटन किया गया था। 1909 में इन्होंने वंदे मातरम् पत्र का प्रकाशन भी किया और इसके संपादक लाला हरदयाल थे। इन्होंने मदन लाल ढींगरा की याद में  मदन तलवार  नामक पत्रिका भी बर्लिन में चलायी। मृत्यु 13 अगस्त 1936 को मुंबई में उनका निधन हो गया।

मैडम भीकाजी कामा एक महिला क्रांतिकारी भाग - 1

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  प्रारंभिक जीवन इनका पूरा नाम मैडम भीकाजी रुस्तम कामा था। भीकाजी का जन्म 24 सितंबर 1861 को बम्बई (मुम्बई ) के एक संपन्न पारसी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सोराबजी फ्रामजी पटेल और मां का नाम जीजाबाई था। सोराबजी उस समय के प्रसिद्ध व्यापारी थे। भीकाजी के कुल 9 भाई बहन थे।  एलेक्जेंड्रा गर्ल्स एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन से भीकाजी ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पायी। भीकाजी क्रिकेट में भी दिलचस्पी रखती थी। 

यंत्र सर्वत्र पुस्तक किसने लिखी ?

 यन्त्र सर्वत्र नामक पुस्तक (जिसका एक भाग वैमानिक प्रकरण) भी है।  यह वैमानिक प्रकरण 8 अध्यायों , 100 अधिकरणों और 500 सूत्रों में महर्षि भरद्वाज ने रचा था। जिसमें विमानों को कैसे बनाया जाय, इसकी पूरी जानकारी चित्रों द्वारा दी गई है।   रामायण का पुष्पक विमान इसी का एक उदाहरण है। राजा भोज " समराड़ग्ण सूत्रधार" में भी पारे से उड़ने वाले विमान के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। युक्तिकल्पतरु  में भी विमान की चर्चा आती है। इसमें गैस, बिजली, चुंबक ,वायु आदि कई प्रकार के विमानों के बारे में बताया गया है। इसमें बताए गए तरीके आधुनिक विमान से मिलते है।  इस पुस्तक में " रुक्मा विमान " का जिक्र है , जिसमें एक व्यक्ति के बैठने की जगह होती थी। वैमानिक प्रकरण में आने वाले आचार्यों के नाम - नारायण मुनि , शौनक , गर्ग , वाचस्पति , चक्रयणी, धुंडीनाथ , विश्वनाथ , गौतम , लल्ल , विश्वंभर , अगस्त्य , बुडिल , गोभिल , शाकटायन , अत्रि , कपर्दी , गालव , अग्निमित्र , वाताप , सांब , बोधानंद , भरद्वाज , सिद्धनाथ , ईश्वर , आश्वलायन , व्यास , पराशर , सिद्धकोठ , अंगिरा , विसरण , ...

अभिज्ञान शकुंतलम किसने लिखा है ?

 अभिज्ञान शकुंतलम को कालिदास ने लिखा है। यह एक प्रसिद्ध नाटक है। इसमें दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी को बताया गया है।

अर्थशास्त्र को सबसे पहले किसने प्रकाशित किया ?

 अर्थशास्त्र को सबसे पहले 1909 में मैसूर राज्य के ग्रंथशाला के अध्यक्ष श्रीयुत शामशास्त्री ने प्रकाशित कराया और इसका अंग्रेज़ी भाषा में भी अनुवाद किया। 

चाणक्य के कितने नाम है ?

 चाणक्य को विष्णुगुप्त,कौटिल्य , वात्स्यायन , मल्लनाग , वराणक , कात्यायन , पक्षिलस्वामी , अंगल और द्रमील भी कहा जाता है।

चरक संहिता किसने और कब लिखी ?

 चरक संहिता चरक ने लिखा है। इसमें 120 अध्याय को 8 भागों में विभाजित किया गया है। इसे लगभग 2400 वर्ष पूर्व लिखा गया। इसमें सभी तरह के रोग और उनसे जुड़ी आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी मिलती है। चरक संहिता में शरीर के सभी अंगों के लिए लगभग 2000 दवाओं के बारे में बताया गया है और 1 लाख पौधो और जड़ी बूटियों का दवाओं के रुप में प्रयोग के बारे में जानकारी दी गई है। 

किसने लिखी थी कामसूत्र ?

 कामसूत्र पुस्तक ऋषि वात्स्यायन ने लिखा है। इसमें कामसूत्र को कई अधिकरणों में बांटा गया है। वात्स्यायन ऋषि आजीवन ब्रह्मचारी रहे।

भृगु संहिता किसने लिखी ?

 " भृगु संहिता " महर्षि भृगु द्वारा रचित एक अदभुत ज्योतिषीय ग्रंथ है।  जिससे किसी भी इंसान के तीनों जन्मों का फल निकाला जा सकता है। इस पुस्तक के द्वारा मनुष्य के भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी मिलती है।

लीलावती का अनुवाद विदेशी पर्शियन भाषा में किसने किया ?

 सन् 1547 में लीलावती का पर्शियन भाषा में अनुवाद " फैजी" ने किया। सन् 1816 में लीलावती  पुस्तक का अंग्रेज़ी में प्रथम अनुवाद टेलर महाशय ने किया और दुसरा अनुवाद कौलब्रूक ने 1817 में किया।

अर्थशास्त्र की रचना किसने की ?

 अर्थशास्त्र (पुस्तक) की रचना चाणक्य (कौटिल्य) ने की है। यह एक संस्कृत में लिखा ग्रंथ है। अर्थशास्त्र को लगभग  321 BC से 300 BC के बीच में लिखा गया था।  अर्थशास्त्र में 15 अधिकरण , 180 प्रकरण,150 अध्याय  और 350 करिकाएं ( श्लोक) है।

लीलावती पुस्तक किसने लिखी ?

 लीलावती की रचना भास्कराचार्य द्वितीय ने की है। यह पुस्तक सिद्धान्तशिरोमणि का ही एक भाग है। इसे लीलावती या पाटी गणित भी कहा जाता है। लीलावती अंकगणित और महत्त्वमान (क्षेत्रफल, घनफल आदि) का ग्रंथ है।  

रावण संहिता किसने लिखी ?

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रावण संहिता रावण द्वारा लिखा , संस्कृत का एक ग्रंथ है।  यह पुस्तक पाँच खंडों में विभाजित हैं। जिसके पहले खंड में रावण के जीवन के बारे में पूरी जानकारी दी गई है।  दूसरे खंड में शिव जी की उपासना से जुड़ी बातों,जैसे पंचाक्षरी साधना लिंग उपासना आदि के बारे में बताया गया है। तीसरे खंड में तंत्र मंत्र साधना से जुड़े रहस्यों की जानकारी मिलती है। तंत्र का एक भाग आयुर्वेद से संबंधित होता हुआ भी ,उससे बिल्कुल अलग होता है। चौथे खंड में इसी की जानकारी प्राप्त होती है। इसमें नवजात शिशुओं और उसके माताओं के सही स्वास्थ के भी नुस्खे दिए गए है। पांचवां खंड ज्योतिष से जुड़ा हैं। इस खंड में ऐसी चीजों की जानकारी शामिल नहीं की गई है जो भृगु संहिता में मिलती है। 

अष्टांगहृदयम् किसने लिखी है ?

 अष्टांगहृदयम् को वाग्भट ने लिखा है। इसमें रोगों और उनके उपचारों के बारे में जानकारी मिलती है।

सुश्रुत संहिता किसने लिखी ?

 महर्षि सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता की रचना की है। इसमें चिकित्सा, चिकित्सा में प्राचीन काल में उपयोग में लाए गए औजार और शल्य चिकित्सा से सम्बन्धित जानकारियां मिलती है।

हनुमान चालीसा की रचना किसने की ?

 तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना की है। 

वेद कितने है ?

 वेद चार है - 1) ऋग्वेद 2) यजुर्वेद 3) अथर्ववेद  4) सामवेद 

पुराण कितने है ?

 18 पुराण होते है -  1) शिव पुराण          2) अग्नि पुराण 3) मत्स्य पुराण       4) भविष्य पुराण 5) गरुण पुराण        6) स्कंद पुराण 7) पद्म पुराण          8) विष्णु पुराण 9) वायु पुराण          10) भागवत पुराण 11) नारद पुराण      12) मार्कण्ड पुराण 13) लिंग पुराण     14) ब्रह्मवैवर्त पुराण 15) वराह पुराण       16) वामन पुराण 17) कूर्म पुराण         18) ब्रह्माण्डपुराण

रामचरित्रमानस की रचना किसने की ?

 रामचरित्रमानस तुलसीदास जी ने लिखा था। इसे तुलसीदास जी ने विक्रम संवत् 1631 में (1573 ईसवी) में शुरू किया और विक्रम संवत् 1633 में (1575 ईसवी) में पूरा किया।

रामायण की रचना किसने की ?

रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने रामचन्द्र जी के जीवन काल में ही की थी। इसके 7 काण्ड है। 1) बालकाण्ड   2 ) अयोध्याकांड   3) अरण्यकाण्ड 4) किष्किंधा काण्ड 5) सुंदर काण्ड 6 ) युद्ध काण्ड  7) उत्तर काण्ड