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Showing posts from November, 2025

प्राचीन काल में यज्ञ द्वारा प्राप्त संताने कौन है ?

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प्राचीन काल में पुत्र या पुत्री के पुत्र द्वारा किया गया यज्ञ हमारे पुराणों और धार्मिक ग्रंथों के उदाहरणों में उपलब्ध है। 💠 राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न -  पुत्रेष्टि यज्ञ की सबसे प्रसिद्ध घटना भगवान राम सहित उनके चारो सैनिकों का जन्म है। ऋष्यश्रृंग नाम के ऋषि ने ही यहां दिया था दशहरा जी के पुत्रप्राप्ति के लिए यज्ञ, इस यज्ञ का विधान अथर्ववेद में है।  इस यज्ञ के बाद उस यज्ञ कुंड से चारु प्रकट हुए, जिस समय राजा दशरथ की तीरी रानियों ने खाय और समय आने पर कौशल्या ने राम जी को, कैक ने भरत जी को और सुमित्रा ने लक्ष्मण - शत्रुघ्न को जन्म दिया था।  ऋष्यश्रृंग राजा दशहरा की पुत्री शांता के पति थे। लक्ष्मण और भारत दोनों जुड़वाँ थे। 💠मनु के पुत्र सुद्युम्न भागवत में श्री शुकदेव जी ने बताया है कि मनु ने पुत्र की इच्छा से मित्रवरुण नामक दो देवताओं का यज्ञ अनुष्ठान किया। इस यज्ञ में मनु की पत्नी श्रद्धा ने केवल दूध का सेवन करके ही अनुष्ठान किया।  इसके बारे में कहा गया है कि "मृत्यु जैसा यज्ञ हुआ था, इसका अर्थ इस पृथ्वी पर और किसका हुआ था, सभी याज्ञिक वस्तुएं सुवर्णमय और अति सुं...

बनारस के राजा को क्या श्राप मिला

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💎काशी के राजा चेतसिंह (1770-1781) के समय एक अघोरी बाबा कीनाराम के काशी में निवास करते थे। राजा चेतसिंह के पिता बलवंतसिंह बाबा का बहुत आदर करते थे और बाबा को किसी भी पूजा - पाठ में बिना रोक टोक जाते थे। 💎 एक बार चेतसिंह ने शिवाला घाट के महल में एक शिव मंदिर की स्थापना की। जिस दिन शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, महाराज ने चौकीदारों को सचेत कर दिया था कि आज अघोरी बाबा कीनाराम किसी प्रकार भी पूजा समारोह में सम्मिलित न हो पायें।  💎बाबा के आश्रम का फाटक महाराज के महल के सामने था। चेतसिंह के पिता ने बाबा को किसी भी पूजा में आने से नहीं रोका था इसी कारण आज भी बाबा पूजा समारोह को देखने के लिए स्वयं से ही आ गये। उन्हें रोकने का साहस किसी भी राज दरबारी का न था।  💎चेतसिंह ने जब बाबा को देखा तो वह पूजा के आसान पर बैठे हुए ही लाल पीले हो गए और तरह तरह की गाली देते हुए, सिपाहियों को उन्हें मारकर बाहर निकाल देने का आदेश दिया। सिपाहियों का इतना साहस नहीं था कि बाबा से इस प्रकार दुर्व्यवहार करें।  💎इससे पहले कि चेतसिंह अपने आदेश को दोहराएं बाबा ने उन्हें श्राप दिया कि तेरे वंश...

धृतराष्ट्र के अलावा और किन राजाओं के 100 पुत्र थे ?

  ⚜️कृतवीर्य के पुत्र अर्जुन (सहस्त्रार्जुन) के  100 पुत्रों में शूर, शूरसेन,वृषसेन,मधु और जयध्वज प्रधान हैं। ⚜️जयध्वज के पुत्र तालजंघ के 100 पुत्र  थे इनमें सबसे बड़े वीतिहोत्र और दूसरा  भरत था।  ⚜️भरत के वंशज मधु के वृष्णि आदि  100 पुत्र थे। वृष्णि के कारण यह वंश  वृष्णि कहलाया।  ⚜️महाराज धृतराष्ट्र और गांधारी के 100  पुत्र थे।

किन रानियों ने 7,12,4, 15 वर्षों में संतान को जन्म दिया ?

✳️वशिष्ठ जी के आशीर्वाद से  सौदास  की पत्नी  मदयंती  के गर्भ धारण के 7 वर्ष तक संतान न होने पर रानी ने पत्थर से अपने गर्भ पर प्रहार किया, जिससे उसी समय पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम अश्मक रखा गया। ⚜️ महाराज धृतराष्ट्र पत्नी  गांधारी  जब गर्भवती हुई तब 2 वर्ष तक उन्हें संतान प्राप्त नहीं हुई और गांधारी के गर्भ पर प्रहार करने से गर्भ गिर गया। फिर वेदव्यास जी के आशीर्वाद से और 2 वर्ष बाद गांधारी के 100 पुत्र और एक पुत्री का जन्म हुआ। 💠महाराज  बाहु  की पहली पत्नी का गर्भ रोकने के इच्छा से उसकी दूसरी पत्नी ने उसे विष खिला दिया। जिसके प्रभाव से उसका गर्भ 7 वर्ष तक गर्भाशय ही में रहा। फिर और्व मुनि के आशीर्वाद से उन्हें  सगर  नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। जो इक्ष्वाकु वंश के महान राजा थे। 🔱विष्णु पुराण के अनुसार जब काशी में सुखा पड़ा था,उस समय काशीराज की रानी गर्भवती थी, समय पूरा होने पर भी 12 वर्ष तक बच्चे का जन्म नहीं हुआ। तब राजा ने हर दिन एक गाय ब्राह्मण को दान दी। फिर 3 वर्ष बीतने पर  गांदिनी  नामक कन्या का जन्म हुआ, जो  अक्रू...

भगवती चरण वोहरा - 2

पुलिस से मिले होने का शक एक बार भगवती चरण के खिलाफ पंजाब के एक नेता जयचंद्र विलायलंकर ने पार्टी के सभी क्रान्तिकारियों के कान भरे और कहा कि ये पुलिस से मिले हुये है। पुलिस इन्हें इनके काम के पैसे भी देती है।  जिसका असर ये हुआ कि एक बार जब पार्टी को पैसों की जरूरत थी तब भगवती चरण ने 3 हजार रूपए देने की कोशिश कि तब आजाद ने यह कहकर मना कर दिया की मैं पुलिसवालों का पैसा नहीं लेता।  भगवतीचरण वोहरा की शहादत  भगवतीचरण ,यशपाल और धनवंतरी की सहायता से चंद्रशेखर आजाद ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को लाहौर जेल से निकालने की योजना बनायी।  आजाद की योजना के अनुसार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को उस समय बचाना था, जब वे सेंट्रल से बोसर्टल जेल में ले जाए जाते थे।  28 मई को भगवती चरण, सुखदेव राज और वैशम्पायन के साथ एक बम लेकर लाहौर से कुछ दूरी पर रावी नदी के किनारे के जंगलों में बम टेस्ट करने के लिए गए।  शाम का समय था भगवती चरण के हाथ में बम था ,बम का पीन ढ़ीला था जिसके कारण बम उनके हाथ में ही फट गया। जिससे भगवती चरण का दायां हाथ , चेहरा, बाजू और पेट का कुछ अंश भी उड़ गया। आंखे...

भगवती चरण वोहरा - 1

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प्रारंभिक जीवन भगवती चरण वोहरा का जन्म 1904 लाहौर में हुआ था। (कुछ किताबों में इनका जन्म 1903 में,आगरा के उत्तर प्रदेश में हुआ बताया गया है) लाहौर में हुआ था।  भगवती चरण वोहरा एक गुजराती नागर ब्राह्मण थे। वह अपने नाम के आगे "बहुरा" लिखते थे। पंजाब में रहने के कारण वह वोहरा बन गया। भगवती चरण एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे। पिता शिवचरण वोहरा रेलवे में उच्च पदाधिकारी थे। उन्हें अंग्रेजों द्वारा राय बहादुर की उपाधि दी गई थी।  शिक्षा   भगवती चरण 1921 में गांधी जी के आह्वान पर पढ़ाई छोड़ कर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए और आन्दोलन समाप्त हो जाने पर उन्होंने लाहौर कॉलेज से बी. ए.की डिग्री हासिल की।  विवाह   उनका विवाह बचपन में ही दुर्गा देवी से हो गया था। तब वे हाई स्कूल में पढ़ रहे थे। भगवती चरण और दुर्गा देवी का एक पुत्र भी था। जिसका नाम शचिंद्र था। उसका यह नाम शचिंद्रनाथ शान्याल के नाम पर रखा गया था। क्रांतिकारी जीवन  जब "नौजवान भारत सभा" नामक क्रांतिकारी संगठन का गठन किया गया तो उन्हें संगठन का प्रसार सचिव नियुक्त किया गया। 6 अगस्त,1928 को भगत सिंह और भगव...