विष्णु पुराण सबसे पहले किसने किसको सुनाया था ?
विष्णु पुराण को सबसे पहले ब्रह्मा जी ने ऋभु को सुनाया था। फिर ऋभु ने प्रियव्रत को सुनाया और प्रियव्रत ने भागुरि को सुनाया।
फिर इसे भागुरि ने स्तंभमित्र को, स्तंभमित्र ने दधीचि को, दधीचि ने सास्वत को और सास्वत ने भृगु को सुनाया।
भृगु ने पुरुकुत्स को सुनाया, पुरुकुत्स ने नर्मदा को सुनाया, फिर नर्मदा ने धृतराष्ट्र और पूरणनाग से कहा।
धृतराष्ट्र और पूरणनाग ने यह पुराण वासुकि को सुनाया , वासुकि ने वत्स को, वत्स ने अश्वतर को, अश्वतर ने कम्बल को और कम्बल ने एलापुत्र को सुनाया।
इसी समय मुनिवर वेदशिरा पाताल लोक में पहुंचे, उन्होंने यह पुराण प्राप्त किया और फ़िर प्रमति को सुनाया।
प्रमति ने उसे जातुकर्ण को दिया और जातुकर्ण ने अन्याय पुण्यशील महात्माओं को सुनाया।
(पूर्व जन्म में सारस्वत के मुख से सुना हुआ यह पुराण) पुलस्त्य जी के वरदान से पराशर जी को स्मरण रह गया। पराशर जी ने मैत्रेय जी को सुनाया।
कलयुग के अंत में मैत्रेय जी इसे शिनीक जी को सुनायेगे।
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