नीर कुमारी
विवाह के मंडप से अपने पति को युद्ध भूमि में भेजने वाली वीर स्त्री
मारवाड़ नरेश अजीत सिंह के पौत्र रामसिंह और अजीतसिंह के दूसरे पुत्र भक्तसिंह में राज्य को लेकर बहुत भयानक युद्ध हुआ।
रामसिंह उस समय मारवाड़ के शासक थे, इसीलिए भक्तसिंह ने उनके विरुद्ध राजद्रोह कर दिया, ताकि उन्हें हराकर मारवाड़ पर अधिकार कर सके। कुछ सरदार राजा रामसिंह की ओर थे और कुछ सरदारों ने भक्तसिंह का साथ दिया।
मेहोत्री सरदार राजा के पक्ष में था। मेहोत्री का पुत्र नीर के सरदार की पुत्री नीर कुमारी से विवाह के लिए गया था। जहां विवाह पूर्ण भी नहीं हुआ था कि मंडप में ही आकर राजदूत ने उन्हें युद्ध की जानकारी दी।
विवाह की विधियां पुरी करके, नीर कुमारी को मंडप में ही छोड़कर ,विवाह मंडप से दूल्हे के वेष में ही युद्ध भूमि पर चलें गए और युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गये।
नीर कुमारी जब ससुराल आयी। तब उन्हें अपने पति का मृत शरीर सामने मिला। जिसके साथ नीरकुमारी भी अपने पति की चिता पर बैठकर सती हो गई।

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