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Showing posts from December, 2020

ग्रेगोरियन कैलेंडर किसे कहते है?

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1) ग्रिगेरियन कैलेण्डर को इंटरनेशनल कैलेण्डर भी कहा जाता है यही कारण है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में इसी दिन नया साल का जश्न मनाया जाता है। 2) पोप ग्रेगोरी अष्टम ने 1582 ईस्वी में इसे तैयार किया था इसलिए इसे ग्रिगेरियन कैलेण्डर के नाम से जाना जाता है। 3) यह सोलर कैलेंडर है जिसकी तारीख सूर्य की गति से तय होती है। 4) इसे जूलियस कैलेंडर का सुधरा हुआ रूप माना जाता है ,जिसे रोम के शासक  जूलियन सीजर ने बनाया था। 5) जूलियस कैलेंडर में हर 128 साल बाद एक दिन का हेर फेर जो जाता है जिसे ग्रिगेरियन कैलेण्डर में दूर किया गया। 6) तकरीबन चार हजार साल से नया साल मनाया जाता है। इसकी शुरुआत बेबीलोन से हुई थी। 7) बेबीलोन मेसोपोटामिया सभ्यता का महत्वपूर्ण शहर था ,जो इराक की राजधानी बगदाद से 85 किमी. दूर स्थित है। 8) भारत सरकार ने ग्रिगेरियन कैलेंडर के साथ साथ शक संवत पर आधारित राष्ट्रीय पंचांग 22 मार्च ,1957 को अपनाया। माना जाता है कि इसे कुषाण शासक कनिष्क ने 78 ईस्वी में आरंभ किया था।

भारतीय नौसेना की सबसे पहली पनडुब्बी ?

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1) आठ दिसंबर 1967 को भारतीय नौसेना की पहली पनडुब्बी INS कलवरी को नवसेना में शामिल किया गया था। 2) इस पनडुब्बी को सोवियत संघ (रूस) से लिया गया है। 3) 31 मई 1996 को 30 वर्ष की राष्ट्र सेवा के बाद इसे नौसेना से सेवानिवृत्त ( रिटायर ) कर दिया गया था। 4) इसका नाम हिन्द महासागर में पाए जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया। 5)" कलवरी " को दुनिया की सबसे घातक पनडुब्बियों में से एक माना जाता है।

दुनिया की पहली पनडुब्बी का नाम क्या है ?

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1)  पनडुब्बी एक प्रकार का जलयान है , जो पानी के अंदर रहकर काम करता है। आमतौर पर इसका उपयोग सेना द्वारा किया जाता रहा है। सबसे पहले प्रथम विश्व युद्ध में इसका इस्तेमाल हुआ था। 2) जॉन हॉलैंड को पनडुब्बी का आविष्कारक माना जाता है। 3) पहली पनडुब्बी " टर्टल " है,जो 1775 में बनाई गई। 1950 में पहली बार परमाणु ऊर्जा से इसे चलाया जाने लगा , जिससे यह समुद्री पानी से ऑक्सीजन ग्रहण करने और कई महीनों तक पानी में रहने में सक्षम हो गई। 4) द्वितीय विश्व युद्ध के समय पनडुब्बियों का उपयोग परिवहन के लिए सामान को एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता था।

चाय से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें ?

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1) चाय का जन्म चीन में हुआ था और वहां से उत्तर पूर्वी भारत में इसका प्रसार हुआ। 2) आयुर्वेद के किसी ग्रंथ में चाय का उल्लेख नहीं मिलता। 3) संस्कृत में चाय को " श्यामाचर्णा‌ " कहते है। 4) चीनी भाषा में चाय को पहले ' चा ' और बाद में चाय के नाम से जाना जाने लगा। अंग्रेजी में चाय को ' टी ' या टे कहते है। 5) चाय पर लिखी सबसे पहली किताब का नाम "चुचांग " है। इसका संपादन आठवीं शताब्दी में "ल्यूओ " नाम के चीनी विद्वान ने किया था। इस किताब में चाय की पत्ती और चाय बनाने कि विधि के बारे में लिखा गया है। चीन में इस पुस्तक को " चाय - वेद " के नाम से जाना जाता है। 6) दूसरी किताब चीन में " चाक्यो " नाम की मिलती है। जिसे वहां के लोग " चाय - शास्त्र " के नाम से जानते है। 7) चाय की पूरी प्रक्रिया को चीन में " चो - नो - यु " कहा जाता है। 8) ईसा मसीह के जन्म से 2737 साल पहले चीन में सेन नांग नामक एक राजा थे। चीन में चाय का प्रचलन उसी ने शूरू किया था। 9) बौद्ध मठो में पुजारियों ने अफीम के घातक नशे के विरूद्ध चाय पीने की प...

पृथ्वी पर चाय (Tea) की उत्पत्ति कैसे हुई ?

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पृथ्वी पर चाय की उत्पत्ति के बारे में जापान कि एक लोक कथा प्रसिद्ध है - कथा के अनुसार 520 ई॰ में दारूपा नामक एक बौद्ध पुजारी धर्म प्रचार के लिए भारत से नानकिंग गया था। वहां उसका खूब आदर सत्कार हुआ और वह " ता मो " के नाम से प्रसिद्ध होकर वहीं स्थायी रूप से रहने लगा। एक बार उसने अपने अनुयायियों के सामने व्रत लिया कि वह नौ वर्षो तक साधना करेगा और उस काल में वह पल भर के लिए भी नींद के वश में न होगा। पर वह नींद को नहीं जीत सका और सो गया। नींद से उठने पर उसे प्रायश्चित हुआ। अपनी इस कमजोरी के लिए क्रोध में आकर उसने अपनी आंखो की पुतलियों को नोच - नोचकर फेक दिया। उसकी आंखो की वह पुतलियां जहां जहां गिरी, वहीं - वहीं एक एक झाड़ी उग गई। जिसे चाय की झाड़ी का नाम दिया गया। इसी से मिलती जुलती एक कहानी चीन में भी मिलती है। जिसमें एक बौद्ध भिक्षु की कटी पलकों से चाय की झाड़ियां उगी बताई गई है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिग से जुड़ी बातें !

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1) मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में दूसरा है। यह आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के, कृष्णा नदी के, श्री शैल पर्वत पर स्थित है। 2) इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते है। 3) महाभारत के अनुसार श्री मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग के पूजन से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। 4) यह मंदिर 183 मीटर की ऊंचाई ,152 मीटर और 8.5 मीटर की ऊंचाई वाली दीवारों से बना है। 5) स्कन्द पुराण में शैल कांड नाम का अध्याय है। जिसमें मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग का वर्णन मिलता था। 6) कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब इस मंदिर की यात्रा की तब उन्होंने शिव नंद लहरी की रचना की थी।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में क्यूं स्थापित हुए शिव और पार्वती !

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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कृष्ण नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है।  भगवान शिव के दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय में इस बात पर विवाद हुआ की पहले किसका विवाह होगा। इस पर पिता भगवान शिवजी और माता पार्वती ने कहा कि जो पहले धरती की परिक्रमा करके लौटेगा उसी का विवाह पहले होगा। शास्त्रों के अनुसार माता - पिता की पूजा धरती की ही परिक्रमा मानी जाती है और उसका भी वही फल मिलता है जो पूरी धरती की परिक्रमा से मिलता है। इसी कारण गणेश जी ने अपने माता पिता की परिक्रमा की और गणेश जी का विवाह पहले हुआ। जब कार्तिकेय जी पूरे धरती की परिक्रमा करके लौटे और पूरी घटना को जानकर रूठकर क्रौंच पर्वत पर चले गए। भगवान शिव और माता पार्वती कार्तिकेय को मनाने के लिए मल्लिका और अर्जुन के रूप में वहां गए। अपने माता- पिता के आने कि खबर सुनकर कार्तिकेय तीन योजन दूर क्रौंच पर्वत (श्री शैल पर्वत) पर चले गए और भगवान शिव और माता पार्वती वहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में बस गए। जिसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।