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Showing posts from December, 2022

क्या प्राचीन काल में समय का ज्ञान था ?

भगवत गीता के अनुसार काल गणना - भगवत गीता के श्लोकों में काल गणना पर विचार किया गया है। जिसके अनुसार काल गणना की सबसे छोटी इकाई 'परमाणु ' है। सूर्य की रश्मि परमाणु के भेदने में जितना समय लेती है उसका नाम परमाणु है। परमाणु काल से आगे का काल विभाजन इस प्रकार है ---  दो परमाणु = 1 अणु 3 अणु = 1 त्रसरेणु  3 त्रसरेणु = 1 त्रुटी  100 त्रुटी = 1 वेध  3 वेध = 1 लव 3 लव = निमेष  3 निमेष = 1 क्षण (1 क्षण में 1.6 सेकेंड अथवा 46600 परमाणु होते है।)  5 क्षण = 1 काष्ठा  15 काष्ठा = 1 लघु 15 लघु = 1 नाड़िका (दण्ड) 2 नाड़िका = 1 मुहूर्त  3 मुहूर्त = 1 प्रहर 8 प्रहर = दिन रात  इसी प्रकार दिन , पक्ष , मास , वर्ष आदि का ज्ञान भी उस समय पुरी तरह था।  महाभारत के अनुसार काल गणना - महाभारत के वन पर्व के 188 वें अध्याय के 67 वें श्लोक सृष्टि निर्माण,सृष्टि प्रलय ,युगों के विषय में बताया गया है।  विभिन्न पुराणों के अनुसार काल गणना दिन , रात , मास , वर्ष , युग , चतुर्युग , मानवंतर , कल्प , सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की आयु आदि में विभाजित किया गया है।  1 कल्प ...

पुर्तगालि व्यापारी भारत कब आए ?

पुर्तगालि भारत में 1488 ई. में अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी किनारे केप ऑफ गुड होप तक पहुँच गए। वहां से वास्कोडिगामा 1497 ई. में मालिंदी तक और 1498 में एक अरब व्यापारी की सहायता से कालीकट तक पहुँचा।  जब वास्कोडिगामा से उसके भारत आने का उद्देश्य पूछा गया ,तो उसने उत्तर दिया की मैं भारत में ईसाई धर्म का प्रसार और गर्म मसालों का व्यापार करने आया हूँ। 1498 में इस समुद्री मार्ग की खोज हुई। पुर्तगाली , वास्कोडिगामा की भारत पहुंचने की सफलता से इतने खुश हुए की अगले ही वर्ष उन्होंने "कैब्राल " को 13 जहाज़ों के अन्य बेड़े के साथ भेजा। "कैब्राल " 1500 ई. में कालीकट पहुँचा।   कालीकट के हिंदू शासक " जमोरिन " के साथ कुछ अनबन के कारण "कैब्राल " को वापस जाना पड़ा और वास्कोडिगामा को फिर से 1502 में भारत भेजा गया। 1504 में पुर्तगाल से " अल्मीडा " को विधिवत रुप में वायसराय नियुक्त करके भेजा गया। " अल्मीडा " ने भारत में पुर्तगाली राज्य स्थापित करने की दिशा में योगदान दिया , लेकिन भारत में पुर्तगाल के व्यापार को आगे बढ़ाने और स्थायी रुप से फैक्टरि...

वेद कितने पुराने है ?

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वेद चार हैं -   ऋग्वेद , यजुर्वेद ,सामवेद , अथर्ववेद। महाराष्ट्र के एक पंडित बालासाहेब हरदास अपने सार्वजनिक व्याख्यानों में वेदकाल संबंधी विविध विद्वानों के अनुमान इस प्रकार है -  1) मैक्समुलर आदि पाश्चात्य विचारधारा के लोग वेदों को 3500 वर्ष पूर्व के मानते है। 2) राजापुर के पताशकर शास्त्री वेदों में उल्लिखित नक्षत्रादि स्थिति के अनुसार वेदों को 21000 वर्ष पूर्व के मानते थे। 3) पंडित सुधाकर द्विवेदी का निष्कर्ष था कि वेद 54000 वर्ष पूर्व के थे। 4) पंडित कृष्ण शास्त्री गोडबोले का अनुमान था कि वेद उस संख्या से भी 18000 वर्ष पूर्व के थे। 5) पंडित दयानंद सरस्वती के अनुसार वेद लगभग 2 अरब वर्ष प्राचीन है।

अंग्रेज भारत कब आए थे ?

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इस कंपनी का वास्तविक नाम " द गवर्नर एण्ड कम्पनी ऑफ मर्चेंट्स ऑफ लंदन ट्रेंडिंग इन टू दि ईस्ट इंडीज " था। ईस्ट इंडिया कंपनी का संविधान ,शक्ति और सुविधाओं आदि का विवरण इंग्लैंड के सन् 1600 के राजलेख द्वारा घोषित किया गया जो 31 दिसंबर , सन् 1600 को लागू किया गया। शुरुआत में कंपनी की समय सीमा सिर्फ 15 साल की थी, लेकिन उसमें ये नियम भी था कि अगर कंपनी का काम लाभदायक न रहा तो इंग्लैंड का सम्राट उसे 2 साल पहले ही समाप्त कर सकता है।   सन् 1599 में पूर्वी देशों से व्यापार करने के लिए अंग्रेज व्यापारियों ने एक रॉयल चार्टर के अधीन ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना की थी , जो तत्कालीन ग्रेट ब्रिटेन की प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक कम्पनी के संचालन के लिए 2 गवर्नर और 24 संचालकों का चयन , कंपनी के हिस्सेदारों द्वारा इंग्लैंड में ही किया जाता था।  31 दिसंबर सन् 1600 को ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम   से आज्ञा प्राप्त कर ली। पूरब से इन्हें व्यापार करने का एकाधिकार मिल गया।  इस रॉयल चार्टर के अनुसार कंपनी के भारतीय शासन के सभी अधिकार गवर्नर और उनकी 24 स...