क्या प्राचीन काल में समय का ज्ञान था ?
भगवत गीता के अनुसार काल गणना - भगवत गीता के श्लोकों में काल गणना पर विचार किया गया है। जिसके अनुसार काल गणना की सबसे छोटी इकाई 'परमाणु ' है। सूर्य की रश्मि परमाणु के भेदने में जितना समय लेती है उसका नाम परमाणु है। परमाणु काल से आगे का काल विभाजन इस प्रकार है --- दो परमाणु = 1 अणु 3 अणु = 1 त्रसरेणु 3 त्रसरेणु = 1 त्रुटी 100 त्रुटी = 1 वेध 3 वेध = 1 लव 3 लव = निमेष 3 निमेष = 1 क्षण (1 क्षण में 1.6 सेकेंड अथवा 46600 परमाणु होते है।) 5 क्षण = 1 काष्ठा 15 काष्ठा = 1 लघु 15 लघु = 1 नाड़िका (दण्ड) 2 नाड़िका = 1 मुहूर्त 3 मुहूर्त = 1 प्रहर 8 प्रहर = दिन रात इसी प्रकार दिन , पक्ष , मास , वर्ष आदि का ज्ञान भी उस समय पुरी तरह था। महाभारत के अनुसार काल गणना - महाभारत के वन पर्व के 188 वें अध्याय के 67 वें श्लोक सृष्टि निर्माण,सृष्टि प्रलय ,युगों के विषय में बताया गया है। विभिन्न पुराणों के अनुसार काल गणना दिन , रात , मास , वर्ष , युग , चतुर्युग , मानवंतर , कल्प , सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की आयु आदि में विभाजित किया गया है। 1 कल्प ...