महिला स्वतन्त्रता सेनानियों को मिली सजाएं ?

भारत की स्वतन्त्रता में महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और जिनके कारण कई महिलाओं को कड़ी सजा और जुर्मानों का भुक्तान करना पड़ा था। जिनमें से ज्यादातर महिलाओं का नाम भी बहुत कम लोग जानते है।

सत्यप्रकाश गुप्ता की पुस्तक स्वाधिनता आन्दोलन और महिला सहभागिता में इसके बारे में जानकारी मिलती है। जो यहां है - 

1) रानी राजेंद्र कुमारी -



1) सन् 1930 में ढाई साल के बच्चे के साथ 6 महिने तक जेल में रही।

2) सन् 1932 भारतीय दण्ड संहिता की धारा 143/188 के 21 ऑर्डिनेंस के अन्तर्गत 1 वर्ष की कैद और 60 रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई।

3) सन् 1933 में कॉन्ग्रेस आन्दोलन के सिलसिले में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) क्रिमिनल लॉ के अंतर्गत 28 अगस्त ,1933 को 6 माह की कैद और 50 रुपए के जुर्माने की सजा मिली।

4) सन् 1934 में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 87 के  अंतर्गत 6 माह की कैद और 100 रुपए जुर्माना।

 2) श्रीमती सरयू देवी - 

1) सन् 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेंगे के कारण भारत प्रतिरक्षा कानून के धारा 129 के अंतर्गत 6 माह कैद की सजा मिली।

2) सन् 1932 के भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत 1 महीने की सजा और 100 रुपए जुर्माना लगाया गया।

3) सन् 1933 में 17 (1) क्रिमिनल लॉ प्रेस एक्ट के तहत 16 अप्रैल 1933 को 6 महीने की सख्त कैद और 10 रुपए जुर्माना लगाया गया।

 3) श्रीमती शिवरानी देवी - सन् 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन के सिलसिले में भारत प्रतिरक्षा कानून के धारा 35 (5) के अंतर्गत 28 जनवरी ,1941 को 6 महीने की सजा और 50 रुपए जुर्माना लगाया गया।

4) श्रीमती श्रीदेवी - सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेंगे के कारण 6 महीने की सजा और 25 रुपए जुर्माना लगाया गया।

5) श्रीमती शांति देवी - सन् 1932 में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 143/128 के अंतर्गत 6 महीने की सजा और 50 रुपए जुर्माना लगाया गया।

 6) श्रीमती रुक्मिणी देवी -

1) सन् 1932 के सविनय अवज्ञा आंदोलन सिलसिले में 17(1) सी.एल.ए. में 12 मई , 1932 को 3 महीने की कैद की सजा सुनाई गई। 

2) सन् 1933 के सविनय अवज्ञा आंदोलन 6 माह की कैद की सजा हुई। 

7) श्रीमती शान्ति देवी - 

सन् 1932 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के सिलसिले में भारतीय दण्ड संहिता 188/143 के अन्तर्गत 6 महीने 10 दिन कारावास की सजा सुनाई गई।

8) श्रीमती रामाप्यारी देवी - 



1) सन् 1941 के कांग्रेस आन्दोलन में 6 माह कैद की सजा सुनाई गई।

2) सन् 1942 भारत प्रतिरक्षा कानून की धारा 29 के अन्तर्गत फिर से 6 महीने की सजा मिली।

 9) श्रीमती रमा देवी - 

सन् 1932 में राष्ट्रीय आन्दोलन में 143 आई.पी. सी. और 17(1) सी. एल. ए. क्रिमिनल लॉ एमिडमेंट के अन्तर्गत 6 माह का कठोर कारावास और 25 रूपए जुर्माने की सजा सुनाई गई।

10) श्रीमती रानी देवी - 

सन् 1932 में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) के अन्तर्गत 1 वर्ष कैद की सजा पाई।

 11) श्रीमती राजा बाई - 



1941 के व्यक्ति सत्याग्रह आंदोलन के सिलसिले में भारत प्रतिरक्षा कानून की धारा 38 (5) 121 के अंतर्गत 5 अप्रैल ,1941 को 6 माह की कैद और 100 रूपए जुर्माना की सजा मिली।

12) श्रीमती रानी देवी - 

1) सन् 1932 में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 188 ताजेराते हिन्द व 17 क्रिमिनल लॉ के अन्तर्गत 14 अप्रैल,1932 को 6 महीने की कैद और 25 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई। 

2) 1932 भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188/145 के अन्तर्गत फिर से 6 माह की कैद काटी।

13) श्रीमती राजा बेटी - 

सन् 1932 के कांग्रेस आंदोलन के सिलसिले में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17 (1) और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 148 के अंतर्गत 5 अप्रैल 1932 को 6 माह की सख्त कैद और 10 जुर्माने की सजा सुनाई गई। 

14) श्रीमती रमानी देवी - 

1) सन् 1932 में 6 माह की कैद और 10 रूपये जुर्माने की सजा हुई। 

2) सन् 1933 में कांग्रेस आन्दोलन के सिलसिले में 1 वर्ष की कैद और 25 रूपये जुर्माने की सजा हुई। 

15) श्रीमती मालती देवी - 

फौजदारी कानून संशोधन अधीनियम की धारा 17(1) अंतर्गत 1 वर्ष के लिए जेल की सजा सुनाई गई।

16) श्रीमती मनोरमा देवी - 

सन् 1932 में भारतीय दण्ड संहिता 188 (2) के अंतर्गत 3 माह की कैद और 25 रूपये जुर्माना की सजा और 1933 में 17(1) और 18 (1) व 143 आई. पी.सी. के 25 फरवरी ,1933 को 6 माह की कड़ी कैद और 20 रूपये जुर्माने की सजा हुई। 

 17) श्रीमती राजा बेटी - 

1933 फौजदारी कानून संशोधन अधीनियम की धारा 17(1) (2) क्रिमिनल लॉ और 18 (1) क्रिमिनल लॉ 143 आई. पी.सी. के अंतर्गत 6 - 6 महीने की कैद और दस रूपए जुर्माने की सजा हुई।

18) श्रीमती उमा देवी - 

सन् 1932 के कांग्रेस आंदोलन के सिलसिले में 55 ऑर्डिनेंस 17(1) क्रिमिनल लॉ एमिण्डमेंट एक्ट व 143 आई. पी.सी. के अंतर्गत 17 नवम्बर ,1932 से 6 माह की सख्त कैद और 10 रूपये जुर्माने की सजा मिली। 


19) श्रीमती उर्मिला देवी - 

सन् 1932 के राष्ट्रीय आंदोलन के सिलसिले में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 143,148 और फौजदारी कानून संशोधन अधीनियम की धारा 17(1) तथा 18(1) के अंतर्गत 6 महीने की कैद और 10 रूपये  जुर्माना की सजा पायी। 


 20) श्रीमती कस्तूरी देवी - 

सन् 1942 भारत प्रतिरक्षा कानून की धारा 38 के अंतर्गत 6 महीने के लिए जेल गई।

21) श्रीमती कांति देवी - 

ये धारा 17(1) के क्रिमिनल लॉ और 143 आई. पी. सी. के अंतर्गत 26 अप्रैल 1933 से 6 6 माह की कैद और 25 रूपये जुर्माना की सजा मिली।

22) श्रीमती उर्मिला देवी - 

1) सन् 1933 में धारा 143 के अंतर्गत 1 वर्ष की कैद और 25 रूपये जुर्माने की सजा मिली। 

2) सन् 1933 में फौजदारी कानून अधिनियम की धारा 17(1) ,18 (1) अंतर्गत 6 माह की कैद और 10 रूपये जुर्माना लगाया गया।

 23) श्रीमती किशोरी देवी - 



इन्होंने 188 ताजेराते हिन्द के क्रिमिनल लॉ के अंतर्गत 14 अप्रैल,1932 से 6 महीने की कैद और 10 रूपये जुर्माने की सजा मिली।

24) श्रीमती कस्तूरी देवी - 

सन् 1932 में फौजदारी कानून अधिनियम की धारा 17(1) और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 143 के अंतर्गत 6 माह की कैद और 25 रूपये जुर्माना की सजा मिली।

25) श्रीमती कांति देवी - 

इन्होंने भारतीय कानून संशोधन अधिनियम के धारा 17(1) ,18 (1) अंतर्गत सन् 1933 से अंतर्गत 6 माह की कैद और 25 रूपये जुर्माना की सजा मिली।

 26) श्रीमती कांति देवी -  

इन्होंने 1932 में दो बार राष्ट्रीय आंदोलन के सिलसिले में और सन् 1941 में व्यक्ति सत्याग्रह आंदोलन के सिलसिले में 1वर्ष के लिए जेल गई।

27) श्रीमती गंगा देवी - 

इन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन के अंतर्गत 17(1) (2) सी. एल. ए. और 18(1) प्रेस एक्ट में 21 जनवरी ,1933 से 6 माह की कैद मिली और 10 रूपये जुर्माना भी जमा हुआ।

28) श्रीमती गिरिजा देवी -

सन् 1932 में 55 ऑर्डिनेंस की धारा 17(1) में 143 आई.पी.सी. के अंतर्गत 16 नवम्बर ,1932 6 माह की कैद मिली और 10 रूपये जुर्माना भी जमा हुआ।

 29) श्रीमती गुलाबी देवी - 


1) सन् 1932 की राष्ट्रीय आंदोलन में 6 माह सरल कैद और 10 रूपये जुर्माने की सजा मिली।

 2) सन् 1933 के कांग्रेस आन्दोलन में 25 फरवरी ,1933 की 17(1) फ्रिजिनल लॉ और 18 (1) एव 143 आई. पी. सी. के अंतर्गत प्रत्येक अपराध में  6 माह सरल कैद और 24 रूपये जुर्माना  की सजा मिली।

30) श्रीमती गंगा देवी - 

सन् 1932 में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) के अंतर्गत 8 माह कैद और 10 रूपये जुर्माना भी जमा हुआ।

31) श्रीमती गिरिजा देवी -

फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) के अंतर्गत सन् 1932 में 3 माह की कैद और 10 रूपये जुर्माने की सजा मिली।

 32) श्रीमती गोमती देवी - 

सन् 1933 के कांग्रेस आंदोलन में भाग लेने के कारण 6 माह की कैद हुई।

 33) कुमारी गोमती - 

सन् 1932 के फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) के अंतर्गत 6 माह की कैद और 10 रूपये जुर्माना की सजा हुई।

34) श्रीमती यमुना देवी - 

सन् 1932 के कांग्रेस आंदोलन के सिलसिले में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 143 अंतर्गत 14 माह कैद और 15 रूपए जुर्माना की सजा मिली।

35) श्रीमती गोमती देवी - 

सन् 1932 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) और 143 आई. पी. सी. के अंतर्गत 14 माह कैद और 15 रूपए जुर्माना की सजा मिली।

 36) श्रीमती जानकी देवी - 

सन् 1932 में कांग्रेस आंदोलन के सिलसिले में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) के अंतर्गत 6 माह की कैद और 10 रूपये जुर्माना की सजा हुई।

37) श्रीमती जैकुमारी - 

सन् 1932 सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) के अंतर्गत 3 माह की कैद और 10 रूपये जुर्माना की सजा हुई।

38) श्रीमती धौली - 

सन् 1932 फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 143 के अंतर्गत 14 माह की कैद और 15 रूपये जुर्माना की सजा हुई।

39) श्रीमती भगवती शुक्ला -

सन् 1932 फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) के अंतर्गत 15 अप्रैल ,1932 को 6 माह की कैद और 30 रूपये जुर्माना की सजा हुई और सन् 1933 में भी उक्त धाराओं के अंतर्गत सजा पायी।

40) श्रीमती भारत - 

सन् 1932 में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) के अंतर्गत 3 माह की कैद और 10 रूपये जुर्माना की सजा हुई।

41) श्रीमती भारती - 

सन् 1933 में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 143 के अंतर्गत 6 माह कैद की सजा पायी। 

42) श्रीमती भुवनेश्वरी देवी - 

सन् 1933 में फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम की धारा 17(1) और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 143 के अंतर्गत 3 माह कैद की सजा पायी और 1942 में भी उक्त धाराओं में दो माह की सजा मिली।

43) श्रीमती सैय्यद - 

भारत प्रतिरक्षा कानून की धारा 38(5) के अंतर्गत 1 वर्ष की कैद और 50 रूपये जुर्माने की सजा मिली।

Comments

Popular posts from this blog

युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ

किस ऋषि का विवाह 50 राजकुमारियों से हुआ था ?

पुराणों में इंद्र, सप्तऋषि मनु और मन्वन्तर क्या है ?