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Showing posts from July, 2024

सगर और उनके 60, 000 पुत्र

महाराज सगर को 60,000 पुत्रों का वरदान   राजा सगर की दो रानियां थी सुमति और केशिनी। इन्हें और्व मुनि ने वर दिया था कि आपकी दोनों रानियों में से एक से वंश की वृद्धि करने वाला एक पुत्र और दूसरी से 60,000 पुत्र उत्पन्न होंगे। इनमें से जिसको जो सही लगे वह उसी वर को ग्रहण कर सकती है।" उनके ऐसा कहने पर केशिनि ने एक और सुमति ने 60,000 पुत्रों का वर मांगा। महर्षि के आशीर्वाद से केशिनी को असमंजस नामक एक पुत्र हुआ और सुमति को 60,000 पुत्र प्राप्त हुए। अश्वमेध यज्ञ और सगर के पुत्रों का भस्म होना  एक बार महाराज सगर ने अश्वमेध यज्ञ शुरु किया। उसमें उनके पुत्रों द्वारा सुरक्षित घोड़े को कोई व्यक्ति चुराकर पाताल में चला गया।  तब उस घोड़े के खुरों के चिन्हों का अनुसरण करते हुए उनके पुत्रों में से प्रत्येक ने एक - एक योजन पृथ्वी खोद डाली। पाताल में पहुंचकर उन राजकुमारों ने अपने घोड़े को घूमता हुआ और पास ही ध्यान में बैठे ऋषि कपिल को देखा।  उन्हें लगा की कपिल मुनि ने ही अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चुराया है और तुरन्त ही वो सभी मारो - मारो करके चिल्लाते हुए कपिल ऋषि की ओर दौड़े, वैसे ही उन्हो...

विष्णु पुराण सबसे पहले किसने किसको सुनाया था ?

विष्णु पुराण को सबसे पहले ब्रह्मा जी ने ऋभु को सुनाया था। फिर ऋभु ने प्रियव्रत को सुनाया और प्रियव्रत ने भागुरि को सुनाया। फिर इसे भागुरि ने स्तंभमित्र को, स्तंभमित्र ने दधीचि को, दधीचि ने सास्वत को और सास्वत ने भृगु को सुनाया। भृगु ने पुरुकुत्स को सुनाया, पुरुकुत्स ने नर्मदा को सुनाया, फिर नर्मदा ने धृतराष्ट्र और पूरणनाग से कहा। धृतराष्ट्र और पूरणनाग ने यह पुराण वासुकि को सुनाया , वासुकि ने वत्स को, वत्स ने अश्वतर को, अश्वतर ने कम्बल को और कम्बल ने एलापुत्र को सुनाया। इसी समय मुनिवर वेदशिरा पाताल लोक में पहुंचे, उन्होंने यह पुराण प्राप्त किया और फ़िर प्रमति को सुनाया। प्रमति ने उसे जातुकर्ण को दिया और जातुकर्ण ने अन्याय पुण्यशील महात्माओं को सुनाया। (पूर्व जन्म में सारस्वत के मुख से सुना हुआ यह पुराण) पुलस्त्य जी के वरदान से पराशर जी को स्मरण रह गया। पराशर जी ने मैत्रेय जी को सुनाया।  कलयुग के अंत में मैत्रेय जी इसे शिनीक जी को सुनायेगे।