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Showing posts from January, 2024

सुमति

ऐसी वीरांगना जिसने मातृभूमि के प्रेम के लिए अपने पति पर गोली दाग दी सुमति गढ़मंडल के सेनापति सुमेरसिंह की बहन थी। सुमति का विवाह जागीरदार बदनसिंह के साथ हुआ था।  विवाह के कुछ समय बाद बदनसिंह ने गढ़मंडल से गद्दारी कर दी और अकबर से मिल गया। जब अकबर और गढ़मंडल की महारानी दुर्गावती का युद्ध आरंभ हुआ, तब बदनसिंह ने ही अकबर को गढ़मंडल का सारा भेद बता दिया और रानी दुर्गावती की छाती में भाले से वार किया।  रानी के घायल होकर गिरने पर उनके सिर पर बंदूक की नाल से वार किया, सिर से रक्त धारा बहने लगी। होश में आने पर रानी दुर्गावती ने सुमति को उसके पति बदनसिंह की सारी करतूत कह सुनायी।  ये सभी बातें सुनकर सुमति बहुत लज्जित हुई और उसने बहुत दुःख व्यक्त किया। तभी सुमति ने सामने से अपने पति बदनसिंह को आते देखा। उसे बहुत धिक्कारा और कहा किसी देशद्रोही से मेरा कोई सम्बन्ध नहीं हैं।  सुमति ने तमंचा निकाला और बदनसिंह पर गोली दाग दी। बदनसिंह के प्राण तत्काल ही चले गये।

वीरा

अकबर से, उदयसिंह की जान बचाने वाली वीरा  वीरा, महाराणा उदयसिंह की उपपत्नी थी, उनका उदयसिंह से विवाह नहीं हुआ था, लेकिन वह उदयसिंह को ही पति मानती थी। वीरा ने उदयसिंह के प्राणों की रक्षा की और उन्हें अकबर के पंजों से छुड़ा लिया। अकबर को गद्दी संभाले कुछ दिन ही हुये थे ,वे कायर और डरपोक था । उदयसिंह के पुत्र महाराणा प्रताप ने एक बार अचानक ही कह डाला था कि "यदि महाराणा सांगा और मेरे बीच चितौड़ का राणा और कोई दूसरा न हुआ होता, तो अकबर उस स्वाधीन भूमि पर अपना आधिपत्य कभी नहीं स्थापित कर पाता " कृष्णसिंह, जयमल्ल सेनापतियों और वीरांगना वीरा ने महाराणा को युद्ध के लिए विवश कर दिया। युद्ध आरंभ हुआ, महाराणा उदयसिंह स्वयं युद्ध में नहीं गये, उनके सेनापति ने घमासान युद्ध करके शाही सेना को भगा दिया। इसी प्रकार सात बार अकबर की सेना को पराजित कर उन्होंने विजय प्राप्त की। 8 वीं बार जब स्वयं सम्राट अकबर युद्ध में आया, तब महाराणा उदयसिंह घबराकर वीरा के पास गये और कहने लगे - "अब संधि करने के सिवा दूसरा कोई उपाय नहीं है, मैंने संधि करने का निश्चय कर लिया है"  यह सुनकर वीरा ने उनमें मात...

सोमनाथ मंदिर को कब कब तोड़ा गया ?

(1) सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रामक किया गया था।  (2) 8 वीं सदी में सिंध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे तोड़ने के लिए अपनी सेना भेजी। (3) गजनवी ने 1024 में हाथ जोड़कर पूजा कर रहे हजारों लोगों को कत्ल कर दिया। उसने मंदिर में लूटपाट और तोड़फोड़ भी की। उसने यहां लगे चन्दन के दरवाजे तक को भी उखाड़ दिया। (4) साल 1297 में जब दिल्ली सल्तनत अलाउद्दीन खिलजी का था तब उसने गुजरात पर कब्जा किया, तब इस मंदिर को 5 वीं बार गिराया गया। उसके सेनापति नुसरत खान ने मंदिर को लुटा। (5) साल 1395 ईसवी में गुजरात के सुल्तान ने मुजफ्फर शाह ने भी मंदिर को तोड़ा। (6) साल 1413 ईसवी में अहमद शाह ने सोमनाथ मंदिर को तोड़ा। (7) फिर औरंगजेब ने इस मंदिर को साल 1706 में गिरा दिया।

सोमनाथ मंदिर में क्या और कब बना ?

(1) इस मन्दिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि ईसा के पूर्व यहां एक मन्दिर था जिस जगह पर दूसरी बार मन्दिर का निर्माण 7 वीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने करवाया। (1) बाद में राजा भीमदेव ने इस मंदिर को बनवाया और साल 1093 में सिद्धराज जयसिंह ने भी मंदिर की प्रतिष्ठा में सहयोग दिया। (2) साल 1168 ईसवी में विजेश्वर कुमार पाल और सौराष्ट्र के राजा खंगार ने भी सोमनाथ मंदिर का सौंदर्यीकरण करवाया था। (3) साल 1783 में इंदौर कि रानी अहिल्या बाई होलकर ने मूल मंदिर से कुछ ही दूरी पर पुजा के लिए सोमनाथ का एक और मंदिर बनवाया। (4) प्रतिहार राजा नागभट्ट ने इसका तीसरी बार निर्माण कराया। (5) आजादी के बाद वर्तमान भवन का निर्माण सरदार वल्लभ भाई पटेल और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने बहुत ही भव्य निर्माण करवाया। (6) साल 1970 में जामनगर कि राजमाता ने अपने स्वर्गीय पति की याद में मंदिर के आगे पूर्वदिशा में उनके नाम से दिग्विजय द्वार का निर्माण करवाया।