Posts

Showing posts from November, 2023

चारुमति

Image
औरंजेब की बुरी नजर से बचाने के लिए राजपूत स्त्री का संघर्ष   रुपनगर (वर्तमान में किशनगढ़) के राजा रूपसिंह की एक पुत्री जिसका नाम चारुमति था। वह बहुत सुंदर और धार्मिक प्रवृत्ति की थी। वह गीता पाठ करती थी और अपने हाथ का बनाया हुआ खाना खाती थी। चारुमति की सुंदरता की ख़बर जब औरंगज़ेब तक पहुंची तो उसके मन में चारुमति से विवाह की इच्छा हुई। औरंगज़ेब ने चारुमति के भाई मानसिंह से कहा कि "मैं तुम्हारी बहन से शादी करना चाहता हूं।"  चारुमति के भाई इस विवाह के लिए सहमत नहीं थे लेकिन औरंगजेब से युद्ध करने की उनकी क्षमता नहीं थी। कोई भी राजा औरंगजेब से युद्ध के लिए सहायता नहीं करेगा, यहीं बात सोचकर मजबूरी में चारुमति के भाई इस विवाह के लिए सहमत हो गए। जब यह ख़बर चारुमति तक पहुंची तब उन्हें इतना सदमा लगा कि वे बेहोश हो गई। जब चारुमति को होश आया तो उन्होंने शादी करने से इन्कार कर दिया। तब उनके चाचा रामसिंह ने सलाह दी, कि तुम महाराणा राजसिंह को एक पत्र लिखो। चारुमति ने महाराणा राजसिंह को पत्र लिखा और मदद मांगी। चारुमति का पत्र मिलते ही महाराणा राजसिंह ने अपने सेनापति, मंत्री, पत्नी और वृद...

नीर कुमारी

Image
  विवाह के मंडप से अपने पति को युद्ध भूमि में भेजने वाली वीर स्त्री  मारवाड़ नरेश अजीत सिंह के पौत्र रामसिंह और अजीतसिंह के दूसरे पुत्र भक्तसिंह में राज्य को लेकर बहुत भयानक युद्ध हुआ। रामसिंह उस समय मारवाड़ के शासक थे, इसीलिए भक्तसिंह ने उनके विरुद्ध राजद्रोह कर दिया, ताकि उन्हें हराकर मारवाड़ पर अधिकार कर सके। कुछ सरदार राजा रामसिंह की ओर थे और कुछ सरदारों ने  भक्तसिंह  का साथ दिया। मेहोत्री सरदार राजा के पक्ष में था। मेहोत्री का पुत्र नीर के सरदार की पुत्री नीर कुमारी से विवाह के लिए गया था। जहां विवाह पूर्ण भी नहीं हुआ था कि मंडप में ही आकर राजदूत ने उन्हें युद्ध की जानकारी दी। विवाह की विधियां पुरी करके, नीर कुमारी को मंडप में ही छोड़कर ,विवाह मंडप से  दूल्हे के वेष में ही  युद्ध भूमि पर चलें गए और युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गये । नीर कुमारी जब ससुराल आयी। तब उन्हें अपने पति का मृत शरीर सामने मिला। जिसके  साथ नीरकुमारी भी अपने पति की चिता पर बैठकर सती हो गई।