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प्राचीन भारत के , आधुनिक यंत्र

1) दुर्विक्षण यंत्र (दूरबीन ) एक प्राचिन यांत्रिक ग्रंथ शिल्पसंहिता दुर्विक्षण यंत्र (दूरबीन ) का उल्लेख इस प्रकार है -  मनोवाक्यं समाधाय तेन शिलपीन्द्र शाश्वत: । यंत्र चकार सहसा दृष्टथर्य दूरदर्शनम् ।। पललाग्नो दग्धमृदा कृत्बा काचमनश्ववर । शोधयित्या तु शिलपीद्रो नैमत्य कीयते च ।। चकार बलवतत्स्वच्छं पातनं सुपबिकृतम् । वंशपर्वसमाकारं धातुदण्ड - कल्पितम् ।। तत्पश्पापदंग्रमध्येषु मुकुरं बिवेश स:।  इसका मतलब है कि " मिट्टी भून के उससे प्रथम कांच बनती है। एक पोली नलिका के दोनों नुक्कड़ पर वह कांच लगायी जाती है। दूर के नक्षत्रादि देखने में तुरी यंत्र में जैसा इसका उपयोग किया जाता है।  2) बैटरी अर्थात शतकुम्भी मेसोपोटामिया से प्राप्त 2000 वर्ष प्राचीन बैटरी जिसे यूरोप के कई देशों में प्रदर्शित किया गया।  तांबा और जस्ता के तारों से प्राचीन वैदिक वैज्ञानिक किस प्रकार शतकुम्भी (बैटरी) बनाते थे, जिसका वर्णन नीचे दिये श्लोक में हैं -  संस्थाप्य मृण्मये पात्रे त्राम्रपत्र सुसंस्कृतम् । छादयेत शिखिग्रीवेन चार्दाभि: काष्ठपासुभि: ।। दस्तालोष्टो निघातत्व: पारदाच्छादितस्तत:‌ । उत...