कूका विद्रोह क्या है ?
फरवरी 1928 में दिल्ली से प्रकाशित ' महारथी ' में कूका विद्रोह के इतिहास की जानकारी देने वाले भगत सिंह का यह लेख बी. एस. सिंधु नाम से छपा था। सिक्खों में एक उपसंप्रदाय है जो " नामधारी " या कूका कहलाता है। इसके संस्थापक श्री गुरू रामसिंह जी थे। अंग्रेज़ों द्वारा गायों की बूचड़खाने में हत्या करने के विरोध में सन् 1871 - 72 में पंजाब में कूका विद्रोह हुआ। 11 जनवरी के एक पत्र में डिप्टी कमिश्नर लुधियाना मिस्टर कॉवन ने कूका विद्रोह के बाद पटियाला के रूड़ गाँव में पहुंचे और जंगल में छिप गए । कुछ घंटों के बाद शिवपुर के नाजिम ने फिर से धावाबोल दिया, थके होने के कारण कूके ज्यादा देर तक संघर्ष नहीं कर पाए और 68 लोग पकड़ लिए गए। उनमें दो औरतें थी जो पटियाला राज को दे दी गई। इसी बात को विद्रोह कहा गया। अगले दिन मलेर कोटला में तोप लायी गई और 49 कूका विद्रोहियों को बारी - बारी करके तोप से बांधकर उड़ा दिया गया और पचासवां एक 13 साल का लड़का बिशन सिंह कूका था। डिप्टी कमिश्नर ने उससे कहा की रामसिंह का साथ छोड़ दे , तुझे माफ कर दिया जाएगा , लेकिन बच्चे ने गुस्से में उछलकर उसकी दाढ़ी ...